Bhumi Jotak (भूमिजोतक शब्द) किसान का नाम स्वामी जी महाराज ने रखा इसके प्रमाण मिलते हैं। भूमिजोतक किसको कहते हैं? आप इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे, चलिए जानते हैं। स्वामी जी महाराज के सत्संग में बताया गया भूमिजोतक शब्द (Land Holding) के बारे में,
Baba Jai Guru dev-तेरे स्वामी जी
एक समाचार सुना कि अलीगढ़ निवासी श्री प्यारे लाल जी पाठक उन्होंने आयु की शताब्दी पूरी की और इस दुनियाँ को छोड़ गए। उनसे जुड़े कुछ याद फिर घुमड़ गए हैं। सन् 72 या 73 में इनका एक इन्टरव्यू शाकाहारी पत्रिका (Sakahari Patrika) में छपा था जिसका शीर्षक था तेरे स्वामी जी’।
स्वामी जी महाराज यानी बाबा Jaigurudev जी के बारे में उन्होंने काफी कुछ बताया था। उनकी दो बातें मैं आज तक नहीं भूल पाई। एक तो सन् 63 में उन्होंने मुझे एक पत्र लिखा था जिसकी एक लाइन आज भी ज्यों की त्यों मेरे दिल दिमाग पर छाई हुई है कि तेरा गुरु समरथ (Guru Samrath) है। तू कभी उनसे दूर नहीं होना। उनकी ये सीख मेरे लिए काफी मददगार रही और मैं समझती हूँ कि ये प्रत्येक सत्संगी प्रेमी (Satsangi Premi) के लिए मददगार सिद्ध होगी।
दूसरी बात कि अक्सर कहा करते थे ‘साध तहाँ लो भय करे जब लग पिन्जर प्राण’। ये दूसरी बात भी मेरे दिल दिमाग में अमिट छाप बनाए हुए हैं। इसके लिए भी मैं यही सोचती हूँ कि सभी प्रेमी सत्संगियों (Peremiyo Satsangiyo) को इसे हमेशा याद करते रहना चाहिए और परमार्थ के रास्ते (Parmarth Ke Raste) पर बड़ी सावधानी से अपने को इधर उधर से बचाकर कदम बढ़ाना चाहिए। ये मन कब कहाँ किसको फिसला दे कहा नहीं जा सकता।
भूमिजोतक शब्द (Bhumi Jotak Words)
बहुत पुरानी बात है। सम्भवतः सन् 59 था। मथुरा में कृष्णानगर आश्रम (Kirsnanagar Aasram) में तब थोड़े से लोग ही रहते थे। एक बार किसानों (Kisano) की कोई चर्चा उठी थी। तब भूमिजोतक (Land Holding) शब्द नहीं आया था वैसे ये प्राचीन शब्द है। वह फिर से स्वामी जी महाराज ने इसे रखा। एक बार स्वामी जी ने कहा था कि किसान शब्द को बदनाम कर दिया गया।
कोई इसका कपड़ा लेकर भागा कोई इसका पैर लेकर भागा और कोई सिर लेकर। इसलिए यह शब्द दूषित हो गया। शुद्ध नाम (Sudhy Naam) अपने आदर्शों, मान्यताओं और लक्ष्य लेकर आया है। इसे आज की टुच्ची राजनीति दूषित कर ही नहीं सकती। हाँ तो बात उस समय चल रही थी कि भूमिजोतकों को एक बार उठाना ही होगा।
यह बात स्वामी जी महाराज ने कहा और यह भी कहा था कि जब तक इन्हें कर्जे से एक बार मुक्ति नहीं दिलाई जाती तब तक देश का कोई Bhumi Jotak (भूमिजोतक) (Land Holding) उठ नहीं सकता है क्योंकि इसका ऋण बपौती बनकर इसके साथ लगा हुआ है।
भूमिजोतकों का नारा (BhumiJotako Ka Naaraa)
आज जब ब्याजमाफी भूमिजोतकों (Land Holding) का नारा बन गया है हमें स्वामी जी महाराज की वह बात याद हो आई। मूलधन की बात क्या ब्याज ही द्रौपदी की चीर बना हुआ है। मूलधन को चौगुना, 8 गुना जमा हो चुका है ब्याज की शक्ल में फिर भी कर्ज ज्यों का त्यों लदा है। तब वह और दोहरी मार पड़ी भूमिजोतकों (Bhumi Jotak) पर।
