Manav Sharir Mein जड़ चेतन का स्थान || मनुष्य योनि में पाप पुण्य

यह मानव शरीर बड़े सौभाग्य से मिलता है। इस Manav Sharir Mein जड़ क्या है? sharir mein चेतन क्या है? कहाँ हैं और मनुष्य शरीर (human body) से किए हुए पाप पुण्य क्या मय ब्याज के चुकाने होंगे? महापुरुषों ने इसके बारे में सत्संग के माध्यम से बताया है। आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, इसमें आपको मानव शरीर में (Manav Sharir Mein) जड़ चेतन के बारे में जानकारी, साथ में manav sharir के द्वारा किए गए पाप पुण्य इसका भी हिसाब-किताब क्या करना होगा? आदि तमाम बातें महापुरुषों की जानेंगे। तो चलिए आर्टिकल को पढ़ना शुरू करें,

Manav Sharir Mein
Manav Sharir Mein

शरीर जड़ है (Sharir Jad)

साधन भजन (Sadhan Bhajan) करने पर जीवात्मा अलग हो जाती है और शरीर में पड़ी वह अलग हो गयी तभी तो आप परमात्मा (Parmatma) देख सकोगे। जीते जी सबने कहा है कि मनुष्य रूपी मन्दिर में (Manav Sharir Mein) जीवात्मा को घाट पर ला करके जगाओ तो दिव्य नेत्र ज्ञान चक्षु (Divy dirsti) खुल जांय। तो जीते जी भगवान को पाओ।

अरे भाई मीरा (Meera jee) ने जीते जी पाया, गोस्वामी जी महाराज ने जीते जी पाया, रैदास जी (Redas Ji) ने जीते जी पाया। जब कलयुग में इन लोगों ने जीते जी बहुत महात्मा महापुरुषों ने ओर सिक्खों ने प्राप्त कर लिया। वैसे ही आप भी कर सकते हो। लेकिन कोई महापुरुष (Mahapurush) प्राप्त करने वाला मिलना चाहिए। वह नहीं मिलेगा तो जीवन अपना ऐसे ही चला जायेगा।

ये जो आप कर्म करते हो ये इन्द्रियों का बाहर का कर्म है जड़ तो जड़ कर्म से जड़ (Jad) चीज मिलेगी। जड़ कर्म करोगे इन्द्रियाँ जड़ हैं आँख भी जड़ है कान भी जड़ हैं, ये मुख भी जड़ है, पैर भी जड़ हैं ये सारा शरीर जड़ (Sharir Jad) है, सब सामान जड़ है और तो तुमने जड़ की पूजा, जड़ की प्रार्थना, जड़ का काम और जड़ के कपड़े और जड़ का जल और जड़ की अग्नि और जड़ की वायु ये सब जड़ का तो आप इसमें फंस जाओगे।

जीवात्मा चेतन (Jeevaatma Chetan)

आपको जड़ चीज मिल जायेगी और इस जीवात्मा को जब जगा लोगे Manav Sharir Mein (मनुष्य रूपी मन्दिर में) तो फिर आपको चेतन से Chetan मिल जायेगा। जीवात्मा चेतन है चेतन का चेतन से भजन करोगे तो चेतन मिल जायेगा। ये जड़ शरीर जड़ और ये साधन समान जड़ लोग इसमें उलझ गये हो फंस गये ये पूजा जो सच्ची है।

आत्म पूजा परमात्म पूजा (Aatma Parmatma Puja) में आत्मा की देव पूजा और को तो आप नहीं कर पाते हो, वह तो मनुष्य रूपी मन्दिर से उसका रस्ता तब आपको मन्दिर मिलेगा वह तो चमकता है। मन्दिर वह तो रोशन मन्दिर है। वहाँ तो अँधेरा होगा नहीं। वहाँ तो बिजली जलती नहीं है। सूरज निकलता नहीं है वहाँ मतलब वहाँ रात्रि होती ही नहीं है।

