डॉ० जूलबर्न प्रसिद्ध फ्रांससी भविष्यवक्ता है। अंतर्राष्ट्रीय जगत में उन्हें भविष्यवक्ता के रूप में जाने डिक्सन एण्डरसन, प्रो. हरार और चार्ल्स क्लार्क से कम महत्व नहीं दिया गया है। उन्होंने 1969 में चन्द्रमा पर मानव अन्तरिक्ष उतर जाने की भविष्यवाणी दस वर्ष की थी वह सच निकली।
श्री जूलबर्न कहते हैं कि यान्त्रिक कहते हैं कि यान्त्रिक सभ्यता के प्रति तीव्र रोष तथा घृणा के भाव पैदा होंगे। यूरोपीय जातियाँ का झुकाव भारत वर्ष जैसे धार्मिक देश की ओर तेजी से बढ़ेगा। न केवल लोग भारतीयों का अनुगमन, वेशभूषा, खान-पान गृहस्थ संबंधी के रूप में करेंगे वरन भारतीय धर्म एवं संस्कृति के प्रति श्वेत जातियाँ का आकर्षण इतना अधिक बढ़ेगा
कि सन् 2000 तक दूसरे देशों में हिन्दू दैवी-देवता के मंदिर की स्थापना हो चुकी होगी, उनमें लाखों लोग पूजा-उपासना भजन-कीर्तन और भारतीय पद्धति के संगीत का आनंद लेने लगेंगे। मैंने पूर्वाभास के ऐसे समय देखे हैं।
डॉ. जूलबर्न की भविष्यवाणि
चीन अणु बम बना कर भी एशिया का प्रभुता सम्पन्न देश नहीं बनेगा। उसकी भारत वर्ष से काफी समय तक शत्रुता बनी रहेगी। भारत न केवल अपनी भूमि छुड़ा लेगा वरन् तिब्बत भी मुक्त हो जायेगा। उसके भारतवर्ष में मिल जाने की संभावनाएं भी हैं। पाकिस्तान का कुछ भाग अफगानिस्तान ले लेगा कुछ भारतवर्ष। इस तरह उसका अस्तित्व अधिक दिन तक टिकेगा नहीं।
संसार के किसी सर्वाधिक प्राचीन पर्वत से जो वर्ष भर बर्फ से ढका रहता है (सम्भवतः हिमालय पर्वत) कुछ ऐसी सामग्री पुस्तकों और स्वर्ण मुद्राओं का भण्डार मिल सकता है यही नहीं उससे संबंधित देश इतना शक्तिशाली हो सकता है कि रूस, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी मिलकर भी उसका सामना करने में समर्थ न हो। वह देश भारतवर्ष होगा।
Dr. Juleburn की भविष्यवाणी भारतवर्ष
भारतवर्ष में किसी एक ऐसे रहस्य मय व्यक्ति का जन्म हो चुका होगा जो आज तक के इतिहास का सबसे समर्थ व्यक्ति सिद्ध होगा। उसके बनाये विधान सारे संसार में लागू होंगे।
आगे भीषण प्राकृतिक हलचलें होंगी। वायु दुर्घटनायें अतिवृष्टि, सूखा, बाढ़, भूकम्प आदि बढ़ेंगे। तुर्की का अधिकांश भाग भूकम्प से नष्ट हो जायेगा। अरब में गृहयुद्ध हो जायेगा, उसका लाभ इसरायलियों को मिलेगा। समुद्री तूफानों की बाढ़ आयेगी। सन् 1972 में समुद्र में प्रलय जैसी स्थिति आ सकती है।
उसके किनारे कई भूभाग कई टापू बिल्कुल नष्ट हो सकते हैं। कई बिल्कुल नये टाप निकलकर आ सकते हैं। नवोदित टापुओं में किसी शक्तिशाली जाति का अधिकार होगा। इसमें बहुत से रत्नों का ढेर मिलेगा जो उस जाति की आर्थिक समृद्धि बढ़ायेगा।
परिवर्तन की आवाज
दूसरी ओर एक बिल्कुल धार्मिक जाति क्रांति उठ खड़ी होगी जो ईश्वर और आत्मा के नये-नये रहस्य प्रकट करेगी। विज्ञान उसकी पुष्टि करेगा जिसके फलस्वरूप नास्तिकता और वामपन्थ नष्ट होता चला जायेगा। उसके स्थान पर लोगों में आस्तिकता, न्याय नीति, श्रद्धा, अनुशासन और कर्तव्य परायणता के भाव उगते हुये चले आयेंगे। यह परिवर्तन ही विश्व शांति के आधार बन सकते हैं।
