
जय गुरुदेव नाम योग साधना मंदिर, बाबा जयगुरुदेव मथुरा बाबाजी के करोड़ों अनुयायियों और उस उन अनुयायियों के बीच में सत्संग में बाबा जयगुरुदेव ने मानव जाति से आग्रह किया कि किसी जीव की हिंसा मत करो। बाबा जी ने विश्व के लोगों से अपील की कि पशु पक्षियों की हत्या मत करो। इतनी बीमारी क्यों फैल गई हैं। सुरत शब्द नाम योग साधना आदि बातों को जो बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के मुखारविंद से दी गई हैं। इस पोस्ट में पढ़ेंगे, पोस्ट को पूरा पढ़ें। जय गुरुदेव
नाम योग साधना मंदिर बाबा जय गुरुदेव मथुरा,
समस्त महानुभावों को जय गुरुदेव। नाम योग साधना मंदिर बाबा जयगुरुदेव मथुरा विश्व प्रसिद्ध अद्भुत एवं प्रसिद्ध मकराना की सफेद संगमरमर पत्थरों से बना नाम योग साधना मंदिर बाबा जयगुरुदेव मथुरा एक ऐसा मंदिर है। जहाँ परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने हजारों करोड़ों आम लोगों को बरकत वाटी आज भी मंदिर के देवता मन्नत पूरी करते हैं।
अपनी कोई भी बुराई त्याग दे, बुराइयों को छोड़ने पर मनोकामना पूरी हो रही है। बाबा जयगुरुदेव जी के करोड़ों अनुआई प्रतिवर्ष यहाँ आकर सत्संग का लाभ उठा रहे हैं। परमात्मा जीवनकाल में ही मिलता है। उनके दर्शन होते हैं, उनकी क्रिया सत्संग से बताई जाती है। बाबा जयगुरुदेव जी ने अपने गुरु महाराज की याद में मंदिर बनवाया है और इसके निर्माण में किसी सरकार या सेठ साहूकार का या विदेशी पैसा नहीं लगा है।
बाबाजी के करोड़ों अनुयायियों
बाबाजी के करोड़ों अनुयायियों के खून पसीने की कमाई से यह मंदिर बनाया गया है। निर्माण कार्य जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट के द्वारा करवाया गया है। यह मंदिर सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर मानव जाति का और इसमें हर कोई आ सकता है। इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं है, कोई भी व्यक्ति मंदिर की फोटो ले सकता है और इसमें कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
मंदिर में किसी क़िस्म का चंदा नहीं मांगा जाता है। अगर किसी की इच्छा कुछ दान देने की हुई तो उनके लिए प्रतिबंध यह है कि अगर वह शाकाहारी नहीं है तो वह कृपया करके आर्थिक सहयोग ना करें। मंदिर में जगह-जगह इस प्रकार के बोर्ड लगे हुए हैं।
जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा विश्व को शांति अब इसी स्थान पर मिलेगी। सभी लोग भविष्य में यहाँ आएंगे और मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने का निर्माण पद प्राप्त करने का रास्ता लेकर भजन करेंगे। आगे ऐसा जमाना आ रहा है।
बाबा जयगुरुदेव जी ने मानव जाति से आग्रह
बाबा जयगुरुदेव जी ने मानव जाति से आग्रह किया कि समय जो मोड़ ले रहा है उसके संकेत अच्छे नहीं है। ऐसे समय में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के संदेश उनकी वाणी आशाकी किरण बनकर भटकी हुई मानवता का मार्गदर्शन कर रही है। यह संदेश दूसरे देशों में भी इंटरनेट के माध्यम से भेजा जा रहा है। ताकि वहाँ के विदेशियों को भी दिशा मिल जाए, उनका विवेक जाग जाए,
मानव धर्म क्या है? मानव धर्म कर्म क्या है? जीते जी भगवान कैसे मिलता है? हम कहाँ से आए और मरने के बाद कहाँ जाएंगे, कौन हमारे कर्मों का इंसाफ करेगा। आदि इसने ऐसे क्या हैं जिसे समझना और उनकी उनका हल ढूँढना मानव जाति के लिए ज़रूरी है।
यह समय की मांग है। बाबा जयगुरुदेव के संदेशों को पढ़कर उनको शांति मिलेगी। उनकी वाणी धैर्यवान देगी।आप समझ लो मान लेंगे तो आपका भला होगा। आपसे अनुरोध है किया जा सकता है बाबाजी के महत्त्वपूर्ण संदेश को विशेषकर ज़रूरी पढ़ें,
बाबा जयगुरुदेव की अपील विश्व के लोगों से
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने पूरे विश्व के लोगों से अपील की कि अपने-अपने मुल्कों की जनता आम को ख़ुशी रखना चाहते हैं और दैविक आपदा से बचाना चाहते हैं तो, अपने-अपने मुल्क में मांसाहार और अंडा का आहार बंद कर दें, या करवा दें। ताकि शारीरिक मानसिक रोगों व घरेलू परिवारिक उलझन से बचना होगा। मांसाहार से जीवात्मा को नर्क में डालकर सख्त सजा दी जाएगी।
