Kya Kahate Hain बाबा जयगुरुदेव। अति अच्छी नहीं। मीडिया का जाल। चुनावी मुद्दे

क्या कहते हैं? (kya kahate hain) बाबा जयगुरुदेव, चुनावी मुद्दे के बारे में, मीडिया के जाल के बारे में और अति अच्छी नहीं है इसके बारे में Kya Kahate Hain? बाबा जयगुरुदेव, चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से आप जानेंगे। महात्मा सब को जानते हैं वह देश के बारे में जानते हैं। आज के बारे में जानते हैं। कल के बारे में Jante Hia. आज जो हालात चल रहे हैं इसके बारे में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज Kya Kahate Hain? यह भी आप पड़ेंगे। उन्होंने देश बेचने (Desh Bechne) की बात भी कही है कि एक समय ऐसा आएगा कि राजनीति में रहने वाले लोगों के द्वारा देश को बेचा जाएगा चलिए जानते हैं। सत्संग आर्टिकल के माध्यम से बाबा जयगुरुदेव जी महाराज जी “क्या कहते हैं”

Kya Kahate Hain बाबा जयगुरुदेव
Kya Kahate Hain बाबा जयगुरुदेव

अति के बारे में Kya Kahate Hain बाबा जी

महाभारत (Mahabharat) शुरू हो गया था दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीति बना रहे थे। पाण्डवों की तरफ कृष्ण अपनी मुख्य भूमिका निभा रहे थे। जब किसी मुद्दे का विमर्श होता तो द्रौपदी अपने अपमान (Apmaan) का जिक्र जरूर करती और जब तक दु: शासन के खून से अपने बाल नहीं धोऊँगी मेरे बाल नहीं धुलेंगे।

ऐसे ही एक बार कृष्ण पाण्डवों (Krishna Pandav) के साथ रणनीति तैयार कर रहे थे। द्रौपदी फिर बीच में बोल उठी और वही अपना वाक्य दोहराया। कृष्ण झल्ला गए। बोले कि जब भी कोई बात हम लोग करने बैठते हैं तो तुम अपना वही रोना लेकर बैठ जाती हो। कितनी बार कह चुकी हो।

अति के बारे में Kya Kahate Hain? कहने का मतलब (Kahne Ka Matlav) यह है कि किसी भी बात की अति अच्छी नहीं होती। एक ही बात को सुनते-सुनते झल्लाहट (Gussa) आ जाती है, उससे चिढ़ होने लगती है उस आजादी के साठ (Aajadi Ke) सालों में हर बात की अति हो गई। भाषणों की अति, आन्दोलन, तोड़फोड़, हड़ताल की अति, चुनाव की अति, लड़ाई-झगड़े की अति, मार काट लूटपाट की अति कि अब सबको इस लोकतंत्र से ही नफरत हो गई है।

मीडिया के जाल के बारे में (Kahate hain) कहते हैं

सब लोग कहने लगे (Kahane Lage) हैं कि इससे अच्छा तो अंग्रेजी राज्य (Angreji Shasan) था। आजादी के नाम पर सब कुछ इतना उधड गया, इतना नंगा हो गया कि सब लोग जब गए। अब लोग भारत के भाग्य (Bharat ke Bhagya) को कोस रहे हैं कि विधाता ने भारत के भाग्य (Bharat ke Bhagya) में ऐसा लोकतंत्र क्यों लिखा?

मीडिया का जाल (Media Ka Jal) बिछ गया। अनेक रूप सामने आ गए। कमरे में बैठे विश्व से सम्पर्क करने की सुविधा हो गई जितनी सुविधा बड़ी उतनी ही बुराईयाँ भी बढ़ती गईं। जितने हाथों में कलम गई उतने ही समाज में (Samaj Me) नफरत के बीज बो दिए गए।

जाति के नाम (Jati Ke Nam) पर, वर्ण के नाम पर, छोटे-बड़े के नाम पर, अमीर गरीब के नाम (Amir Gariv Ke Nam) पर, शोषक शोषित के नाम (Ke Nam) पर इतनी वैमनस्यता फैला दी गई कि अब बाहर की कौन कहे घर में परिवार में मिलकर बैठना दूभर हो गया।

जयगुरूदेव के शब्दों में (Jaigurudev Kahte Hai)

