Jivan Ka Lakshya क्या होना चाहिए? यदि हम इस संसार में भटक गए, भ्रमित हो गए, ऐसी परिस्थिति में हमारे जीवन का लक्ष्य क्या होना जरूरी है? क्या हमें आने वाले समय में करना चाहिए, किस काम को हम टारगेट कर सकते हैं? अपना Lakshya क्या बनाएँ? ताकि हमारे इस मनुष्य शरीर में आने का मतलब पूरा हो सके, चलिए कुछ महात्माओं की वाणियो के साथ मैं अपने विचार आपके साथ सांझा करता हूँ। आर्टिकल को पूरा पढ़ें चले स्टार्ट करते हैं।
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए? (Jivan Ka Lakshya)
सबसे पहले महानुभाव बात करने वाले हैं, जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए? जैसे कि हम आप सभी जानते हैं कि यह मनुष्य शरीर कुछ ही समय के लिए मिला है। जन्म लिया बड़े हो गए, पढ़ा लिखा विवाह शादी हुई, बच्चों की सेवा की और इसके बाद हमारा वृद्ध sarir एनी बुढ़ापा आ जाता है।
देखते ही देखते हमारा अंत हो जाता है। हमारे इस Jivan Ka Lakshya क्या रहा? यही रहा कि इस शरीर में आए तो खाया पिया यश किया, समय गमाया और अंत में यह शरीर छोड़ दिया। अब दिमाग में यह बात को लाना है कि हम जब शरीर छोड़ेंगे तो, कहाँ जाएंगे? इस रहस्य को भी जानना बहुत जरूरी होता है।
यदि इस रहस्य को इंसान भली-भांति समझ ले तो जीवन के असली लक्ष्य को पाने की लालसा हो सकती है। वास्तव में यह शरीर नाशवान है। पता नहीं कब किस मोड़ पर हमारा यहाँ से चलायमान हो जाए, हमें जीवन की असली सच्चाई को समझना चाहिए और जीवन के असली मकसद को टारगेट करना चाहिए,
यह सब तभी अवेलेबल हो सकता है जब हम किसी आध्यात्मिक, जन्म मृत्यु से जुड़े रहस्यों के बारे में, किसी पूर्ण महात्मा के सत्संग में जाएंगे। तब हमें वह जीवन के लक्ष्य के बारे में जरूर बताएंगे। चलिए अब जानते हैं महात्माओं ने सत्संग माध्यम से क्या कहा?
असली रास्ता भूल गए
यदि हम अपने घर जाने का असली रास्ता भूल गए तो, परमात्मा क्या कुछ भी नहीं प्राप्त कर सकते हो। ना देवी देवताओं के पास पहुँच सकते हो, न स्वर्ग। मनुष्य शरीर पा सकते हो तो भटकती रहेगी जीवात्मा जैसी पशु पक्षियों में यह कि जीवात्मा नहीं है इसी मनुष्य शरीर से उसमें बन्द कि गयी है, ये कुत्ता, बिल्ली, गधा हो गये चूहा हो गये। ये इसी में से गये हैं।
अब इसमें से भोगने के बाद फिर इसमें आयेंगे फिर वही काम करोगे, फिर उसमें जाओ तो यही लगा रहेगा। आना जाना रोओ और चिल्लाओ और कोई तुम्हारी सुनबाई नहीं है। अरे कोई सुनता है, आदमी को जंगल में मार रहा है, तुम सुन रहे हो उसकी तकलीफ को पशु बीमार है।
तुम उसको आप मार रहे हो डाडे और चलो-चलो और उसको बुखार चढ़ा सिर में दर्द है, उसको भूख लगी प्यास लगी वह विचारा तुम उससे पूछ रहे हो कि तुमको प्यास लगी है, वह बता देगा। अरे मनुष्य शरीर अमोलक है, ऐसा शरीर फिर मिलेगा नहीं और कोई ऐसे काम ऐसे कर्म नहीं कर रहे हो,
