जय गुरुदेव मानस प्रेमियों इस आर्टिकल में परम संत बाबा जयगुरुदेव जी द्वारा बताई गये सत्संग में, उन्होंने विश्व की आम जनता से आग्रह और अपील की (Appeal to the people of the world) और लोगों का आह्वान किया कुछ बुरी आदतों से छुटकारा यदि हम पा लेते हैं। तो हम अपनी मंज़िल पाने में कामयाब हो सकते हैं। विश्व के लोगों से बाबा जी ने अपील की जो इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे। चलिए शुरू करें।जय गुरुदेव,
एक आग्रह मानव जाति से (An urge to mankind)
एक आग्रह मानव जाति से बाबा जी ने कहा है कि समय जो मोड़ ले रहा है उसके अच्छे संकेत नहीं है। ऐसा समय में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के संदेश, उनकी वाणी, आशा की किरण बनकर भटकी हुई मानवता का मार्गदर्शन कर रही है।
यह संदेश दूसरे देशों में भी इंटरनेट के माध्यम से भेजा जा रहे हैं। ताकि वहाँ के निवासियों को भी दिशा मिल जाए, उनको विवेक जाग जाएँ, मानव धर्म क्या है? मानव कर्म क्या है? जीते जी भगवान कैसे मिलेगा? हम कहाँ से आए और मरने के बाद कहाँ जाएंगे और कौन हमारे कर्मों का हिसाब करेगा। आदि प्रश्न ऐसे हैं जिन्हें जिसे समझना है।
उनका हल ढूँढना है। यह समय की मांग है। बाबा जयगुरुदेव जी के संदेशों को पढ़कर आपको शांति मिलेगी। उनकी वाणी धैर्य बंधायेगा, आप समझ लेंगे, मान लेंगे, तो आपका भला होगा। आपसे अनुरोध ही किया जा सकता है।
विश्व के लोगों से बाबा जी की अपील (Appeal to the people of the world)
बाबाजी के कुछ महत्त्वपूर्ण संदेश इस प्रकार हैं। बाबा जयगुरुदेव की अपील विश्व के लोगों से, बाबा जी ने कहा है अपने-अपने मुल्क की आम जनता को ख़ुशी रखना चाहते हो और दैविक आपदा से बचना चाहते हैं तो, अपने-अपने मुल्क में मांसाहार व अंडे का आहार बंद कर दें, व करवाए,
तब शारीरिक मानसिक रोगों को घरेलू परिवारिक उलझन से बचाव होगा। मांसाहार से जीवात्मा को नर्क में डालकर सख्त सजा दी जाएगी। मनुष्य शरीर किराए का मकान है, स्वास की पूंजी समाप्त होते ही आत्मा को शरीर से निकाल देगा। शरीर खाली पड़ा रहेगा।
कहाँ से आए? सोचो प्रभु को पाना है तो गुरु की खोज करो, मालिक के पाने का मार्ग शरीर से गया है। इसे गुरु बताएंगे अभ्यास ध्यान में बैठ, मन को रोककर सुरत आत्मा के कान आकाशवाणी सुनेंगे, तब आना आनंद आने लगेगा। 20 फरवरी 2001
वचो और बचाव शाकाहारी रहो (Save and be vegetarian)
प्रभु कहाँ है? संसार के मनुष्य को जानकारी कराई जाती है। आप सब सोचो हम कहाँ से आए और कहाँ जाएंगे। क्या यह शरीर तुम्हारा है? जो घमंड करते हो, सोचो जब सांसो की पूंजी ख़त्म होगी, तत्काल शरीर से जीवात्मा को मकान मालिक निकाल देगा।
धन-दौलत मकान-जमीन दोस्त-मित्र भाई-बंधु पति-पत्नी यहीं छूट जाएंगे। इसके लिए जोड़ रहे हो कहाँ जाओगे? जानते हो, सुनो हम आपको बताते हैं। जब तुम पशु पक्षियों के शरीर में बंद किए जाओगे। जब नर्को की आग में जलाए जाओगे। कौन बचाएगा? कभी सोचा है?
