अध्यात्मिक विद्यालय क्या है? बाबा जयगुरुदेव सत्संग

महानुभाव जयगुरुदेव, इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा दिए गए सत्संग वाणी और उन्होंने आध्यात्मिक विद्यालय के बारे में क्या कहा? हम जीते जी भगवान को कैसे प्राप्त करें? कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को दर्शाया है। अब इस आर्टिकल को पूरा पढ़े, जयगुरुदेव

अध्यात्मिक विद्यालय क्या है? बाबा जयगुरुदेव सत्संग
Adhyatmik vidyalay kya hai

अध्यात्मिक विद्यालय क्या है? (What is a spiritual school)

यह आध्यात्मिक विद्यालय (spiritual school) है। इसमें आपको सब कुछ समझाया जाता है, कराया जाता है, मालिक का भेद बताया जाता है। उसकी साधना (practice) करोगे तब तुम ख़ुद अनुभव करने लगेंगे कि तुम कौन हो? कहाँ से आए हो? और मरने के बाद जीव आत्मा (Soul) कहाँ जाती है।

पहले ख़ुद को जाना होता है फिर खुदा (God) को जानना होता है। जिसने ख़ुद को नहीं जाना, वह खुदा को क्या जान पाएगा।खुद को जान लो तो खुदा (God) को पहचान लोगे, परमात्मा है वह मिलता है और इसी मनुष्य शरीर (Human body) में मृत्यु के पूर्व जीते जी प्राप्त होता है और उसके दर्शन होते हैं।

मृत्यु (Death) के बाद ना वह कभी मिला और ना ही मिलेगा। जो लोग मर कर चले गए, उनको आप कहते हैं कि स्वर्गवासी हो गए, यह तो खैर कहने का ढंग है। वैसे आप को क्या मालूम कि वह स्वर्गवासी (Deceased) हो गए या नर्क वासी हो गई, या कहीं और के वासी हुए. उनका कोई संदेश (message) तो आपके पास आता नहीं है।

मृत्यु के बाद कहाँ जाएंगे (Where will you go after death)

आप मृत्यु (Death) के बाद कहाँ जाएंगे? यह भी आपको मालूम नहीं है। आप इस दुनिया में कहाँ से आए हैं आपको यह भी ज्ञात नहीं है। आप यह भी नहीं जानते कि आपको यह मनुष्य शरीर (Human body) क्यों मिला? और कैसे मिला? आप इस बात से भी परिचित नहीं है कि आप कौन हैं?

आप हाथ पैर हैं, नाक हैं, आँख क्या है? क्या वह कौन-सी चीज है जिसके रहते शरीर चेतन (animate) है और जिसके निकलते ही शरीर मुर्दा होकर ज़मीन पर गिर जाते हैं। यह चीज इस शरीर में कहाँ है? उसके रहने का असली स्थान कहाँ पर है? इन सभी प्रश्नों पर आपको गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा।

किंतु इनका उत्तर आपके पास नहीं है, इनका उत्तर तो वही दे सकता है। जिसने स्वयं इस रहस्य को देखा और समझ लिया है। यह मनुष्य शरीर (Human body) बहुत ही अनमोल है। अनेक जन्मों के पुण्य कर्मों का जब शुभ-संचय होता है तब कहीं परमात्मा (God) की कृपा से यह नर शरीर मिलता है।इसे देव दुर्लभ कहा गया है अर्थात देवता भी इसे पाने के लिए तरसते हैं ।

भगवान की प्राप्ति कैसे होती है? (How is God attained)

केवल इसी पांच तत्वों (Five elements) के मानव तन द्वारा सुरत शब्द योग साधना करके भगवान (God) की प्राप्ति होती है। जिन्होंने भी परमात्मा को पाया, इसी शरीर द्वारा जीते जी पाया और किताबों में लिख दिया। बे किताबें गवाह हैं और प्रमाण हैं।

हमको ना कोई नई जाति बनानी है और ना पुरानी तोड़ने है। आप सब लोग अपने-अपने समाज में रहे, अपने-अपने रस्म रिवाज़ और व्यवहारों को रखें। उनमे जो बुराइयाँ आ गई हैं उनको दूर करें। गंगाजल है किसी से नहीं कहता कि तुम कौन हो,

उसमें हिंदू मुसलमान छोटा बड़ा चाहे जो स्नान कर ले, उसने किसी को मना नहीं किया। अपनी-अपनी जातियों में रहो और जो महात्माओं (Mahatmas) ने बताया उसका पालन करो। जब सब लोग अपने-अपने काम में लग जाएंगे तो सब कुछ आएगा। राजा जाति की बात करेगा तो न्याय नहीं कर सकता और साधु जाति की बात करेगा तो आत्मा का कल्याण नहीं कर सकता।

भगवान के भजन के लिए समय निकालो (Take time out to sing praises to God)

दिन में काम करो, खेती का दुकान का दफ्तर का, शाम को बच्चों की सेवा करो। फिर थोड़ा समय भगवान के भजन (Hymns of god) के लिए निकालो, तुमने गर्भ में वादा किया कि बाहर निकलने पर भजन (Bhajan) करेंगे। किंतु तुम उस वादे को भूल गए,

अच्छे काम करो, सेवा करो और किसी का दिल ना दुखाओ. जिस काम को करने में डर लगे वह पाप है। जिस काम को करने में ख़ुशी हो, प्रसन्नता हो, वह पुण्य है। पाप और पुण्य यह सीधा और सरल परिभाषा है।

पराए अवगुणों को नहीं देखना, उससे अपने मैं गंदगी बढ़ेगी, या ठीक है कि उसको प्यार से समझा दो कि यह अवगुण है। इससे बचो, मान लो तो ठीक है नहीं तो-तो चुप हो जाओ । पर आलोचना (Criticism) मत करो। आलोचना करोगे तो बोझ लदेगा। तुम अपने गुणों को बढ़ाओ और किसी में कोई सद्गुण (Virtue) देखे तो उसे ले लो और अवगुण (Demerit) को छोड़ दो।

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पोस्ट निष्कर्ष

महानुभाव इस आर्टिकल के माध्यम से अपने जाना के Adhyatmik vidyalay kya hai? आध्यात्मिक विद्यालय में क्या-क्या सिखाया जाता है? क्या-क्या बताया जाता है और क्या हम सीख सकते हैं। आध्यात्मिक विद्यालय यह संत महात्माओं का विद्यालय होता है। महात्मा वहाँ के मुख्य शिक्षक होते हैं। जिन्होंने जीते जी परमात्मा को देखा, जाना, समझा और लोगों को सही रास्ता बताया। मालिक का सच्चा भेद बताया। वह आध्यात्मिक विद्यालय हैं। आशा है आपको यह बाबा जयगुरुदेव जी के द्वारा दिए गए सत्संग वाणी को पड़ा, आपको ज़रूर अच्छा लगा होगा। पोस्ट पढ़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, Jai Guru Dev

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