घटनायें सबक देती || सम्हल जाये || धोखे से (Dhoke Se) बचना चाहिए ||

Dhoke Se Bache जीवन में घटनाएँ सबक देती हैं, सचेत करते हैं, अलर्ट (Alert) प्रदान करती हैं, उन घटनाओं से हम एक सबक ले सकते हैं। समय रहते यदि हमने अपनी Life संभाल कर ली तो हम धोखे से (Dhoke Se) बच सकते हैं। Dhoke Se कैसे बचना है? इसके बारे में महात्माओं ने सब कुछ उदाहरण के तौर पर समझाया है। समय रहते संभल जाएँ घटनाएँ (Events) रोज कभी न कभी सबक प्रदान करती हैं। पहले से आगाह करती हैं और धोखे से बचना चाहिए, चलिए इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं।

Dhoke Se

Dhoke Se सम्हल जाये

घटनायें रोज सबक देती हैं कि हम सम्हल जाये, चेत जाये लेकिन हम पर कोई असर नहीं होता है। कोई घटना हो गई उस पर बयान बाजी हुई, ये हाई एलर्ट वह हाई एलर्ट का नगाडा बजा और फिर सब कुछ जैसे का तैसा चलने लगा। कितनी बेगुनाह जिन्दगी खत्म हो गई, कितनी माताओं की गोद सूनी हो गई होगी,

कितनी औरतों की मांग सूनी हो गई हो गी, फिर कितने मासूमों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया होगा। उसके दर्द का अनुमान कौन लगा सकता है? बम ब्लास्ट इस तरह से होने लगे जैसे आतिशबाजी हो। कभी पूरब, कभी पश्चिम, कभी उत्तर कभी दक्षिण कभी ट्रेन में, कभी बस में ब्लास्ट की खबरें आती रहती है। लेकिन इसका ठोस कदम नहीं दिखाई देता। Dhoke Se Sambhal Jaye,

यह भी सत्य है कि इसके लिए ठोस कदम हम आप तो नहीं उठायेगे। उठाना तो उनको है जिनको हमने देश की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। ये राजतंत्र तो है नहीं और राजाओं महाराजाओं, बदशाहें, सुल्तानों के इतिहास में ऐसी घटनायें पढ़ने सुनने को मिली भी नहीं।

पहले आगाह किया Sambhal Jaye

सवाल ये है कि खुफिया विभाग तो हर छोटे बड़े देश का अपनापना होता है। उनका काम ही ये है कि सबको जानकारी दें। हमारे यहाँ भी वह विभाग है, अच्छे लोग हैं लेकिन एक ओर धरती बेगुनाहों के खून से रंगती है तो दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाजी होती है,

केन्द्र और प्रान्त की बहस छिड़ जाती है। केन्द्र कहा कहना है कि हमने प्रान्त को पहले आगाह (warning) किया, प्रान्त कहता है कि हमें पहले कोई सूचना नहीं मिली। हकीकत जो भी हो सवाल ये है कि जिम्मेदारी तो केन्द्र की पूरे देश के लिए है उसे भी तो कोई कदम उठना चाहिए। केवल मात्र आगाह कर देने से जिम्मेदारी कम नहीं हो जाती।

धोखे से (Dhoke Se) बचना चाहिए

कहने का मतलब कि जो हो रहा है वह तो हम सब लोग देख रहे हैं, सुन रहे हैं, समझ रहे हैं फिर भी बार-बार हम क्यों धोखा (Dhokha) खाते हैं फिर उसी गडढे में गिरते हैं फिर हाय-हाय करते हैं अब तो हमें इस Dhoke Se बचना चाहिए, कुछ सोचना विचारना चाहिए। जनता जनार्दन आकर महात्माओं से पूछें वह कोई रास्ता बतायेंगे इस धोखे से बचने का हम कहेंगे तो अपने बाबा जी की ही बात कहेंगे, बार-बार उसी की याद दिलायेंगे।

बाबा जी ने कहा था कि वोट की झाडू से जीते हारे नये पुराने सभी एम. पी. एम. एलों को एकतरफ से निकाल बाहर कर दो। नये लोगों को मौका दो। फिर सारी व्यवस्था सम्भल जाएगी। कहने को बाबा जयगुरूदेव जी ने बहुत कुछ कह रखा है, हर तरफ से समझाया है लेकिन हम अपनी बुद्धि को कुन्द कर दें तो बाबा जी क्या करें। अन्त में हम फिर बाबा जी के शब्दों को ही याद करते है हार कर, मजबूर होकर, लाचार होकर तुम्हें मेरी बात माननी होगी।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आप ने धोखे से बचना चाहिए, घटनाएँ हमें सबक प्रदान करती हैं, हमें सचेत रहना चाहिए, समय रहते हम महात्माओं की शरण में जाकर अपनी संभाल करवा सकते हैं। आशा है आपको दिया गया कंटेंट “सम्हल जाये धोखे से (Dhoke Se) बचना चाहिए” जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सबको प्राप्त हो, जय गुरुदेव

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