इस तरह के पाप और पुण्य नहीं ऐसे मन्दिर में पहुँचकर अपनी जीवात्मा से मनुष्य रूपी मन्दिर में (Manav Sharir Mein) उसकी पूजा करो। सच्ची चेतन पूजा करो और जो कल्याण हो जाय। सदा के लिए ये मुक्त हो जाय छुटकारा पा जाय और तुम सच्ची पूजा नहीं करोगे तो इसमें फंस जाओगे तो आपको क्या मिलने वाला है।

पाप पुण्य का फल (Paap Punya ka fal)

अरे पाप और पुण्य का फल पा जाओगे। अब तो पुण्य करते ही नहीं हो। पाप ही पाप दिन और रात करते हो। तो बताओ कैसे तुमको ये मनुष्य शरीर (Human Body) मिलेगा और कैसे भगवान मिलेगा? उसने तो कहा मन और बुद्धि और चित्त हैं ये निर्मल और अंतःकरण निर्मल जिसका हो जायेगा।

वह मुझको प्राप्त कर ले तो आपने मन, बुद्धि, चित्त अंतःकरण निर्मल नहीं किया तो काम, क्रोध, लोभ और मोह अहंकार में फंसे रह गये। इसमें इस गंदगी को अपने ऊपर लादते रहे पहाड़ों की तरह से लाद लिया तो इसको उतारेगा कौन? ये सारा जीवन आपका व्यर्थ जा रहा है। Manav Sharir (मनुष्य शरीर) फिर नहीं मिलेगा, चार योनि बनायी हैं।

मनुष्य योनि (Manav Sharir)

मनुष्य योनि, पक्षी योनि, कीड़ों की योनि और थल की योनि। इसमें से निकालकर उसमें बन्द कर देगा तो कभी कुत्ते की योनि में कभी बिल्ली की योनि में कभी चूहे की योनि में कभी गाय की योनि में कभी शेर की योनि में कभी मछली की योनि में और कभी मगर की योनि में कभी जीव जन्तुओं की योनि में बन्द कर देगा और अपना कर्जा जो आपने लाद लिया उसके देश में वह लेना देना पड़ेगा।

कर्जा मय ब्याज के चुकाना (Paap Punya chukana)

ये कर्जा का देश है बच्चा ये देश अपने घर में जाने का नहीं है। कर्जा लेव और देव। कर्जा तुम ले लोगे तो मय ब्याज के उसको चुकाना और आप चुका नहीं सकते हो तो कर्म कर्जा है। जो पाप पुण्य करते हो यहीं पर देना है आपको यहीं आपको जन्म लेना और यहीं मरना है। इससे छुटकारा जीव का नहीं हो सकता और जब-जब Manav Sharir मिला तब-तब आपने बरबाद कर दिया।

अबकी मिला उसको भी ऐसे गंवाये देते हो। ये फिर शरीर (Human Body) नहीं मिलेगा अबकी बार हाथ से निकल गया फिर से गंवा दोगे आपको ये बच्चे आपको ये सब कुछ देखने को नहीं मिलेगा। वह दूसरी योनि के कहीं जंगल में बन्द कर देगा।

वहाँ लाखों करोड़ों बरसों तक भटकते रहो रोते चिल्लाते रहो और उस दुख दर्द में कौन सुनवायी करेगा और नकों में भेज दिया तो वहाँ कितने नाम के नर्क हैं उसमें सजायें देगा। वहाँ से लौट के नहीं आ सकते हो। इस मनुष्य शरीर (Manav Sharir) को सार्थक करो।

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निष्कर्ष

महानुभाव सज्जनों आपने ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से मनुष्य शरीर में (Sharir Mein) जड़ चेतन के बारे में जाना। साथ में मनुष्य योनि में पाप पुण्य ब्याज के चुकाना होगा। यह सब महात्माओं के सत्संग के माध्यम से जाना। आशा है आपको ऊपर दिया गया सत्संग जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे।

और अधिक सत्संग पढ़े: तीसरी आँख से भगवान पाने का अवसर || इसी मनुष्य शरीर से Bhagwan Darshan

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