कयामत (मौत) के दिन अन्त में क्या काम आयेगा?

कयामत के दिन अंत समय में इस संसार से हमारे लिए क्या काम आएगा? क्या यह धन दौलत काम आएगी, घर परिवार काम आएंगे, या आध्यात्मिक नेक कर्मा का कर्तव्य काम आएगा। महापुरुषों की दिव्य दृष्टि खुली हुई होती है, वह सब कुछ देखते हैं। वास्तव में जब हम इस संसार को छोड़कर जाएंगे क्या यह पैसा, मोटर, बंगला, गाड़ी यह सब काम आएंगे जी नहीं। महापुरुष सब कुछ बतलाते हैं हमारे लिए कयामत के दिन उस समय हमारे साथ क्या जाएगा? यह सब कुछ महापुरुष बताते हैं चलिए जानते हैं। इस सत्संग पोस्ट के माध्यम से अंत समय में कयामत (मौत) के दिन क्या हमारे साथ जाने वाला है।

कयामत के दिन
कयामत के दिन

अन्त में क्या काम आयेगा

आत्मिक भक्ति ही अन्त में काम आती है और सब धन मित्र बन्धु पीछे रह जाते हैं। उस दिन के लिए परलोक में सदा के रहने वाले और स्थिर बैंक में रूहानी भक्ति का हिसाब खोलो और वहाँ पर भक्ति करके अपना हिसाब डाले जाओ और धन को बढ़ाए जाओ।

यदि तुम्हारी आयु संसारी सुख व दुख और धन दौलत के जमा करने में व्यतीत हुई है और कोई लगन के साथ आत्मा की उन्नति करने का यत्न नहीं किया तो कयामत (तथा मौत) के दिन तुम अपने को रूहानी दिवालिया पाओगे और फिर अफसोस करना व्यर्थ होगा। लेकिन आदमी को माल खजाना पीछे छोड़ना पड़ता है कर्मो का हिसाब आत्मा के साथ जाता है। अन्त में अपने कर्मो के अनुसार दुःख और सुख मिलता है। जो बोया वही काटा।

गुरु की दया लेकर

जो सच्चा होकर और गुरु की दया लेकर अन्तर में चलेगा और मार्ग पूछकर कदम उठावेगा वही एक दिन दया मेंहर से धुरधाम की वाणी सुनेगा। जो कभी इस मार्ग पर पांव नहीं उठावेगा वह कभी वहाँ नहीं पहुँचेगा। इस रास्ते में बहुत हिम्मत और परिश्रम की जरूरत है। मन और सुरत संसार की तरफ धीरे-धीरे फंसे हैं और धीरे-धीर निकलेंगे।

ता0 14-6-62 कानपुर किदवई नगर के सतसंग में आम भारी समूह को संकेत किया और कहा कि जो आशा आप राज्य की ओर लगाए हैं, वह उम्मीद खतम कर दें कि राज्य सुख और शांति देगा। जो लोग राज्य का धन बिना मेहनत का चुरा लेगे उनकी उनके बच्चों की बुद्धि भ्रष्ट हो जायेगी जैसा कि आज हो गया है।

हर एक मनुष्य के जीवन का पतन हो चुका है। साथ लड़के और लड़कियाँ भी बरबाद हो गये हैं यह उसी राज्य धन का असर है जिससे शराब, मांस, अण्डा, मछली, मुर्गी, हिंसा, चोरी फूट एक दूसरे के हक को छीनना कतल दुश्मनी प्रेम खतम, हर व्यक्ति में स्वभाव की गिरावट बुरी तरह से हो चुकी है।

अपनी जिन्दगी से परेशान

भौतिक वाद का मतलब आज के लोग यह लगा रहे हैं कि जैसे भी हो रूपया, मकान कपड़े साफ मोटर आदि रक्खी जाय तथा जहाँ तक हो सके अपनी बुद्धि से दूसरे के धन का अपहरण कर लिया जाय यही भौतिक उन्नति है। परन्तु यह भौतिक उन्नति नहीं है जिससे अशान्ति आवे और हर मनुष्य अपनी जिन्दगी से परेशान हो जाये।

प्रमाण पत्र पुस्तकें महापुरूषों के अनुभव से युक्त हैं उसमें जीव को शान्ति तथा भविष्य में आत्म कल्याण का मार्ग है जिसका संकेत गुरु के द्वारा किया है। सुख शान्ति का सच्चे स्थान गुरु हैं। वहीं से भौतिक तथा आत्मिक शान्ति पूर्णरूप से मिला करती थी।

उन प्रमाण पत्रों को त्याग दिया और मृणतृष्णा की भाँति जगह-जगह लम्बी दौड़ लगाने पर भी शान्ति न मिली। यह भौतिक अशांति साधन निषेध हैं। तुम सबको छोड़कर गुरु के पास दौड़ो देर मत करो, यदि शिवनेत्र आँख खुलानी है इसी कलयुग में रहकर तो तुम उन गुरु के में के पास दौड़कर पहुँचो नहीं तो तुम्हारा कीमती समय निकला जा रहा है। चलो दौड़ो और जाओ जो हम दें उसे ले लो।

शिवनेत्र खुलेगा

शिवनेत्र खुलेगा गुरु के प्राप्त होने पर। उस गुरु की आज जरूरत है और जो गुरु बिना किसी टिकट फीस के चिल्लाता हो कि आओ और शिवनेत्र प्राप्त करो। इसमें तुम्हारा नुकसान ही क्या होगा। दौड़ पड़ो ले लो। शिवनेत्र की रोशनी स्वयं मिलेगी तुम खुद दौड़ पड़ोगे और उसी रोशनी के आशिक बन जाओगे।

जिस किसी का दिल चाहे हमारे पास आये अपना समय मुझे दे। भाव प्रेम श्रद्धा होना तो जरूर है। समय तुम दोगे तब तुम्हारी आँख खुली कि तुम्हें प्रभू की रचना नजर पड़ने लगेगी। बहुत से सुन्दर दृश्य दिखाई पड़ने लगेंगे और अन्दर का अन्धेरा जाता रहेगा। दोनों आँखों के सामने बैठमे वाली जीवात्मा की आँख प्रकट होगी जिससे दिव्य दृष्टि खुलती है। आओ समय दो।

शिवनेत्र खुल जाएगा

जैसा कहूँगा वैसा करोगे तो शिवनेत्र खुल जाएगा। शराब, मांस, अण्डा, जीव हिन्सा घूस परनारी सब छोड़ना होगा। छोड़ कर चले आओ और शिवनेत्र खुलवाओ। मानव अवतार केवल शिवनेत्र पाने के वास्ते मिला है। बिना ध्वनि सुने हुए सुरत जग नहीं सकती है।

सुरत को जगाना है तो मन को बस में करना होगा। मन ही सुरत का साथी और मोक्ष का सहयोगी है। सारे ग्रन्थ मन को बश में करने के लिए लिखे हैं। साधना करना ही उत्तम है और गुरु की दया लेकर ही साधन करेगा तो उसकी तरक्की होगी।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आपने यह जाना कि कयामत (मौत) के दिन अन्त में क्या काम आयेगा? हमारे साथ क्या जाता है? इस संसार से अंत समय हमारे लिए क्या काम आएगा? हम जीते जी परमात्मा के दर्शन कैसे कर सकते हैं? शिव नेत्र को कैसे खोल सकते हैं? इन तमाम चीजों को पढ़ा। आशा है ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा। गुरु महाराज की दया सब पर बनी रहे, जय गुरुदेव।

READ: साधक का भजन क्यों नहीं बनता? सचेत होकर भजन पर बैठे

Rate this post