Jivan Ka Arth क्या खाना-पीना मौज मस्ती है? Jawani में करें ये

इंसान को Jawani में क्या करना चाहिए? क्या खाना-पीना मौज मस्ती करना यही जीवन का अर्थ (Jivan Ka Arth) है। महात्मा अपने तजुर्बे और अनुभव, अध्यात्मिकबाद से kya और बताते हैं चलिए जानते हैं। संसारी को आध्यात्मिक दौर में रहस्य में जवानी (Jawani) और जीवन (Jivan) का महत्त्व आर्टिकल पढ़ें। स्टार्ट करते हैं जय गुरुदेव,

Jawani में करें ये
Jawani में करें ये

Jivan Ka Arth (जीवन का अर्थ)

जीवन का अर्थ यदि हम अच्छी तरह से समझ लेते हैं तो हमारे इस मनुष्य शरीर में आने का मकसद पूरा हो जाता है। वास्तव में सांसारिक दृष्टि से देखा जाए तो जीवन में खाना-पीना, मौज मस्ती करना Jawani को जोश में लाना और ना जाने सांसारिक वस्तुओं को इकट्ठा करना, महल घोड़ा गाड़ी वाहन इकट्ठा करना, यह तमाम जरूरतें इस Jivan Ka Arth समझा जाता है।

लेकिन महात्मा जीवन का सही अर्थ समझाते हैं। क्योंकि हम इस मनुष्य शरीर में आए हैं कुछ ही दिनों के लिए, जब हम यह शरीर छोड़ेंगे तो यह संसार की तमाम वस्तुएँ हमारे साथ नहीं जाएंगे। फिर इस जीवन का अर्थ ही क्या निकला है? वास्तव में इस जीवन का सही अर्थ जानना है तो महात्माओं की खोज करें वह आपको जरूर बताएंगे।

जवानी अवस्था (Jawani main)

आपको लेकिन जब नहीं मिलेगा कोई तब जीवन चला जायेगा बेकार व्यर्थ खो दिया। Jawani मनुष्य शरीर जवानी भी गयी बचपन में कुछ नहीं कर सकता है। बाल अवस्था कुछ कर नहीं सकता कोई जोर भी नहीं में जवानी आये बुढ़ापे में कुछ नहीं कर सकता। जवानी मस्ती में गुजर गया और खतम कर दी।

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अब आगे चलने के दिन है तो फिर तुम्हारे ही जवाब देने लगे और उधर बैठ जा जवानी में बहुत कुछ किया। तो आपको हो जायेगी तकलीफ कि मेरा बच्चा इस तरह से कह रहा है और जवानी (Jawani) का इसको जोश चढ़ा हुआ है। तुम पर बुढ़ापा आ गया अलग कर देगा कि तुम चुपचाप बैठे रहो।

घर में जो बहुये आयेंगी तुमको रोटी समय से दी ना दी और नहीं तो शाम को देगी। कभी शाम नहीं तो सुबह देगी और तुम पड़े कहो उससे कि हमने इतना पालन पोषण किया और बच्चे हमारी बात बहुएँ भी नहीं मानती हैं।

Jawani में उलझन

एक तो बचपन में रोते बिताये आप में और भी दवा कुछ और मर्ज कुछ है पीड़ा कुछ हो रही है वह दवा पेट की और पेट में दर्द है तो शिर की दवा और बच्चा रो रहा है हाय-हाय अब करता एक तो आपने वह बिता दिया और एक तो आप ने जवानी में आपने उलझन में और बुढ़ापा आ गया तो रो करके चले जाओ.

वह कोई काम नहीं आया न Jawani काम आयी न बालावस्था न बुढ़ापे में काम आये तो जीवात्मा का काम तो आपने कुछ भी किया नहीं। ये इन्द्रियों का काम किया ये इन्द्रियाँ क्य हैं कीड़ों में पुरानी हो गयीं आँख नहीं काम करती कान नहीं काम करता और मुँह नहीं काम करता है। अब रो रहे हो, चिल्ला रहे हो।

जीवन ऐसा ही जायेगा (Jeevan Aisa hi)

ऐसा मत करो प्रेम के साथ सब लोग रहो और ये समझें कि हम दुखिया हैं। ये यहाँ काम के लिए यह नहीं तुम्हारा काम। प्रभू को पाने का है। असली काम तो तुम्हारा यह काम है और उसको छोड़कर आप कीचड़ में फँसते चले गये। अब इसको इकट्ठा किया जाय और इससे सब कुछ मिल जायेगा और क्या मिला।

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आपको जिनके पास करोड़ों जिनके पास अरबों वह रो रहे है चिल्ला रहे हैं और अब कहते हैं कि हमको दवा दे दीजिए और भाई तुमको सुख मिलता आनन्द मिलता तु क्यों नहीं ले लिया। अरे वहाँ कुछ नहीं है। अब आप इधर जा रहे हो तो आपको Jivan mai क्या मिलेगा?

न आपको न उनको किसी को कुछ नहीं। घर में काम करते शाम को बच्चों की सेवा अपना फर्ज अदा करते और उसके बाद बैठ करके ध्यान-भजन करते मनुष्य मन्दिर में तो जीवात्मा सच्चे घर को प्राप्त कर लेती। सच्चा घर मिलेगा नहीं किसका कल्याण होगा। जीवन ऐसा ही चला जायेगा।

दो शब्द: जवानी में करें एक काम

देख देखा जाता है कि जवानी में हम हर मुश्किल को कामयाब बना सकते हैं। हर परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं। Jawani में हम अपने जोश में यदि कोई काम करें तो वह नामुमकिन नहीं होता है। ठीक इसी प्रकार से Jivan में यदि परमात्मा को प्राप्त करना,

सुमिरन ध्यान भजन किया तो हम अपने जीवन के अर्थ में कामयाब हो जाएंगे। क्योंकि जब हमारा बुढ़ापा आता है हाथ पैर सब कुछ जवाब देने लगते हैं। जीवन में जवानी (Jivan Main Jawani) की एक ऐसी अवस्था है जिसमें हम हर परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

महानुभाव ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से आपने Jivan Ka Arth कैसे समझ सकते हैं? कहाँ से इसका मार्गदर्शन मिलेगा? जवानी में हम क्या करें और कैसी Jawani में उलझने रहती हैं। आदि तमाम प्रकार की जानकारी पढ़ी। आशा है आपको ऊपर दी गया दिया गया Satsang आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। सत्संग पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद मालिक की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव,

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