तीसरी आँख से भगवान पाने का अवसर || इसी मनुष्य शरीर से Bhagwan Darshan

तीसरी आँख से भगवान पाने का रास्ता इसी मनुष्य शरीर से गया है और महात्मा ने Bhagwan Darshan की सरल युक्ति बतलाते हैं। योग साधना से अपनी दिव्य दृष्टि खोल का भगवान दर्शन (Bhagwan Darshan) किया जा सकता है। यह तभी संभव होता है जब हमें पूर्ण महापुरुष या महात्मा मिल जाए, जो हमें रास्ता बताओ उस रास्ते पर हम चले तभी संभव हो सकता है। चलिए भगवान दर्शन के बारे में महात्माओं ने क्या बताया है जानते हैं।

Bhagwan Darshan
Bhagwan Darshan

Bhagwan Darshan पाने का अवसर

आप कहोगे कि हम को भगवान के पाने का अवसर (bhagwan darshan) नहीं दिया। इससे बढ़कर और क्या मिलेगा? अब आपको इस में बैठकर किसी महात्मा की खोज करना है जो भगवान को पा चुका। उसको अगर आपने पा लिया और उसके पास अगर पहुँच गये तो भगवान को पाने की आपमें इच्छा जाग जायेगी। तो आप कहोगे कि मुझे रास्ता बताओ तो रास्ता बता देगा।

आप बैठ कर मनुष्य रूपी मकान में फिर भजन करना। जब भजन करोगे तो तुम्हारी दिव्य आँख ज्ञान चक्षु (तीसरा नेत्र) खुलेगा। उस नेत्र से bhagwan darshan देवी और देवता देखे जाते हैं। ये बाहर की जो चर्म आंखे हैं जो शरीर की आंखें ये देवी देवता स्वर्ग और वैकुण्ठ को नहीं देख सकतीं।

तुम्हारी अन्दर की आँख खुल जायेगी वह उनको देखेगी और उनसे मिलेगी और भगवान (bhagwan darshan) को देखेगी। तब बेड़ा पार होगा तब और भवसागर से उतरोगे। ऐसे नहीं मेरी तरफ बड़ी ध्यान से देखो ये दोनों आंखों के बीचोंबीच में सब मनुष्यों में जीवात्मा बैठी हुई है।

मनुष्य शरीर का नाका

इधर देखो आप ये दोनों आंखों के बीचों बीच में तो ये शरीर के नाक के ऊपर बैठी है। उधर में स्वर्ग का नाका इधर में मनुष्य शरीर का नाका तो जो आपको यहाँ बैठाया था और आपसे ये कहा था जिसको पकड़ कर आये उसको छोड़ना नहीं तो आप सुख सुविधा में लग गये और ये संसार के ये काम ये करने लगे ये देखने लगे सुनने लगे और इन पदों को कहने लगे कि ये मेरा है,

ये बच्चा मेरा है ये कोठी मेरी है, ये पेड़ मेरा और ये मेरा-मेरा तो इस लोभ लालच में मोह ममता में फंस गये। तो अन्दर में मैल जमा हो गया तो अंदर की जो तुम्हारी जीवात्मा की आँख थी एक वह तो। गयी बन्द। एब देखना बन्द हो गया और सुनना बन्द हो गया।

तो दो आंखें तुम्हारे शरीर में और एक जीवात्मा में तीन आँख हो गयीं। तीन तुम किताबों में देखो उसमें लिखा हुआ है कि महात्माओं के पास जाओगे तब तीसरी आँख मिलेगी और फिर बिना महात्माओं के पास गये हुए तीसरी आँख नहीं मिलेगी।

