महानुभाव इस कलयुग में सतयुग (kalyug me satyug) कब और कैसे आएगा? यह महापुरुषों ने अपने सत्संग के माध्यम से बताया है। कलयुग के बाद कौन-सा युग आएगा परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने नैमिषारण्य में सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है। चलिए जानते हैं कुछ महत्त्वपूर्ण जयगुरुदेव सत्संग के अंश, कलयुग में सतयुग का आगाज जय गुरुदेव।
नैमिषारण्य मैं बाबा जी ने कहा
Naimisharanya की पावन भूमि पर बाबा जयगुरूदेव जी ने गुरु पूर्णिमा का महान् पर्व 13 से 22 जुलाई 97 (दस दिन) तक मनाने का निश्चय किया। उप्र0 की राजधानी लखनऊ से 100 किलोमीटर पश्चिम उत्तर की तरफ सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य जो अब नीमसार के नाम से जाना जाता है।
इसके आसपास के स्थलों से जुड़े अनेक ऐतिहासिक प्रसंग। 88 हजार तपस्वियों की तपोभूमि नीमसार। वेद व्यास की निवास स्थली नीमसार। ऐसा कहा जाता है कि वेद व्यास जी ने वहीं से वेदों का प्रचार किया था।
नैमिषारण्य का क्या महत्त्व है?
नीमसार से 10 किलोमीटर पर स्थित मिश्रिख जहाँ दधीचि मुनि की दान कथा इतिहास के पत्रों में स्वर्ण अक्षरों से लिखी गई है। उन्होंने अपनी हड्डियों का दान किया था वह स्थान वहीं पर नीमसार में स्थित है। ‘चक्रतीर्थ’ । किवदन्ती है कि ब्रह्मा ने एक मानस चक्र चलाया धरती को बेधकर पाताल में चला गया।
वहाँ से पानी का स्रोत फूटा और यह जन विश्वास है कि वह पानी का स्रोत आज भी उसी अनवरत गति से प्रवाहित हो रहा है। अब वहाँ पर गोलाकार कण्ड बना दिया गया है जहाँ तीर्थ यात्री स्नान करते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि वेद व्यास जी ने उसी स्थली पर कभी कहा था कि ऐ ब्रह्माणों अहंकार मत करो। एक वक्त आएगा जब तुम्हें जमीन पर बैठना पड़ेगा और तुम उनकी हाँ हजूरी करोगे जो अभी तुम्हारे सामने झुकते है। ‘ योगियों की वाणी झूठी नहीं होती। जो कह गये वह कभी न कभी सत्य सिद्ध होती ही है।
नैमिषारण्य की कथा
88 हजार ऋषियों ने जो धर्म को बचाने की मंत्रणा की थी वह भी बड़ी महत्त्वपूर्ण थी और ऐसा लगता है कि उनकी सारी मंत्रणायें, विचार, गोष्ठियाँ इस पचास पचपन वर्षीय लोकतंत्र के लिए ही थीं। क्योंकि जन्म लेने के साथ ही इस लोकतंत्र ने धर्म, कर्म मान मर्यादा आदर सम्मान,
प्यार मोहब्बत सदाचार सबको पैर से मारना शुरू कर दिया था जो आज अपनी चरम सीमा पर है। मंदिर खतरे में पड़ गया, मस्जिद खतरे में पड़ गयी, गुरूद्वारा खतरे में पड़ गया, जाति बिरादरी खतरे में पड़ गई, देवी देवता और भगवान का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया और रहे सन्त महात्मा पीर फकीर उन्हें तो इस लोकतंत्र ने गया गुजरा बताया।
लेकिन ये भारतभूमि है, धर्मभूमि है। इसलिए यहाँ वह सब कुछ रहेगा, वह सनातन पुरातन मान मर्यादायें आदर सत्कार रहेगा, साधू सन्तों पीरों फकीरों का महत्ता रहेगी और देवी देवता भगवान खुदा ये किसी के नकारने से खत्म नहीं हो जायेंगे। हाँ ये बात अलग है कि इनकी शक्ति को नकारने वाले अपने ही अस्तित्व को नकार बैठे।
कलयुग में सतयुग (kalyug me satyug)
समय कुछ विशेष महत्त्व का है, परिवर्तन के उभरते संकेतों का है। एक युग के आने दूसरे युग के जाने का है। जय गुरूदेव बाबा ने बहुत पहले आवाज उठा दी थी। कलयुग में कलयुग जाएगा कलयुग में सतयुग आएगा। (kalyug me satyug) ‘ इस तपस्थली से कलयुग के जाने का भी संकेत मिलेगा और कलयुग में सतयुग के आने की भी आहट सुनाई देगी। सतयुग को अंकुरित करने के लिए जयगुरूदेव बाबा ने कर्म प्रायश्चित महामानव आति कुम्भ का आयोजन नैमिषारण्य की तपोभूमि पर किया है।
Naimisharanya की पुण्य भूमि पर
बाबाजी ने जगह-जगह सत्संग में कहा कि आप चूको मत। मैं सबका आवाहन करता हूँ। ऐसा दृश्य और ऐसा योग हजारों साल में नहीं पड़ा होगा। मैं तो समझता हूँ कि पाँच हजार साल में ऐसा अति महामानव कुम्भ-कर्म प्रायश्चित का अभी तक नहीं लगा।
नैमिषारण्य की पुण्य भूमि पर सतयुग आने के चिह्न प्रारम्भ होंगे। देश व दुनियाँ में भारी परिवर्तन होगा। आगे अति दुर्गम कष्टदायक समय आ रहा है। नीमसार में पहुँचकर कर्म प्रायश्चित हेतु याचना करो। माफी होने पर मनोकामना पूरी होगी, कितने लोगों की बीमारी दूर होगी, बुराइयाँ छूटेंगी, लगे हुए भूत बैताल छूटेंगे, अन्य मुसीबतों में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
महानुभाव ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से नैमिशराय (नैमिषारण्य) के बारे में जाना साथ में कलयुग में सतयुग (kalyug me satyug) कब और कैसे आएगा? इसकी शुरुआत कहाँ से हुई आदि तमाम जयगुरुदेव सत्संग आर्टिकल के माध्यम से पढ़ा। आशा है आपको जरूर अच्छा लगा होगा मालिक की दया को प्राप्त हो,
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