Jyot Se Jyot Jagate Chalo यही सच्ची दीपावली की निशानी है

ज्योत से ज्योत जगाते चलो यही सच्ची दिवाली की निशानी है। महात्माओं ने इसके बारे में कई संकेत दिए, नमस्कार महानुभाव में Balbodi रामटोरिया आपका jaigurudev.co.in में स्वागत करता है। Jyot Se Jyot Jagate Chalo प्रेम की गंगा बहाते चलो, महात्माओं ने ऐसे कई आध्यात्मिक उदाहरण दिए हैं जो एक दीपावली पर्व (Diwali festival) के रूप में संकेत हैं। मैं सत्संग आर्टिकल के माध्यम से अपने विचार आपके साथ साझा कर रहा हूँ। आप इसे पूरा पढ़ें। जय गुरुदेव,

Jyot Se Jyot Jagate Chalo यही सच्ची दीपावली
Jyot Se Jyot Jagate Chalo यही सच्ची दीपावली

Jyot Se Jyot Jagate Chalo (ज्योति से ज्योति प्रकाश)

ज्योत से ज्योत जगाते चलो अक्सर सुना जाने वाला गीत है। लेकिन गीत बनाने वालों ने भी कुछ किसी ने किसी का मार्गदर्शन लिया होगा। ठीक उसी प्रकार से यह शब्द भी बहुत ही आध्यात्मिक शब्द है। Jyot Se Jyot Jagate Chalo यदि मानव समाज का उत्थान करना है। नर्क 84 से बचाना है, बुरे कर्मों से बचाना है, परेशानियों से बचाना है, तो उन जीवो पर दया और रहम करना है।

तो जोत से जोत जगाना है यह कार्य सिर्फ महात्मा ही करते हैं। हालांकि हम घर में दिवाली के दिन 1 Deepak जला करके, उस deep के मदद से हम सारे घर के दीपक जला देते हैं और पूरे घर में रोशनी होती है। उस दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। ठीक उसी प्रकार से महात्माओं ने भी कहा है कि Jyot Se Jyot Jalayo.

यदि महात्मा की ज्योति जलती है और उस ज्योति के हम नजदीक पहुँच जाते हैं, उस ज्योति से संपर्क में आते ही हमारी ज्योति (Divya Drishti) जल जाती है। तो सच्ची दीपावली तो महात्मा ही मनाते हैं। हालांकि हम तो एक सांसारिक दीपावली साफ-सफाई को जलता Deepak के रूप में मनाते हैं।

लेकिन महात्मा भी इसी तरह से कहते हैं कि पहले अपने मकान को साफ करो, जब आप मकान को साफ सुथरा करोगे, चमकआओगे फिर उसके बाद आप मेरे दीपक से आप अपना दीपक जलाओ. पूरे घर में यानी यह मनुष्य शरीर को रौनक बनाओ और रोशनी से चमका हो, तो इस प्रकार से महात्मा सब कुछ त्योहारों का उदाहरण देते हैं। ठीक इसी प्रकार से दीपावली का भी यही एक उदाहरण है कि जोत से जोत जलाओ और Jyot Se Jyot Jagate Chalo प्रेम की गंगा बहा बहाव।

Dip se dip jalate chalo (दीपक से दीप जलाओ)

महानुभाव दीप से दीप जलाना (Dip se dip jalate chalo) यह एक परोपकार का कार्य है। क्योंकि जब आपके घर में उजाला हो, रोशनी हो, सुखी संपन्नता हो और वही सुखी संपन्नता आप हमारे लिए देना चाहते हैं। आप अपने दीपक से मेरे दीपक को जलाना चाहते हैं। आपके घर में दिवाली (Dipawali) है, चमक-दमक है, रोशनी है, पैसा है, सब कुछ है। हमारे घर में कुछ भी नहीं है।

यदि आपको दया है तो आप हमें वह सुझाव देंगे, आप अपने दीपक से, आप अपनी रोशनी से, हमारे घर यानी हमारे मनुष्य शरीर को भी चमकाना चाहोगे यह एक परोपकारी कार्य है। यह सिर्फ महात्मा या महान पुरुष ही करते हैं। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने घर की चमक दमक बनाते हैं, पैसा सामान जुटाते हैं।

लेकिन हम अपने बाजू वाले की मदद बहुत कम करते हैं और तो और उसको देख कर के जलते हैं। जी नहीं महात्माओं ने कहा है यह मनुष्य शरीर कुछ समय के लिए मिला है। इस शरीर का अंत का कोई ठिकाना नहीं है। कब कॉल अपना जाल हमारे ऊपर फेंक दे। हम इस शरीर को छोड़कर के कब चले जाएँ।

