Bhagwan ko manne wala कितने प्रतिशत लोग हैं भगवान पर कितना आस्था रखते हैं? इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से भगवान को मानने वाले कितने प्रतिशत लोग हैं? आप जानेंगे। भगवान को मानने वाला एक शब्द? क्या दिखावा भगवान को मानना है अंदर से भगवान को या ऊपर से मानना महात्माओं ने सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है चलिए जानते हैं
Bhagwan Ko Manne Wala कितने प्रतिशत
आजकल इसी तरह के लोग हो गए कि अपने को हिन्दू धर्म का महज जाहिर करते हैं लेकिन रामायण की कोई खास जरूरत नहीं। गीता की कोई खास जरूरत नहीं। भगवान को मानने की कोई खास जरूरत नहीं है। भगवान-वगवान कहीं कुछ नहीं है।
इस प्रकार के मनुष्य इस संसार में हैं ज्यादातर मैं कहूँगा 85 फीसदी और क्या बल्कि 90 फीसदी लोग इस समय पर ऐसे ही हैं जो भगवान को नहीं मानते बल्कि आपको मोल्ड करने के लिए या अपने किसी स्वारथ बस ये जाहिर कर दी कि हम हिन्दू हैं।
हम सनातन धर्मी हैं हम आर्य हैं। परन्तु न उनको आर्य धर्म से मतलब है न सनातन धर्म से मतलब है न किसी और ही धर्म से। यह है कि अपनी स्वारथ सिद्धि लगी हुई है। कोई पद लेना हो इन सब चीजों को पाना हो तो लोगों को मिलाने के लिए कह दिया कि हम रामायण को भी मानते हैं,
भगवान को मानने वाला एक शब्द
तुम्हारे धर्म को भी मानते हैं हम गीता भी मानते हैं वाकी भगवान वगवान मानते कुछ नहीं।
फंसे जाल में पचे कर्म में।
बोया खाया पड़े भर्म में।
कहते हैं ‘ फंसे जाल में पचे कर्म में। जाल में तो फंस ही गये लेकिन कर्म में भी पच गये और उसके बदरूप हो गये। फिर धोखा खाया पड़े भर्म में। धोखा तो हो ही गया भाई, रास्ता छूट गया। कुरस्ते पर चले गये। कर्म करने लगे और लपट गये उसमें।
भगवान का दर्शन (Bhagwan Ka darsan)
धोखा खाया पड़े भर्म में। अब क्या धोखा है? कहते हैं भाई, Bhagwan का दर्शन कहाँ हो जायेगा? भाई प्रयाग राज में। ठीक। भाई प्रयाग राज में गये। प्रयाग राज वाले क्या कहते हैं? अरे भाई, चलो हरिद्वार में दर्शन भगवान का होगा। ठीक। भाई हरिद्वार गए। हरिद्वार वाले क्या कहते हैं? चलो बाई द्वारिका चलो। वहाँ भगवान का दर्शन होगा।
अच्छा भाई, द्वारिका भी गए। द्वारिका वाले क्या कहते हैं? अरे भाई चलो वहाँ काशी जी चलो। वहाँ भगवान का दर्शन होगा। कोई रामेश्वर के लिए चिल्ला रहा है कि भगवान का दर्शन होगा। रामेश्वर वाले इधर आते हैं काशी वाले उधर जाते हैं, हरिद्वार वाले जो हैं द्वारिका जाते हैं।
घट में गंगा, घट ही में यमुना
अरे भाई! कोई कहीं जाता है। यही भरमना हो गया और क्या? कितना साफ-साफ वयान किया है अरे भाई कहते हैं;
घट में गंगा, घट ही में यमुना, घट ही में सब तीरथ।
तुमने उसको तो पाया नहीं जहाँ ये सब चीजें दरिया के रूप में बह रही थीं। स्नान करते निर्मल हो जाते। अब इधर उधर दौड़ते हो शरीर को लोग लेकर दौड़ते रहे चारों तरफ। भाई इससे क्या आत्म-कल्याण हो जायेगा? नामुमकिन बात। ऋषि, मुनि, महात्मा, साधु, सन्त दरिया के किनारे सर्वदा से रहते रहे। अनुभवी पुरुष जहाँ थे उनके पास में लोग गये।
निष्कर्ष:
ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने इस आर्टिकल में यह जाना कि भगवान को कितने प्रतिशत लोग मानते हैं? साथ में भगवान पर आस्था रखने वाले लोग कितने क्या है और क्या करते हैं? तमाम चीजों को महात्माओं सत्संग के माध्यम से बताते हैं। जो आपने कुछ महत्त्वपूर्ण अंश को पढ़ा। आशा है आपको Bhagwan Ko Manne Wala कितने प्रतिशत लोग हैं? जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे, जय गुरुदेव;
Read: Divya Drishti
Last Updated on 25, July, 2023