Shravan Kumar Ki Kahani भविष्य का संकेत बाबा जयगुरुदेव

भविष्य का संकेत, श्रवण कुमार (Shravan Kumar) की कहानी बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने क्या कहा? श्रवण कुमार की कहानी (Shravan Kumar Story) को लोगों के सामने बताया। Shravan Kumar की दिल्ली यात्रा के बारे में बताया।और कहा कि कोई भी माई का लाल भारत की जनता को खुश नहीं रख सकता है, आने वाले भविष्य में इस देश का क्या हाल होगा? उस स्थिति के बारे में स्वामी जी महाराज ने पूर्व में भविष्य के संकेत दिए, लोगों के अंदर कैसे भाव पैदा होंगे? क्या खान-पान रहेगा? तमाम प्रकार के संकेत बाबा जी ने दिए, साथ में श्रवण कुमार की कहानी (Shravan Kumar Ki Kahani) को अपने प्रेमियों के साथ सांझा की, चलिए जानते हैं।

Shravan Kumar Ki Kahani भविष्य का संकेत बाबा जयगुरुदेव
Shravan Kumar Ki Kahani भविष्य का संकेत बाबा जयगुरुदेव

भविष्य का संकेत बाबा जयगुरुदेव (bhavishya ke sanket)

मांस मछली अण्डे बहु संख्या में लोग खुले रूप में खाने लगेंगे शराब, ताड़ी, भांग, गांजा, अफीम, आम लोग पीने लगेंगे, माता-पिता के सम्पर्क में बच्चियाँ शराब व मादक, नशीली वस्तुयें पीने लगेंगी। काम आग से लोगों की लज्जा चली जायेगी। बुद्धि नष्ट होने से लोग स्वार्थ में पूर्ण रूप से रत होंगे, चोरी चकारी, लूटपाट, कतल आदि बहुत बढ़ जायेंगे।

जन संख्या कम करने की एक नई योजना विदेशों द्वारा भारत (INDIA) में आयेगी। टैक्स अधिक बढ़ेंगे। प्रतिवर्ष कानून (Kanoon) में संशोधन होता रहेगा। धर्म-धर्म के लोग लड़ेंगे, समाजों के लोग लड़ेंगे, पार्टियों के लोग आपस में लड़ेंगे। एक दूसरे पर किसी का विश्वास नहीं रहेगा। परिणाम स्वरूप सरकारों में हेर फेर होगा, अधिकतर सब प्रान्तों में राष्ट्रपति शासन (Rastpati Sasan) रहेगा।

bhavishya ke sanket 1972 मौजूदा कांग्रेस

1972 के अन्दर मौजूदा कांग्रेस (Congress) समाप्त हो जायेगी। नये नाम की संस्था होगी, सन् 73 के बाद वह भी समाप्त हो जायेगी। विद्यार्थी गण संघर्ष में उतरेंगे। भारत वासी (Bharat Vasi) महान दुखी दरिद्र अशान्त रोते हुए दिखाई देंगे। जमीनों का हेर फेर होगा, राजाओं के कपड़े खाने के समान बहुत महंगे मिलेंगे।

तूफान भूकम्प (Bhukamp) आयेगा, वर्षा बहुत होगी, बीमारी फैलेगी, पड़ोसी देश से लड़ाई (Padosi Desh Mein Ladai) होगी, नुकसान अधिक होगा। दूसरे देश भारत को छोड़कर दूसरे की सहायता करेंगे। रूस व चीन में विवाद होगा, चीन अमेरिका (China America) में मनमुटाव होगा, बहुत से शहर अमेरिका के नष्ट होंगे।

अमेरिका (America) में चीन (China) के प्रति भारी आक्रोश फैलेगा। मुह तोड़ जवाब अमेरिका देगा और भारी जन हानि कर देगा। चीन में थोड़े लोग रह जायेगें, उनकी सहायता भारत करेगा। तिब्बत भारत का अंग हो जायेगा।