कहने का मतलब महात्मा सब कुछ बताते हैं कि जितने दिन के लिए आपको यह सांसे मिली है इन सांसों में किसी का उपकार करो, किसी की सेवा करो, यह सेवा कार्य भी हमें आत्मा परमात्मा से मिलाने का मदद करती है। ठीक इसी प्रकार से यदि हमारे घर में दिवाली (Diwali) है हमारे घर में दीपक जल रहा है,

तो कोशिश करना चाहिए कि Dip se dip jalate chalo (दीपक से दीप जलाओ) हमारे पड़ोस में भी उसका उजाला हो, पड़ोस में भी उसकी रोशनी जाए, उसके घर में भी दीपक जले और उसके अंदर भी वह आध्यात्मिक रस प्रभावित हो, जहाँ से हम अपनी दिव्य दृष्टि के खुलने का मार्ग प्राप्त कर सकें। यह सब महात्मा सत्संग के माध्यम से बतलाते हैं।

सच्ची दिवाली का रहस्य (Diwali)

सच्ची दीपावली तो महात्मा ही बताते हैं, महानुभाव जब हम पूर्ण महात्माओं के सत्संग में जाएंगे तो वह हमें दीपावली का सही अर्थ (Diwali meaning) समझाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि दीपावली के दिन (Diwali ke din) लोग साफ सफाई करते हैं। घर मकान में पड़ा हुआ पुराना अचरा कचरा बाहर फेंकते हैं। मकान की पुताई रंग रंगत करते हैं। घर में पैसा या लक्ष्मी स्वरूप ज्योति से ज्योति (Jyot Se Jyot Jagate) जलाते हैं। पूरे घर में रोशनी करते हैं।

कहने का मतलब इसे रोशनी का पर्व भी Diwali को कहा जाता है। जी हाँ बिल्कुल सही बात है। महात्माओं ने भी यही कहा है कि अपने अंदर की दिव्य दृष्टि (Divine Vision) को खोलो और अपने घर मनुष्य शरीर में दिवाली मनाओ. वास्तव में महान, महात्माओं के द्वारा दिए गए सत्संग और उनके वचनों का पालन करते हुए नाम Daan लेकर हम योग साधना करेंगे।

उस योग साधना के माध्यम से जिस दिन हमारे अंदर का दीपक जलेगा। उस दिन समझ लेना कि आपकी दिवाली (Deepawali) सच्ची आ गई है। उस दिन आपके दीपक जलने से आपको किसी भी प्रकार की कमी महसूस नहीं होगी। ना ही आपको लक्ष्मी (Laxmi) की कमी महसूस होगी, ना ही आपको सुख संपन्नता की कमी महसूस होगी। जिस दिन आपके अंदर का दीपक जल गया।

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जिस दिन आपके अंदर की दिवाली (Deepak Jal Gya) जागृत हो गए उस दिन समझ लेना कि महात्माओं ने हमारे ऊपर महान कृपा कर दी है। तो इस प्रकार से जब भी हम सत्संग में जाते हैं तो दीपावली का असली रहस्य महात्मा बताते हैं। हालांकि Diwali मनाना बहुत अच्छी बात है। यदि हम अपने घर में से नेगेटिव एनर्जी को बाहर फेंकएंगे, aur पॉजिटिव एनर्जी अपने घर मकान में लाएंगे, तो हमारे घर में थोड़ा बहुत व्यवस्थाओं का संतुलन अच्छा रहेगा। लेकिन सच्ची दीपावली (Sachi Diwali) तो सिर्फ महात्माओं के द्वारा ही बताई जाती है और मनाई जाती है।

अंत में दो शब्द:

महानुभाव सज्जनों आपने ऊपर दिए गए आर्टिकल जोत से जोत जगाते चलो (Jyot Se Jyot Jagate Chalo) यही सच्ची दीपावली की निशानी है। इसके बारे में पढ़ा वास्तव में यदि हमने महात्माओं का सत्संग किया, उनसे रास्ता लेकर हमने अपने अंदर का दीपक (Deepak) जला लिया। उस दिन आपकी दिवाली (Diwali) कामयाब हो जाएगी। हालांकि इस दीपावली के शुभ अवसर पर मैं बलबोदी रामटोरिया आपको और आपके परिवार को सदा खुश रहने की प्रार्थना उस परमपिता परमेश्वर से करता है। आपके घर में सुखी संपन्न और व्यवस्था कायम रहे। मालिक की दया बराबर बरसती रहे। यह आर्टिकल मैंने अपने विचारों से लिखा है। इसमें जो भी गलती हो मुझे छोटा भाई समझ कर माफ करना। मालिक सब पर दया करें जय गुरुदेव।

और अधिक सत्संग पढ़ें : दिव्य दृष्टि खुलने पर कैसा अनुभव होता है

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