आगे समय खराब आ रहा है संभल जाओ नहीं समझोगे तो भोगना पड़ेगा

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Last Updated on January 23, 2023 by Balbodi Ramtoriya

जय गुरुदेव, महापुरुषों ने अपनी भविष्यवाणी में सब कुछ साफ कहा है कि आने वाला समय भयानक होगा, उस भयानक समय की संभाल कैसे करना है महापुरुषों ने सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है। आगे समय खराब आ रहा है महापुरुष कहते हैं संभल जाओ और देवियों आप भी अपने संस्कृति और रिवाज को जान लो आगे समय खराब आ रहा है। सोचो तुम्हारा क्या होगा? महात्मा कहते हैं यदि सही रास्ते पर नहीं आए तो भोगना ही पड़ेगा। इसलिए महापुरुष कहते हैं जीते जी मरना सीखो और उस सत्पुरुष का दर्शन दीदार करो जिस परमेश्वर के घर से हम सब आए हैं। चलिए जानते हैं स्वामी जी महाराज ने सत्संग के माध्यम से क्या कहा। कुछ भविष्यवाणियाँ:

देवियाँ सम्हल जायें

हमारी देवियों ने अपना जामा उतार कर लाखों कोस दूर कर दिया। जो शर्मिन्दगी का जामा देवियाँ पहना करती थीं उसके अन्दर उनका तेज छिपा रहता था। लेकिन जिस दिन से हया-शर्म चली गई है उस दिन से उनके तेज पर मानों काली सिकुड़ी धारियाँ चमकने लगी हैं।

शरीर के अंगों को खोलना और आधा शरीर कपड़े से ढकना केवल यह जाहिर करता है कि सतीत्व जा रहा है और आगे अन्धकार आ रहा है। नारियाँ जब सत्संग नहीं पाती हैं तो उनका मन सदा संसारी रहता है और देख-देखकर मन अन्दर-अन्दर चंचलता करता रहता है और मौका पाकर उभार पैदा कर देता है।

पुत्रियों को सम्हालकर रखें

जिससे मन नीच रास्ता पकड़ लेता है और अन्त में नारियाँ भ्रष्ट रास्ता ग्रहण कर लेती हैं। जितने सत्संगी जन हैं, उनको अवश्य यह करना होगा कि अपनी पुत्रियों को सम्हालकर रखें। शहर के जो लोग पढ़े लिखे हैं वह चाहते हैं कि लड़कियाँ आजादी के साथ रहें,

परन्तु आज, तो आजादी है भविष्य उनका अवश्य बर्बादी का होगा। आज लड़कों को और लड़कियों को ऐसी हवा खिलाई जा रही है जिस हवा के द्वारा विष पैदा हो जाये यानी दोनों का जीवन नष्ट अर्थात् पतन का हो जाये।

आगे समय खराब आ रहा

शराब का गुण है कि वह मांस मांगेगी और मांस, शराब का गुण है कि स्त्रियों की तरफ उनकी वासनायें जायेंगी। यह उसका गुण है। जिस चीज का जो गुण है वह उसी तरफ को अग्रसर कराता है। इन्हीं चीजों के खण्डन है। मैं चाहता हूँ कि लोगों की बुराइयाँ दूर हो जायें और लोग अपने धर्म-कर्म में रहें,

नियमों का पालन करें तो तकलीफ किस बात की? बड़े-बड़े शहरों में स्लाटर हाउस बने हुए हैं जिसके अन्दर कत्लेआम किया जाता है। चार बजे अंधेरे में लोग लेकर के जाते हैं बकरों को पकड़ते हुए। जानवरों को मालूम रहता है कि वह जा रहे हैं कटने के लिए।

सोचो तुम्हारा क्या होगा?

उसे घाव हो गया है, पीप निकल रही है, मांस सड़ गया है, आँखें गढ़े में घुस गई हैं और वहाँ कत्लेआम कर दिया। उसी को खाते हो तो सोचो तुम्हारा क्या होगा? जानवर का खराब खून इन्सान के खून में मिलेगा तो बीमारियाँ नहीं होंगी?