मांस मदिरा अंडा छोड़ो, पशु पक्षियों की हत्या मत करो। यह पाप कर्म है। यह पाप कर्म काल का कर्जा है, जो देना होगा। बीमारी आ रही है वचो और बचाव, शाकाहारी रहो, दया करना महापुरुषों से सीखे वरना वक़्त निकल जा रहा है।
अहिंसा राज क़ायम करो (Set up non-violence rule)
बाबा जी ने कहा है प्रजा तभी सुखी होगी, कुदरत का चक्र चलने जा रहा है। अच्छी नसीहत पकड़ो, विचार करो मनुष्य का खून, अनाज सब्जी फलों दूध घी से तैयार होते हैं। भैंस गाय सुअर, खरगोश, हिरण, मुर्गा, आदि जानवरों का खून मनुष्य के खून से अलग होता है।
जो भी मनुष्य मांस भक्षण करते हैं, इनका मांस खाते हैं, तो उनके खून में जानवरों का खून मिल जाएगा। जब ज़्यादा मात्रा में पशु पक्षियों का खून हो जाएगा, जो भी दबा दी जाएगी मनुष्य को असर नहीं करेगी। दवा तो मनुष्य के खून की दी जाती है।
जानवरों के खून की अलग दवा है। वह पशु पक्षियों को ही दी जाती है। जानवरों की दवा यदि मनुष्य को दे दी जाए तो मनुष्य का खून ख़त्म हो जाएगा। जानवरों का खून रह जाएगा। पशु पक्षियों और कीड़ों के खून के कीटाणु यानी अलग होते हैं। मनुष्य के खून के कीटाणु अलग होते हैं।
जब पशु खून को मनुष्य खाएगा, तो पशुओं के खून के कीटाणु और मनुष्य के खून के कीटाणु, इन दोनों में संघर्ष हो जाता है। घमासान युद्ध होता है। पशुओं के खून के कीटाणु मनुष्य के खून के कीटाणु को खा जाते या हरा देते हैं।
कमजोर कर देते हैं। इनका कोई असर जानवरों के कीटाणु पर नहीं होता है। भारत के डॉक्टर अलग-अलग दवा बनाते हैं। पशुओं की दवा अलग है, पक्षियों की दवा अलग है, अन्य कीटाणुओं की अलग है और मनुष्य की दवा अलग है।
बस इस सब लोग विचार कर लो, इतनी बीमारियाँ क्यों फैल गई और उनकी दवा से परेशान है। हमारी दवा का कोई लाभ नहीं है। इसका कारण क्या है? इसका कारण है जो ऊपर बताया गया है।
समय खराब आ रहा है (Time is coming bad)
हमारी देवियों ने अपना जामा उतार कर लाखों कोस दूर कर दिया। जो शर्मिंदगी का जामा देवियाँ पहना करती थी, उनके अंदर एक तेज छिपा रहता था। लेकिन जिस दिन से आया शर्म चली गई उस दिन से उनके तेज पर मानो काली सिकुड़ी धारियाँ चमकने लगी हैं।
शरीर के अंगों को खोलना और आधा शरीर कपड़े से ढकना केवल यह जाहिर करता है कि सात्विक जा रहा है और आगे अंधकार आ रहा है। नारियाँ जब सत्संग नहीं पाती हैं तो उनका मन सदा संसारी रहता है और देख-देख मन अंदर-अंदर चंचलता करता रहता है।
उभार पैदा कर देता है, जिससे मन नीच रास्ता पकड़ लेता है और अंत में नारियाँ भ्रष्ट रास्ता ग्रहण कर लेती हैं। जितने सत्संगी जन है उनको अवश्य करना होगा कि अपनी पुत्रियों को संभाल कर रखें।
शहर के जो लोग पढ़े लिखे हैं वे चाहते हैं कि लड़कियों आजादी के साथ रहे, परंतु अब तो आजादी है, भविष्य उनका अवश्य बर्बाद का होगा। आज लड़कों को और लड़कियों को ऐसी हवा खिलाई जा रही है जिस हवा के द्वारा विश पैदा हो जाए,
यानी दोनों का जीवन नष्ट अथवा पतन की ओर जा सकता है। शराब का गुण है कि वह मांस मांगेगी और मांस शरीर का गुण है कि स्त्रियों की तरह उनकी वासना जागेगी या उनका गुण है। जिस चीज का जो गुण हैं वह उसी तरह अग्रसर करता है, इन्हीं चीजों का खंडन है
लोगों को बुराइयाँ दूर रहना चाहिए (People should stay away from evils)
मैं चाहता हूँ कि लोगों की बुराइयाँ दूर हो जाएँ और लोग अपने धर्म कर्म में रहे, नियमों का पालन करें, तो तकलीफ किस बात की है। बड़े-बड़े शहर में इसलाइटर हाउस बने हैं जिनके अंदर कत्लेआम किए जाता है। 4: 00 बजे अंधेरे में लोग लेकर जाते,