कर्ज मंजूर हुआ 20 हजार पर। लेने में भी मारे गए और देने में भी मारे गए। भूमिजोतक (Land Holding) विचारा तो कर्जा लेकर मरा ही और ब्याज देते-देते घुटकर रह गया। देश की आबादी का 80 प्रतिशत हिस्सा घुट रहा है, दब गया है, गरीब बन गया है राजधानी में गरीबी हटाई जा रही है। मुद्दा भाषण का मजमून गरीबी हटाओ बना है। कितना बड़ा परिहास है इस बड़े गरीब तबके को।
साधुओं की आलोचना (Aalochna)
बात सन 1959 की है। हम स्वामी जी महाराज के साथ महोबा UP गए थे बीच में एक रात हम लोग हमीरपुर में पं0 उदित नारायण शर्मा के घर ठहरे। सबेरे स्थानीय कॉलेज के एक मैनेजर स्वामी जी से मिलने आए। शर्मा जी ने उसका परिचय स्वामी जी से कराया।
मैनेजर साहब स्वामी जी से लगे साधुओं की आलोचना (Aalochna) करने। स्वामी जी मुस्कुराते रहे। आखीर में जब उन्होंने देखा कि स्वामी जी के चेहरे पर उनकी आलोचनाओं का कोई असर ही नहीं हो रहा है तो उन्होंने कहा कि महाराज जी आप से एक बात पूछू? स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि पूछिए।
वे बोले कि मैंने कई जगह साधू सन्यासियों को बुरा भला कहा तो वे नाराज हो गए, भड़क गए, लड़ने को खड़े हो गए यहाँ तक कि चीमटा उठा लिया मारने को लेकिन मेरी गालियों को सुनकर आप मुस्कुराते रहे। इसका राज क्या स्वामी जी महाराज (Savami Ji Maharaj) बोले कि मुझे हंसी इस बात पर आ रही थी कि जिस आदमी को उसकी स्त्री घर में चप्पलों से मारती हो वह मेरे सामने शेखी बघारता है, महात्माओं की आलोचना (Aalochna) करता है।
भावनाओं का जबाव (Bhavanayo Ka Javaab)
यह सुनकर मैनेजर साहब को काठ मार गया। वह कुछ बोल ही न सके। स्वामी जी (Savami Ji) का तीर सीधा असर कर गया। इसी संदर्भ में मैं यह भी बता दूं कि मैनेजर साहब के मन में क्या था ये तो वह जानें लेकिन वह बार-बार हम सबकी तरफ उड़ती निगाहों से देख लिया करते थे।
Savami Ji Maharaj ने हम सबकी तरफ इशारा करते हुए जैसे परिचय देते हुए कहा कि ये हमारे शम्भू जी हैं कॉलेज में साइन्स पढ़ाते है, ये रामसमुझ जी हैं कचहरी में काम करते हैं, ये सच्चिदानन्द है, एकाउन्टेंट हैं और फिर अन्त में बोले कि ये लड़की भी बी.ए. पास है अभी ट्रेनिंग कर रही है। छुट्टी लेकर आई है। शायद उनकी भावनाओं का जबाव स्वामी जी ने दिया हो कि बाबा जी के साथ फालतू फण्ड के ही लोग नहीं रहते है।
निष्कर्ष
स्वामी जी महाराज (Savami Ji Maharaj) के द्वारा दिए गए सत्संग के माध्यम से भूमि जोतक (Bhumi Jotak) शब्द की शुरुआत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के द्वारा की गई, जो किसानों का एक परिचित नाम कह सकते हैं। आशा है आप को ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा हुआ गुरु महाराज की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव।
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