अपनी बुद्धि से जरा विचार करो। आगे समय खराब आ रहा है। तुम्हें पता नहीं कि क्या होने वाला है। जगह-जगह बारुद रखा है चिन्गारी लगते ही सब जल कर राख हो जायेगा। कुदरत बौखलाई हुई है कुछ करना चाहती है किन्तु महात्मा उसे रोके हुए हैं। सोचते हैं कि जीवों को समझा-बुझाकर मना लिया ताकि वे बुराई जाय के रास्ते को छोड़ दें। अगर नहीं मानोगे तो सीधा नर्क का दरवाजा तुम्हारे लिए खुला हुआ है।

यदि न मानें तो भोगना तो ही पड़ेगा

महात्मा बराबर देखते रहते हैं कि जीवों को कितनी यातनायें नर्क में दी जाती हैं, मगर क्या करें? केवल समझा ही तो सकते हैं। जीव यदि न मानें तो भोगना तो उन्हें ही पड़ेगा। आबादी बहुत कम हो जायेगी। दस-दस कोस पर चिराग दिखाई देगा।

इसलिए यमत्रास से बचने के लिए किसी पूरे गुरु की तलाश करो जो उस परमात्मा से मिला हुआ है, उसके सत्संग में जाओ। सत्संग में तुम्हारे कर्मों की मैल धुल जाएगी और जीवात्मा की आँख जब खुलेगी तब वह प्रकाश में खड़ी हो जाएगी। उसे आत्म दर्शन होगा और वह अपना चेतन स्वरूप देखेगी।

इस जीवात्मा में जो दोनों आँखों के बीच में बैठी हुई है जब उसकी दिव्य आँख खुलती है तो उसमें इतना प्रकाश है इतनी रोशनी है कि उसके आगे इस सूर्य का प्रकाश कुछ भी नहीं है। जब इस जड़ शरीर से अलग होकर अपने घोंसले को वह देखती है तब उसे ज्ञान हो जाता है कि मैं आत्मा हूँ, चेतन हूँ, परम प्रकाशवान हूँ और मेरी वही जाति है जो घाट है लिए परमात्मा की है।

जीते जी मरना सीखो

दोनों आँखों के पीछे जीवात्मा का है जहाँ कर्मों की धुलाई होती है। वहीं हरिद्वार जहाँ से स्वर्ग को बैकुण्ठ को रास्ता जाता है। इसलिए जीते जी मरना सीखो तब तुम हमेशा के सुखी हो जाओगे, हमेशा के लिए जिन्दगी मिल जाएगी।

कबीर साहब ने कहा है:

जा मरने से जग डरे, मेरे मन आनन्द।
मरने ही ते पाइए, पूरन परमानन्द॥

इस स्थूल शरीर का मोटा पर्दा इस जीवात्मा चढ़ा हुआ है यानी इस पंचभौतिक पर्दे में वह है। सन्त मत की साधना के द्वारा जीवात्मा शरीर को छोड़कर अलग हो जाती है। यह शरीर जड़ है और जीवात्मा चेतन है। दोनों की बंधी हुई है और अभ्यास के द्वारा जब यह गांठ पर बन्द इस गांठ, खुलती है फिर उसे इस लोक का तथा ऊपर के लोको स्वर्ग बैकुण्ठ आदि का ज्ञान होने लगता है।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने स्वामी जी महाराज के द्वारा सत्संग में की गई कुछ भविष्यवाणियाँ और हमारे, मानव जीवन के बारे में बताया है और साथ में देवियों या पुत्रियों को भी कुछ मालिक की तरफ से सुझाव मिला है। साथ में आगे समय खराब आ रहा है उसके बचाव कैसे करना है? उसके बारे में महापुरुषों ने सब कुछ कहा है। आशा है आप को ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा। जय गुरुदेव मालिक की दया सबको प्राप्त हो।

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