दिव्यपुरूष का जन्म (Divya Purush ka Janm)

ऐसे दिव्यपुरूष (Divya Purush) का जन्म भारत वर्ष में हो गया है जो गऊ काटना (Cow Katna) बन्द कर देगा, राष्ट्र भाषा, हिन्दी संस्कृत (Hindi Sanskrit) कर देगा। परिवार नियोजन बन्द कर देगा। मांस मछली अण्डों की दुकानें सभी शहरों में बन्द कर देगा। शराब ताड़ी की दुकानें बन्द कर देगा। होटलों डाइनिंग कारों में मांस मछली अन्डे (Mans Machhali Anda) पकना बन्द कर देगा।

सभी सनीमे (Cinema Hall) के डान्स भारत में बन्द कर देगा। रिश्वत बन्द कर देगा। पुलिस का वेतन 300 कर देगा। प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों, पेशकारों, क्लर्को का वेतन 300 कर देगा। प्रत्येक मजदूर की 8 रुपया प्रतिदिन मजदूरी करेगा। स्कूलों के बच्चे स्कूल से निकलते ही नौकरी या काम (Naukari Ya Work) पा जायेगे।

कोई अफसर मांस, मछली, अन्डे, शराब, ताड़ी नहीं खायेंगे रिश्वत नहीं लेगें। जो लेगें वह निकाल दिये जायेगे। किसानों का आधा कर्ज (kisanon ka karj) माफ कर देगा। चोरी लूट पाट, हत्या, ग्राम व शहरों में बन्द कर देगा। वह जमाना दिखा देगा जिसकी अभी तक कल्पना भी लोगों के मस्तक में नहीं है।

सारे विश्व में लोग (All World Ke Log)

जो महापुरूष पैदा (Mahapurush ka Janm) हुआ है वह धर्म का महान होगा। भारत ही नहीं सारे विश्व में लोग उसकी बात सुनेंगे न्याय की एक संहिता बनायेगा, एक झण्डा होगा। इस व्यक्ति को इतना जन समर्थन प्राप्त होगा कि सारे दुनियाँ के लोग (All World Ke Log) दातों तले उंगली दबायेगें। उस व्यक्ति के प्रभाव से सारी दुनियाँ के लोग हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) को कबूल करेंगे।

जो यह व्यक्ति कहेगा उसी को सभी जातियों के लोग, समाजों के लोग, राजनीतिक लोग और विश्व के लोग कहेंगे। इस व्यक्ति के शान्ति, आनन्द सेवा समानता के प्रभाव से सब वह चलेंगे। इसके विचार बहुत गुप्त होंगे वह व्यक्ति अपनी अन्दरूनी इच्छा (Andruni Eksha) को किसी के सामने जाहिर नहीं करेगा।

सन् 72 के नवम्बर तक इस व्यक्ति के लिये लोगों में शंका रहेगी पर दिसम्बर 1972 के अन्त में उसकी चर्चा सब ग्रामों शहरों हर जाति के मनुष्यों में होने लगेगी। सरकारी (SARKARI) पदाधिकारी इनकी बात पर गंभीरता पूर्वक विचार करने लगेगें। लोगों में एक लहर दौड़ने लगेगी कि हम चरित्रवान (Charitravan) बनें और बुरे कर्मों को छोडें।

दिल्ली की गद्दी पर (Delhi ki Satta Par)

दिल्ली की गद्दी पर बैठकर कोई भी माई का लाल भारत की जनता (Bharat ki Janata) को सुखी नहीं कर सकता। इस भूमि पर सदा ही अत्याचार अनाचार हुये हैं और यह भूमि का असर है कि लोगों के आचार विचार ठीक नहीं रह सकते, बुद्धि में विवेक नहीं रह सकता और वे जनता की भलाई (Janata ki Bhalai) का कोई भी कार्य नहीं कर सकते।

