गुरु किसे कहते हैं आवश्यकता कार्य और पहचान || Guru Kise Kahte?

Guru Kise Kahte? क्या है इसके कार्य और क्यों हमें आवश्यकता रहती है? गुरु हमारे साथ क्या कर सकता है, क्यों जरूरी होता है? महात्माओं ने सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है। गुरु की महिमा, गुरु की जरूरत को भी बताया है। चलिए आर्टिकल के माध्यम से जानने वाले हैं। गुरु क्या और क्यों जरूरी है? इसका महत्त्व क्या है? चली स्टार्ट करते हैं सबसे पहले जानते हैं:

Guru Kise Kahte
Guru Kise Kahte

गुरु किसे कहते हैं Guru Kise Kahte

तो गुरु नाम किसका है? गुरु उसी को कहते हैं जिसकी आत्मा उस परमात्मा के साथ जुड़ चुकी हो उसी को कहते हैं गुरु। गुरु नाम क्या? गुरु कोई भनते हैं? वह तो मतलब यह है कि सन्त सुरते आती हैं उस परमात्मा के नूर और प्रकाश से सम्बन्धित। वह अपनी रोशनी दिया करती हैं। नहीं तो गुरु कोई शरीर से नहीं बना करते हैं भाई, शरीर से नहीं वह तो नूर है।

जो परमात्मा का प्रकाश है उसको वह रोशन करते हैं। लोग उनको शब्दों से पुकारते बाकी वे तो कहते हैं कि नहीं। ये जो सुरतें फंसी हुई हैं वे उस रोशनी के साथ उस नाम के साथ जुड़ जांय स्वरूप में मिल जांय गुरु हो जांय। गुरु तो एक ही है। वह तो सम्राट सबका एक है।

जो एक के साथ में मिल गया वह भी एक ही हो गया। दो नहीं हो सकते हैं। है एक ही। लेकिन चूंकि उपदेश देने के लिए बाहर से आया है तो देखने में दो समझते हैं कि यह और है और वह और होगा। लेकिन अन्दक में जिसके साथ में जोड़ते हैं वह तो एक ही है।

सतगुरु को पाना चाहिए

इनका भी वही उनका-उनका भी वही। कोई दूसरा तो नहीं है कोई उस गुरु को, अरे भाई, सतगुरु को पाना चाहिए जिसके साथ वह भी जुड़ा हुआ है और आप को भी जोड़ता है। उस गुरु को। लेकिन आजकल के ऐसे लोग हैं कि ऐसे महात्मा को प्रणाम भी नहीं करते, देखते भी नहीं हैं। फिर क्या करेंगे वेचारे।

जीवन बर्बाद करते है आ करके। अभी तक तो कुछ पाया नहीं। रात को भी अँधेरे में रहे, दिन में भी अंधेरे में ही रहे। जब जाने लगोगे तब भी अंधेरे में ही। तो अज्ञान में उत्पत्ति, अज्ञान में पालन, अज्ञान में प्रलय। तो कब आप अज्ञान से निकल कर अन्धकार से निवृत्त हुये? प्रकाश में आये? यह जीवन खतम होने जा रहा है।

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महात्मा तलाश

अभी तक तो कोई साधु महात्मा तो तलाश नहीं किया। जिन साधु महात्माओं के तलाश करने का उपदेश दिया था उनके पास तो जाना नहीं चाहते क्योंकि सोचते हैं कि अगर वे हमारी बुरी बातों को कहेंगे तो हमारी बेइज्जती हो जायेगी। वे तो बिल्कुल धज्जी उड़ा देते हैं।

इतनी बेइज्जती करते हैं कि जितना आप बने हुए हैं न उतना सब बिगाड़ देते हैं तब उठाते हैं। तो गोस्वामी जी क्या कहते हैं कि भाई, जब हम बिगाड़ देंगे तभी हम उठा सकते हैं वैसे नहीं। जब बिल्कुल तुम्हें बिगाड़ देंगे जो तुम बने हुए हो नाम, रूप, मान, उपाधि की, ये वह जो कुछ तुम्हारे ऊपर चढ़ी हुई है उसको सब कुछ कैसे देंगे।

FAQs गुरु से रिलेटेड

1- गुरु की आवश्यकता क्यों होती?

भाई Guru की आवश्यकता हमें जन्म से पढ़ती है। क्योंकि माता हमारी प्रथम गुरु के रूप में मानी जाती है। वह हमें सिखलाती है, बताती है, चलाती है। इस प्रकार हमें जन्म से ही गुरु की आवश्यकता पड़ती है। आगे जाकर हमें शिक्षक के रूप में पाठ ज्ञान कराने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। लेकिन सबसे बड़ी आवश्यकता होती है इस जीवन पाने की असली उद्देश्य को बताने वाले आध्यात्मिक गुरु की, जो हमें उस सच्चे परमपिता परमात्मा का भेद बताते हैं। जो स्वयं मिले रहते हैं और हमें भी मिलाते हैं।

2- गुरु का धर्म क्या है?

गुरु का धर्म होता है अपने द्वारा नेक एवं सच्चा रास्ता की शिक्षा देना। ताकि शिष्य ख्याति को प्राप्त करें, जिससे गुरु की प्रतिष्ठा बड़े। गुरु का धर्म होता है सच्चे एवं नेक रास्ते का ज्ञान वा प्रैक्टिकल कराना।

3- गुरु का क्या कार्य है?

गुरु का कार्य है उस रिसर्च पर अपने शिष्य को ले जाना ताकि वह भी उस कार्य को जान सके, जो गुरु जानता है। सच्चे गुरु का कार्य होता है इस आत्मा से परमात्मा का मिलाप कराना।

4- गुरु क्यों जरूरी है?

हम जन्म से 0 स्थिति में आते हैं और जैसे ही शारीरिक मानसिक विकास होता है तब हमें कुछ जानने की जरूरत होती है। उस परिस्थिति में हमें गुरु की जरूरत पड़ती है। सच्चाई को जानने के लिए, सही रिजल्ट प्राप्त करने के लिए, गुरु की आवश्यकता होती है।

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निष्कर्ष:

महानुभाव आपने ऊपर दिए गए इस आर्टिकल के माध्यम से गुरु किसे कहते हैं? गुरु का कार्य क्या है, क्यों जरूरी है? ऐसे तमाम महत्त्वपूर्ण क्यूरी का आंसर आपने जाना। आशा है महात्माओं के द्वारा दिया गया सत्संग जरूर अच्छा लगा होगा। पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, मालिक की दया सबको प्राप्त हो,

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