मानव शरीर किराए का मकान है। स्वासो की पूंजी समाप्त होते ही आत्मा को शरीर से निकाल देगा। शरीर खाली पड़ा रहेगा। कहाँ से आए, सोचो प्रभु को पाना है, तो गुरु की खोज करो मालिक के पाने का मार्ग शरीर से गया है। इसे गुरु बताएगा अभ्यास ध्यान में बैठे मन को रोक करके फिर सूरत आत्मा को कान आकाशवाणी सुनेगी। तब आनंद लगेगा। 20 फरवरी 2001 को बाबा जी ने यह बातें सत्संग में बताए थे।
अब बात करते हैं, प्रभु कहाँ है? संसार के मनुष्यों को जानकारी कराई जाती है। आप सब सोचो हम कहाँ से आए हैं और कहाँ जाएंगे। क्या यह शरीर तुम्हारा है? जो घमंड करते हो, सोचो जब सांसो की पूंजी ख़त्म होगी तत्काल शरीर से जीवात्मा को मकान मालिक निकाल देगा। धन-दौलत मकान ज़मीन दोस्त मित्र भाई बंधु पति-पत्नी यह सब छूट जाएंगे।
पशु पक्षियों की हत्या मत करो,
किसके लिए जोड़ रहे हो, कहाँ जाओगे तुम भी नहीं जानते हो, सुनो हम आपको बताते हैं। जब तुम पशु पक्षियों के शरीर में बंद किए जाओगे। जब नर्को की आग में जलाए जाओगे। कौन बचाएगा। कभी सोचा है, मांस अण्डा छोड़ो और पशु पक्षियों की हत्या मत करो, यह पाप कर्म है। यह पाप कर्म काल का कर्जा है जो देना होगा। बीमारी आ रही है, बचो और बचाव शाकाहारी रहो दया करना महापुरुषों से सीखे, वरना वक़्त निकल जा रहा है। अहिंसा राज क़ायम रखो प्रजा तभी सुखी होगी ।
अहिंसा राज क़ायम करो प्रजा तभी सुखी होगी। कुदरत का चक्र चलने जा रहा है, अच्छी नसीहत पकड़ो, 4 मार्च 2001 विचार करो मनुष्य का खून अनाज, सब्जी, फल, दूध, घी से तैयार होता है। भैंस, गाय, सूअर, खरगोश, हिरण, मुर्गा, बदक आदि जानवरों का खून मनुष्य के खून से अलग होता है। जो भी मनुष्य मांस भक्षण करते हैं इनका मांस खाते हैं तो, उनके खून में जानवरों का खून मिल जाएगा।
इतनी बीमारियाँ क्यों फैल गई हैं।
जब ज़्यादा मात्रा में पशु पक्षियों का खून हो जाएगा तो, जो दवाएँ दी जाती हैं। मनुष्य को असर नहीं करेगी। दवा तो मनुष्य के खून को दी जाती है। जानवरों के खून की अलग दवा है। वह पशु पक्षियों को ही दी जाती है। जानवरों की दवा यदि मनुष्य को दे दी जाए तो मनुष्य का खून ख़त्म हो जाएगा। जानवरों का खून रह जाएगा। पशु पक्षियों और कीड़ों के खून कीटाणु अलग होते हैं।
मनुष्य के खून के कीटाणु अलग होते हैं। जब पशु खून को मनुष्य खाएगा तो पशुओं के खून के कीटाणु और मनुष्य के खून के कीटाणु इन दोनों में संघर्ष हो जाता है। घमासान युद्ध होता है। पशुओं के खून के कीटाणु मनुष्य के खून के कीटाणु को खा जाते हैं। वह हरा देते हैं, कमजोर कर देते हैं, इनका कोई असर जानवरों की कीटाणु पर नहीं होता है।
भारत के डॉक्टर अलग-अलग दवा बताते हैं। पशुओं की दवा अलग है, पक्षियों की दवा अलग है, अन्य कीटाणुओं की दवा लगे और मनुष्य की अलग है। बस इन सब पर विचार कर लो इतनी बीमारियाँ क्यों फैल गई हैं और उनकी दवा से परेशान है। कि हमारी दवा का कोई लाभ नहीं है। इसका कारण क्या है? इसका कारण ऊपर बयान किया गया है।
सूरत शब्द नाम योग साधना मंदिर
सूरत शब्द नाम योग साधना मंदिर आगरा दिल्ली बाईपास मथुरा उत्तर प्रदेश पर स्थित है। जो जिज्ञासु दर्शन करने के लिए आवे, बोर्ड को पढ़ें और पर्चो में लिखे उनके लेकर-लेकर को पढ़ें, बुराई तो बुराई है। अच्छाई तो अच्छा ही है। मांस यदि कोई खाता है तो बीमारियों का स्वागत और बुलावा करता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि मास में कीड़े नहीं पड़ते, जब डॉक्टरों ऑपरेशन करते हैं तो कई बार साबुन लगाकर हाथ धोते हैं। वह हाथ से डिटेल लगाता है ताकि कोई कीटाणु हाथ में ना रह जाएँ। जो मेरे अंगों में चला जाए क्या आप इस क्रिया को अस्पताल में नहीं देखते हो,
मंदिर के दर्शन करो और इन सब बुराइयों को छोड़ दो, यही चढ़ा दो कि अब ऐसा काम नहीं करेंगे। अच्छा ही काम करेंगे। 25 अगस्त 2001 बाबा जयगुरुदेव।
पोस्ट निष्कर्ष
दोस्तों आपने इस पोस्ट में परम संत बाबा जय गुरुदेव नाम योग साधना मंदिर और बाबा जयगुरुदेव जी द्वारा मानव समाज के लिए आग्रह सत्संग बातों को जाना ।आशा है यह सत्संग वाणी बाबा जयगुरुदेव की आप सभी मानस प्रेमियों को बहुत अच्छी लगेगी। यदि अच्छी लगी हो तो आप अपने सोशल नेटवर्क फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, तमाम प्रकार के सोशल नेटवर्क का इस धर्म प्रचार में सहयोग करें। ताकि मानव समाज का कल्याण हो, Jai Gurudev
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