तीसरी आँख से Bhagwan Darshan

तीसरी आँख से स्वर्ग मिलेगा, वैकुण्ठ मिलेगा, ईश्वर का दर्शन (bhagwan darshan) होगा। इन चर्म आंखों से ईश्वर, देवी, देवताओं को आप नहीं देख सकते हो। फिर उन्होंने कहा कि भाई देखो ये जीवात्मा बैठी है उसमें एक कान, एक नाक, एक आँख और शरीर में दो कान तो बाहर के कान बाहर की आँख बाहर की आवाज सुन रहे हैं।

जीवात्मा का कान भगवान की आवाज को सुनेगा तो तुम्हारे घट-घट में मनुष्य रूपी मकान में घण्टे और घड़ियाल आरती पूजा चौबीसों घंटे हो रही है। तुमने कभी अपनी जीवात्मा से उसको सुना और देखा नहीं। सो रहे हो ऐसे ही चले जाओगे। न ये जमीन जाएगी, न तो ये बच्चे जाएंगे, न तुमने सोना चांदी जमा किया वह जायेगा, न कपड़े जायेंगे।

ये कुछ भी नहीं सब छोड़ के और तुमको यहाँ से निकालकर इसी मकान को उठा करके वहाँ जंगल में ले जाकर समसान में जला देंगे। क्या आपके साथ जायेगा क्या लाये थे आप। कुछ नहीं अकेले आये थे जब जाने लगोगे तो अकेले जाओगे।

लेकिन इस माया में इसमें ऐसे जड़ माया में फंस गये हो कि तुमको अपना होश ही नहीं है कि मैं किस रास्ते से आया हूँ कैसे वापस जाऊंगा? रास्ता भूल गये अब महात्मा महापुरुषों की जरूरत है। रास्ता बताए बिना उनके रास्ता बताये हुए जो जानता है वही मनुष्य रूपी मकान में बतायेगा और तुम्हारा ये जो दिल है ये हृदय जो कूड़ा-कचरा, पाप और पुण्य का यहाँ भरा है जीवात्मा ये शरीर ये नहीं। उसको महापुरुष साफ करेंगे और फिर जब सफाई कर देंगे तो मन, बुद्धि और चित्त तुम्हारा निर्मल हो जायेगा।

ईश्वर का साक्षात्कार दर्शन (Bhagwan Darshan)

तो जीवात्मा जब साफ होगी तो आँख खुल जायेगी। कान भी खुल जायेंगे सुनने भी लगोगे, देखने भी लगोगे जब दिखायी देगा तो देवी, देवता से मिलना भी। उनसे बात भी करना और उसका रचने वाला है जो है जिसने ये सब कुछ बनाया उस ईश्वर का भी दर्शन साक्षात्कार (bhagwan darshan) लेकिन तुम्हारे मनुष्य रूपी मन्दिर में ही उसका घाट है। उसके पास जाने का, ये असली मन्दिर है ये मनुष्य मन्दिर है, इसी को जिस्मानी मस्जिद कहते हैं।

इसी बॉडी को कहते हैं चर्च इसमें जीवात्मा बैठी हुई है जीवात्मा चेतन है शरीर जड़ है। इसमें आकर के फंस गयी अब इसको कैसे निकाला जाय वह तो महात्मा जब युक्ति बतायेंगे, रास्ता बतायेंगे तो धीरे से ये जीवात्मा मतलव जाग जायेगी और निकालकर बाहर शरीर से बाहर खड़ी हो जायेगी। कैसे खड़ी होगी जैसे मृत्यु के वक्त में जबरदस्ती निकाल कर बाहर कर दिया शरीर यह पढ़ा, ऐसे ही साधन भजन करने पर जीवात्मा अलग हो जाती हैं।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग कंटेंट के माध्यम से आपने यह जाना कि महात्मा उस युक्ति को जानते हैं जिस युक्ति से Bhagwan Darshan किया जा सकता है। यदि हमें भगवान दर्शन करना है तो पूर्ण महात्मा की खोज करना जरूरी है। जिसने दर्शन किए हैं वही करा सकता है। आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद, मालिक की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव।

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