इस प्रकार परिवर्तन की आवाज कहां से उठेगी और उसका संसाधन कौन करेगा यह पूछे जाने पर जूलबर्न ने बताया कि जैसा मुझे आभास होता है, यह आध्यात्मिक क्रांति भारतवर्ष से ही उठेगी। उसके संचालन के बारे में मेरे विचार और जान डिक्सन से भिन्न यह है कि व्यक्ति सन् 1962 से पूर्व ही जन्म ले चुका था।
इस समय उसे भारतवर्ष में किन्हीं महत्वपूर्ण कार्यों में संलग्न होना चाहिए। वह व्यक्ति भारतीय स्वतंत्रता में भी रहा होना चाहिए। उसे अनुयाइयों की बड़ी संख्या भी है। उसके अनुयायी एक समर्थ संस्था के रूप में प्रकट होंगे और देखते होंगे और देखते ही देखते सारे विश्व में अपना प्रभाव जमा लेंगे और असम्भव दीखने वाले परिवर्तनों को आत्मशक्ति के माध्यम से सरलता पूर्वक सम्पन्न करेंगे।
Dr. Juleburn
श्री जूलबर्न का विश्वास है अगले दिनों इस इतिहास की पुनरावृत्ति होने वाली है, उस परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकेगा।
दिल में हमारे दरद है तुम्हारा। सुने तो जाओ संदेश हमारा ॥
हमने तुम्हारे लिए जलसे रचाये। गली-गली में खूब परचे बँटाये।
समझो न अब तुम भाग्य जाने तुम्हारा, सुने तो जाओ …
हमने कही है सो आई है आगे, होगा जरूर फिर जो कहूँगा आगे
मालिक की मौज कुछ ऐसा इशारा, सुने तो जाओ…..
शहर व गावों में सबको सुनाया, मांलिक मिलन का है भेद बताया।
है कुछ असर आसार अब ऊपर से होगा, करमों का बादल बवंडर बनेगा।बरसे बहेगी तेरे पापों की धारा, सुने तो जाओ….
आये सरन उसे माफी करा दो, जानो अब आप काम जाने तुम्हारा, सुने तो जाओ….
पूरव व पश्चिम में बदबू बहेगी उत्तर व दक्षिण में खूब धधकेगी लाशों पर लाशी का होगा नजारा,सुने तो जाओ….
अन्न दवाओं की कमी पड़ेगी, पेड़ों की पत्ती न तुमको किलेगी
फट जाये धरती उठेगी गुबारा, सुने तो जाओ….
पूरब व पश्चिम का पाकिस्तान मिटेगा, अरब इसरायल आपस में लड़ेगा
खून की नदियों की बहेगी धारा, सुने तो जाओ….
भारत में एक मनुष्य जन्मा कहीं है, जिसकी महत्ता का वर्णन नहीं है।
सहायक शक्तियों का नहीं परवारा, सुने तो जाओ…
सभी देशों के अणु बम नाकाम होंगे, छोटे-छोटे देश बड़े देशों में मिलेंगे।
भारत का आध्यात्म शक्ति का होगा पसारा, सुने तो जाओ…
वीते सत्तर, इकहत्तर, बहत्तर है आया जिसके लिये था ।
हमेशा चिल्लाया होगा शुरू अब यहीं से निपटारा, सुने तो जाओ…
जो मैं कहूँगा दोहराना पड़ेगा ,झन्डे के नीचे तुमें आना पड़ेगा। होकर लाचार नाम लोंगे हमारा, सुने तो जाओ…
सेवा अहिंसा हमारी है नीति, जीवों से प्रेम सही है सम्प्रति।
आत्म ज्ञान का यही है भंडारा, सुने तो जाओ….
प्रेम का पाठ पढ़ाते रहेंगे, मानव धर्म को जगाते रहेंगे।
सत्य अहिंसा का अब होगा पसारा, सुने तो जाओ संदेश हमारा।
इस प्रकार से यह फ्रांसीसी प्रभाव भविष्यवक्ता डॉ. जूलबर्न की भविष्यवाणि थी।
R- ब्रिटेन के जाने माने भविष्यवक्ता प्रो. कीरो की भविष्णवाणी