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इस भूमि में बैठकर सेवा, त्याग, समानता, प्रेम को नहीं पाया जा सकता है। इस नगरी में प्रवेश करते ही मनुष्य के विचार (Insan ke Vichar) बदल जाते हैं और वादा कुछ करता है और करता कुछ है। इसमें किसी का दोष नहीं।

श्रवण कुमार की कहानी (Shravan Kumar Ki Kahani)

Shravan Kumar Ki Kahani , Shravan Kumar Ki photo
Shravan Kumar Ki Kahani

त्रेता युग में श्रवण कुमार (Shravan Kumar) अपने अन्धे माता पिता (Mata Pita) को जब कन्धे पर लादकर भारत के तीर्थ स्थानों की यात्रा करा रहे थे तो घूमते-घूमते दिल्ली नगरी के जमुना के किनारे पहुँचे। इनके सेवा, त्याग, प्रेम, समानता, मातृ-पितृ भक्ति (Shravan Kumar ki Bhakti) की चर्चा आज भी लोग किया करते हैं।

यमुना के तट पर उन्होंने कांवर को कंधे से उतारा और उसमें बैई हुए माता-पिता (Mata Pita) से बोले कि मैं बहुत थक गया हूँ। मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि आप लोगों को और आगे ले चलूं और भी बहुत-सी बातों को उन्होंने सुनाया फिर Shravan Kumar के पिता बोले कि बेटा हम लोग कहाँ पर हैं?

यह सुनकर श्रवण कुमार ने जवाब दिया कि हम लोग जमुना के किनारे है और दिल्ली में प्रवेश (Delhi mein Pravesh) कर चुके हैं। पिता बोले कि बेटा मेरा इतना कहा और मान लो और दिल्ली के पार मथुरा के रास्ते पर हम लोगों को छोड़ देना।

खैर Shravan Kumar ने सोचा कि अब तक इतनी सेवा जान लगा कर की है तो इस आखिरी बात को क्यों न मान लिया जाये। उन्होंने बंहगी (जिसमें माता पिता बैठे थे) को उठाया और चल पड़े फिर भी रास्ते में कुछ न कुछ बोलते ही जाते थे जिसे सुनकर माँ बापचुप थे।

Shravan Kumar ke Mata Pita ko दिल्ली का असर

कुछ देर बाद चाल में कुछ तेजी आ गई तो पिता जी ने पूछा कि बेटा हम लोग अब कहाँ हैं? इस पर श्रवण कुमार (Shravan Kumar) ने उत्तर दिया कि पिता जी हम लोग दिल्ली को पार करके मथुरा की तरफ चल रहे हैं। पिता जी ने कहा कि बेटा अब हम दोनों को यहीं छोड़ दो।

इस पर Shravan Kumar ने बड़े विनीत भाव में जवाब दिया कि पिता जी आप कैसी बातें कर रहे हैं। मुझे किंचित मात्र भी थकावट नहीं है और मथुरा पहंचकर ही विश्राम किया जायेगा। माँ बाप ने सोचा कि “अरे दिल्ली की भूमि का यह असर”। इस प्रकार से स्वामी जी महाराज ने अपने सत्संग के माध्यम से श्रवण कुमार की कहानी (Shravan Kumar Ki Kahani) को अपने प्रेमियों को सुनाया और कहा कि दिल्ली का असर कुछ और ही है।

दिल्ली में 18 अगस्त को लोगों ने स्वामी जी को अनेक स्थानों पर घेर लिया और पूछने लगे कि महाराज अब क्या होगा? स्वामी जी हंसते हुये कह रहे है कि सभी धर्म की तरफ मुड़ जायें तो समय अब भी बदल सकता है वर्ना अब सबके कर्म बरसाये जायेंगे।

निष्कर्ष

महानुभाव आपने ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने भविष्य के क्या संकेत दिए? और श्रवण कुमार की कहानी (Shravan Kumar Ki Kahani) को पढ़ा। आशा है आपको ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा मालिक की दया सबको प्राप्त हो और अधिक सत्संग आर्टिकल पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अधिक पढ़ें जय गुरुदेव।

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