कि फिर मनुष्य शरीर से नीचे जाने के चारों खानों में जाने के और नकों में जाने के काम कर रहे हो तब आपको उस समय पर कोई बचायेगा नहीं ना रिस्तेदार, ना भाई-बन्द न पति ना पत्नी, ना बच्चे, ना बाप ना माँ। कोई ना धन ना दौलत कौन इसको आकर बचायेगा। सब ही अलग-अलग हैं।
परमात्मा को प्राप्त करने
इसलिए आप लोग थोड़ा-सा समझ लो कि Jivan Ka Lakshya मैं किसलिए आया हूँ यहाँ आपके बाईपास मथुरा में जय गुरुदेव आश्रम पर सत्यसंग होता है। तो आप वहाँ थोड़ा-सा समय देकर के समझ लो अगर अच्छी चीज मिल जाये तो ले लो नहीं तो अपने घर चले जाओ। अमोलक चीज मिले तो ले जाओ नहीं तो अपने घर में रहो।
जहाँ भी मिल जाय वहाँ चले जाओ तुमको सुलभ है मैं आपको यह सलाह दूंगा कि जहाँ भी उस परमात्मा को प्राप्त करने वाले महात्मा इस मनुष्य रूपी मन्दिर में मिल जायें वहीं चले जाइए। लो यह खंडहर हो गया है, यह मनुष्य शरीर मन्दिर खंडहर है, इसमें सब बुरी-बुरी चीजें भरी हैं और उनके द्वारा निकल जायेंगी। तो साफ सुथरा बड़ा सुन्दर, बड़ा अच्छा लगेगा।
उस समय पर और जीवात्मा जग जायेगी तो जगमग-जगमग अन्धेरे का नाम नहीं रहेगा, बाहर भी उजाला, अन्दर भी उजाला। तब आपकी समझ में आयेगा कि यह संसार क्या है? नहीं तो भूल भुलइया है।
शरीर के अन्दर कौन है?
यह छाया है छमा करना लड़की छाया, लड़के छाया, स्त्री छाया, पति छाया, ये मकान छाया, जमीन छाया, पशु छाया, छाया, इससे जो जीव आत्मा निकाल दी, तो यह पढ़ा हुआ क्या करोगे? छाया रो रहे हो मेरा बच्चा, मेरा पती, मेरी पत्नी, मेरी माँ, मेरी छाया किसके लिये होते हो?
छाया के लिये उस जीवात्मा के लिये कभी रोते हो? उसके लिये सोचा कि इसके अन्दर कौन है? अरे भाई, मन नहीं है, बुद्धि नहीं, चित्त नहीं, शरीर नहीं, हाथ नहीं, पैर नहीं, आँख नहीं और वह जीवात्मा क्या चीज है? जो इसमें से निकालकर के अलग कर दी शरीर तो यह पड़ा है।
आँख भी, कान भी, बोलता नहीं, सुनता नहीं, देखता नहीं, हाथ नहीं हिलाता और मतलब यह है कि इसमें माया की छाया में पड़े हो, हाय मेरी, हाय मेरी ऐसे ही चले जाओगे हाय-हाय करते और कुछ मिलने जुलने वाला नहीं है। इसलिए महात्माओं का सत्संग जरूर सुनो, वह यह नहीं कहते पूजा करो आप देवताओं की लेकिन उनसे प्रार्थना करो हमको Jivan Ka Lakshya पाने के लिए सद्बुद्धि दो सत्य विचार दो।
अच्छे कर्म करने का रास्ता
हमको अच्छे कर्म करने का रास्ता मिले हम चोरी चकारी इसको बन्द कर दें। हम झूठ बोलना, धोखा देना, बेईमानी करना, हमारा काम, हमारा क्रोध, हमारा लोभ, हमारा मोह छूटे और हमको कोई मिला दीजिये किसी से जो मनुष्य शरीर में आकर रास्ता बता दे, नहीं तो आप बता दीजिए देवताओं से कहो आप ही बता दीजिये कि वह रास्ता जाने का भगवान के पास।