इतने शब्द आ गए कि उस जाल मेंमानवता फंस गई। अंग्रेजों के जाने के बाद भारतवासियों (Bhartvasiyo) ने सोचा था कि स्वर्णयुग (Golden Age) आएगा, खुशहाली आएगी, धर्म और सत्कर्म आएगा लेकिन सब उल्टा हो गया। विदेशियों ने हमारी परम्पराओं को नहीं छेड़ा था, हमारी सभ्यता और संस्कृति (sabhyata aur Sanskriti) के साथ इतनी छेड़छाड़ नहीं की थी, धर्म और सत्कर्म के साथ छेड़छाड़ नहीं किया था जो साठ सालों में हुआ।

बाबा जयगुरूदेव Kya Kahate Hain अपने शब्दों में अंग्रेज चले गए पर अंग्रेजियत को हमने बिल्ली के बच्चे की तरह अपने गोद में चिपका लिया। वह अंग्रेजियत (Englishness) भी इतनी विभत्स हो गई कि अब लोग कहने लगे (Kahne Lage) कि फिर और सीरियल तो परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते पर अब तो विज्ञापन भी देखने लायक नहीं हैं।

Baba Ji Kahate hain चुनावी मुद्दे बनाए जाते

रोज-रोज चुनाव होते है, नये-नये चुनावी मुद्दे बनाए जाते (Banaye Jate) हैं, नये-नये शब्द-कोष का निर्माण किया जाता है। गांधी महात्मा ने एक शब्द निकाला हरिजन (Harijan) ये शब्द नया नहीं था। ये भक्तों के लिये कहा जाता था वह चाहे रैदास (Ravidas) चमार हों या कबीर (Kaveer) जुलाहा हों या धर्मदास (Dharmdas) बनिया हो या गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas) जी ब्राह्मण हों। लेकिन इस शब्द को गांधी (Gandhi) जी ने वर्ग विशेष से जोड़ दिया। लोकतंत्र अष्टावक्र की तरह टेढे मेढ़े रूप में बढ़ने पनपने लगा, नये-नये शब्द कोष आने लगे और हरिजन (Harijan) की जगह शब्द आया दलित।

चुनाव शब्द कोष (Chunavi Sabdhy)

मुझे याद है कि एक दलित से मैंने पूछा था कि तुमको दलित कहा जाता (Dalit Kaha Jata) है तो तुम्हें अच्छा लगता है? उसने हंसते हुए कहा कि सबसे बड़ा रूपइया भैया’। हमको दलित कहने के लिये पैसे मिलते है। मैं अवाक उसकी ओर देखता रहा। अब फिर चुनावी माहौल (Chunavi Mahol) गर्मा रहा है।

चुनाव की चर्चा (Chunav Ki Charcha) हो रही है। दो नये शब्द चुनाव शब्द कोष में जोड़ दिए-अति दलित, अति पिछड़ावर्ग। अब इसकी लपेट में कौन आएगा अब ये तो चुनावी पंडित ही समझें लेकिन अति शब्द आ गया है तो कुछ होगा। Kya Hoga यह तो वक्त बताएगा।

Baba Ji Ne Kaha Tha देश को बेच देंगे

लगभगत 160 वर्ष पूर्व आनन्द बाबा (Aannd Baba) नाम के एक महात्मा हुए हैं जो लक्कड़ बाबा के नाम से भी जाने जाते है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी राज्य (Angreji Shasan) खत्म होने के बाद भारत में लोकतंत्र आएगा। “देश ऐसे लोगों के हाथ में चला जाएगा तो देश को बेच देंगे” फिर कुछ होगा उसके बाद राजतंत्र आ जाएगा। जयगुरूदेव बाबा के शब्दों में छोटे-छोटे लोगों ने राजे रजवाडोंको खतम किया, जमीदारों, जागीदारों को खतमकिया तो आगे आने वाले लोग भी कुछ करेंगे।

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महाबली एक शासक होगा, धर्म मुकुट सिर पर धारेगा।
धरासे देगा पाप हटाय, जयगुरूदेव की वाणी।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आपने यह जाना कि परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज अपने सत्संग के माध्यम से Kya Kahate Hain और लोगों को क्या संदेश दिया। इस देश के बारे में, भविष्य के बारे में, राजनीति और मीडिया के बारे में, किसी भी बात की अति के बारे में, “क्या कहते हैं” बाबा जी. यह आपने जाना, आशा है आपको ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा, जय गुरुदेव मालिक की दया सब पर बनी रहे।

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