बकरों को पकड़ते हुए जानवरों को मालूम रहता है कि वह जा रहे हैं कटने के लिए, उसे घाव हो गया, पीव निकल रहे, मांस सड़ गया। आंखें गड्ढों में घुस गए और वहाँ कत्लेआम कर दिया, उसी को खाते हो, तो सोचो तुम्हारा क्या होगा।जानवरों का खराब खून इंसान के खून में मिलेगा, तो बीमारियाँ नहीं होंगे तो क्या होगा। अपनी बुद्धि से ज़रा विचार करो,
Read the post:- Naam Yog Sadhna Mandir Baba Jaigurudev Mathura
आगे समय खराब आ रहा है। (Time is coming forward)
तुम्हें पता नहीं है कि क्या होने वाला है। जगह-जगह बारूद रखा है चिंगारी लगते ही सब जलकर राख हो जाएंगे, कुदरत बौखलाई हुई है। कुछ करना चाहती है किंतु महात्मा उसे रोके हुए हैं। सोचते हैं कि जीवो को समझा-बुझाकर मना लिया जाए ताकि वे बुराइयों के रास्तों को छोड़ दें,
अगर नहीं मानोगे तो सीधे नर्क का दरवाज़ा तुम्हारे लिए खुला हुआ है। महात्मा बराबर देखते रहते हैं कि जीवो को कितनी यातनाएँ नर्क में दी जाती हैं। मगर क्या करें? केवल समझा ही तो सकते हैं। यदि ना माने तो भोगना तो उन्हें ही पड़ेगा।
आबादी बहुत कम हो जाएगी, दस-दस कोस पर चिराग दिखाई देगा। इसलिए यम त्रास से बचने के लिए पूरे गुरु की तलाश करो, जो परमात्मा से मिला हुआ है। उसके सत्संग में जाओ सत्संग में तुम्हारे कर्मों की मैल धुल जाएगी और जीवात्मा की आँख खुलेगी।
जीवात्मा की आँख कैसे खुलेगी (How will the eye of the soul open)
सत्संग में जाओ सत्संग में तुम्हारे कर्मों की मैल धुल जाएगी और जीवात्मा की आँख खुलेगी। तब प्रकाश में खड़ी हो जाएगी, उसे आत्मा दर्शन होगा और वह अपना चेतन स्वरूप देखेंगे। इस शरीर में जीवात्मा जो दोनों आंखों के बीच में बैठी हुई है।
जब उसकी दिव्य आँख खुलती है तो उसमें इतना प्रकाश है, इतनी रोशनी है कि उसके आगे इस सूर्य का प्रकाश कुछ भी नहीं है। जब इस जड़ शरीर से अलग होकर अपने घोसले को वह देखती है तब उसे ज्ञान होता है कि मैं आत्मा हूँ। चेतन हूँ। परम प्रकाश हूँ।
और मेरी वह जाती है जो परमात्मा की है। दोनों आंखों के पीछे जीवात्मा का घाट है जहाँ कर्मों की धुलाई होती है। वही हरिद्वार है, जहाँ से स्वर्ग को बैकुंठ को रास्ता जाता है। इसलिए जीते जी मरना सीखो, तब तुम हमेशा के लिए सुखी हो जाओगे।हमेशा के लिए ज़िन्दगी मिल जाएगी।
पोस्ट निष्कर्ष
महानुभाव आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना के परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने विश्व के लोगों से अपील की और कहा है शाकाहारी रहो और जीते जी परमात्मा से मिले। यदि आपने ऊपर बताए हुए बातों का ध्यान दिया तो आप ज़रूर परमात्मा से मिलन हो सकता है। आशा है आपको यह सत्संग आर्टिकल ज़रूर पसंद आया होगा। अपने दोस्तों के साथ सोशल नेटवर्क पर ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें, जय गुरुदेव।
Read the post:-
- सृष्टि की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? रचयिता कौन हैं?
- अध्यात्मिक विद्यालय क्या है? बाबा जयगुरुदेव सत्संग
- क्या भजन प्रार्थना करना आसान है? बार-बार विनती करो
Last Updated on 23, January, 2023
आपके द्वारा प्रदान की गई आर्टिकल के माध्यम से जानकारी बहुत ही उपयोगी रही साथ में हमें कुछ जानने को मिला और जैसे विश्व स्तरीय जानकारी बहुत ही उपयोगी रहे विश्व में कितने देश है? (world mein kitne desh hai) 2021