अगर नहीं बता सकते हो तो फिर किसी महात्मा से मिला दो हमने इसलिए पूजा की और तुमको माना कि हमारा आत्म कल्याण हो जायेगा। जन्म मरण से बच जायेगें छुटकारा हो जायेगा। 84 नरकों से बचेंगे अगर देवता नहीं तो खोज करो महात्माओं को। मैं किसी को कहता नहीं समझ लो अच्छी तरह सत्य बात मछली रहती है, कछुआ रहता है इसमें जीव जन्तु उसी जमुनाजी में रहते हैं आपको यह जानना चाहिए आप यहाँ जाते हो।
जीव आत्मा शरीर में
असनान करने तो पाप आपका धुल जायेगा। पाप तो जीवात्मा में जमा है। वहाँ तो पानी नहीं जाता वहाँ अग्नी नहीं जाती है। तो ये बताओ कि वह पाप कैसे धुलेगा? व गंगा पानी समुद्र का या तालाब, कुएँ का वह धो नहीं सकता वह तो वहाँ जीवात्मा में जमा है। उस जगह पर अब ऐसा गंगा असनान व गंगा उसमें असनान करने वाले महात्मा मिल जाएँ और आपको
दिव्य गंगा में जल में असनान करा दे तो जीवात्मा तब ये निर्मल हो जाए, पवित्र हो जाए, शुद्ध हो जाए, ये जाग जाए इसकी आँख खुल जाए। अब इसमें नहाते ही फिर चोरी क्यूं करते हो इसलिये करते हो कि यमुना हम नहा लेंगे तो हमारी चोरी माफ हो जाएगी। चोरी ओरी फिर माफ नहीं होती है।
वह तो जीवात्मा के ऊपर जमा है वहाँ पानी नहीं जा सकता है। वहाँ तो शरीर के नाके पर जीव आत्मा शरीर में नहीं है, जीवात्मा शरीर के बाहर है, यह यहाँ नाक नहीं, वह नहीं हाथ पैर नहीं, यह दोनों आंखों के ऊपर बैठी हुई है। बस ऊपर से गंदगी उसके ऊपर डाल दी गई, इसलिए रुकी पड़ी है गंदगी हटा दो बाहर निकल जाएगी।
Mere jivan ka lakshya
दोस्तों मैं वेबसाइट एडमिन मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? इसके बारे में आपको बताना चाहता हूँ। परिस्थिति के अनुकूल अभी कशमकश जिंदगी है, उतार-चढ़ाव की जिंदगी है, कुछ आर्थिक तंगी और कुछ और मजबूरियाँ ऐसे ना जाने कब तक चलती रहेगी। वह देखते ही देखते यह मेरे शरीर का अंत हो जाएगा।
मैं सोचने पर मजबूर रहता हूँ कि मुझे अपने जीवन के असली लक्ष्य (jivan ka lakshya) आत्मा से परमात्मा की प्राप्ति का करना चाहिए, लेकिन इस संसार के जाल में फसा रखा है और मैं उस अपने लक्ष्य से भटकता हुआ नजर आ रहा हूँ।
लेकिन मैं उसके लिए प्रयासरत हूँ और मालिक से प्रार्थना करता हूँ कि मेरे जीवन का लक्ष्य मुझे प्राप्त हो और अंत समय किसी भी हाल में मुझे आप की प्राप्ति हो इस प्रकार से मैंने दो शब्द Mere jivan ka lakshya के बारे में आपके साथ सांझा किए,
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से Jivan Ka Lakshya, यदि हम रास्ता भटक गए तो जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए? साथ में आपको मैंने जीवन के लक्ष्य के बारे में भी बताया है। आशा है आपको ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सबको प्राप्त हो, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ही इस वेबसाइट को शेयर करें जय गुरुदेव।
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