मरने के बाद जीवात्मा (Jivatma) कहाँ जाती, स्वर्ग भी है नर्क भी है, कृष्णा ने गीता में कहा

Marne Ke Bad Jivatma: महात्मा अपनी दिव्य दृष्टि से संसार और भगवान को देखता है और उनका दरबार करता है। क्योंकि महात्मा अंतर्यामी होते हैं वह अपनी दिव्य दृष्टि से स्वर्ग नरक सब कुछ देखते हैं और यह मनुष्य शरीर मरने के बाद जीवात्मा (Marne Ke Bad Jivatma) किस रूप में जाती है? किस शरीर में जाती है? यह महात्मा सब कुछ सत्संग के माध्यम से सब कुछ बतलाते हैं। चलिए जानते हैं परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सत्संग में, इस जीवात्मा के बारे में क्या कहा? चलिए जानते हैं जय गुरुदेव

यह भारत कर्म भूमि है (Bharat Bhumi)

भारत-भूमि को भोग-भूमि मत बनाना: यह भारत (India) कर्म भूमि है, धर्म भूमि है। यहाँ आध्यात्मवाद रहेगा, मानववाद रहेगा, भौतिकवाद नहीं चलेगा। इसे भोग भूमि मत बनाओ नहीं तो विनाश हो जाएगा। इस भूमि से धर्म को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। धर्म (Dharam) को खत्म करने वाले स्वयं खत्म हो जाएंगे।

कृष्ण ने गीता में कहा (Krishna Ne Kaha)

Krishna (कृष्ण) ने गीता में साफ कहा कि जब इस धरती पर अधर्म बढ़ता है तब मैं अधर्मियों का विनाश करने और धर्म की स्थापना करने आता हूँ। रामायण में गोस्वामी जी ने साफ कहा कि:

कृष्ण ने गीता में कहा
कृष्ण ने गीता में कहा

‘जब-जब होहिं धरम की हानी’

तब-तब वह शक्तियाँ प्रकट होकर अधर्मियों का नाश करके धर्म की स्थापना करती हैं। यही सच्ची बात है कि वह शक्तियाँ अपना एक मिशन लेकर, काम लेकर आती हैं और काम पूरा करके वापस चली जाती हैं।

उनका जीवों का उद्धार करने और तारने का कोई लक्ष्य नहीं होता। वह खुद भी कर्म-बन्धन में बँध जाती हैं और इस बात को स्वीकार भी करती हैं। कृष्ण (Krishna) को बहेलिए ने जब तीर मारा तो उन्होंने यही कहा था कि मैंने रामावतार में तुम्हें छिप कर मारा था और आज तुमने अपना बदला चुका लिया इसलिए तुम दुःखी मत हो।

महाभारत (Mahabharat) हो गया तो भगवान पाण्डवों से कहा कि तुम्हें मानुष मारने लग गया है इसलिए उत्तराखण्ड में चले जाओ कृष्ण (Krishna) ने का पाप और अपना मुँह किसी को मत दिखाना। वहाँ वैतरणी नदी (Baitarani Nadi) में गिर कर मर जाना। यह आप की किताबों में लिखा हुआ है।

पाण्डव गए और वहाँ वैतरणी नदी (Baitarani Nadi) में गिर गए, गलकर मर गए। मरने के बाद सब के सब नर्क को चले गए। आप अपनी किताबों को पढ़िये। जो कृष्ण के साथ चौबीस घन्टे रहते थे वह नर्क चले गये तो आप ने कृष्ण को तो देखा नहीं फिर आप का क्या होगा?

नर्क और स्वर्ग भी है (Narak aur Swarg)

Narak aur Swarg भी है, यह कोई कोरी कल्पना नहीं है। जब जीवात्मा की आँख खुलती है तब सब-कुछ दिखाई देता है। दोनों आँखों के ऊपर से रास्ता गया हुआ है अन्दर ही अन्दर। कर्मों की मैल जीवात्मा (Jivatma) पर चढ़ी हुई है इसलिए दिखाई नहीं देता। जैसे बादल आ जाने से सूर्य ढक जाता है दिखाई नहीं देता इसी प्रकार यदि कर्म साफ हो जायं तो पहला कदम तुम्हारा स्वर्ग में ही पड़ेगा।

नर्क अलग हैं। यमदूतों की शक्ल बड़ी भयानक होती है। वह कुकर्मी जीवों के साथ बड़ी कड़ाई के साथ पेश आते हैं। जो मनुष्य चोरी करते हैं, डकैती डालते हैं, उन्हें यमदूत ऐसे नर्क में ले जाते हैं जहाँ उन्हें जकड़कर बाँध दिया जाता है फिर उन्हें नुकीली सांकलों से मारा जाता है।

मरने के बाद जीवात्मा (Marne Ke Bad Jivatma)

यमदूतों का लिंग शरीर होता है और मरने के बाद जीवात्मा (Jivatma) भी लिंग शरीर में होती है जिसमें उसे कष्ट भुगतने पड़ते हैं। लिंग शरीर 17 तत्वों का होता है। जो जानवरों को, पक्षियों को, मछलियों को व अन्य जीवों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं उनको गर्म तेल के कुण्ड में जलाया जाता है।

जो स्त्री, पुरुष, सन्त-मत की साधना करते हैं वे इन दृश्यों को देखते हैं। जीव को बेहोशी भी नहीं आती और उसका शरीर भुनता रहता है कितने लाखों वर्षों तक जीव उसमें जलाया जाएगा इसकी सजा यमराज सुनाते हैं। चाहे कोई किसी मुल्क का रहने वाला हो मरने के बाद (Jivatma) सब यमराज की कचहरी में पेश किए जाते हैं।

निष्कर्ष

इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से अपने महापुरुषों के द्वारा दिए गए सत्संग वाणी को टैक्स के माध्यम से पड़ा। जिसमें महात्माओं ने मरने के बाद जीवात्मा (Marne Ke Bad Jivatma) किस रूप में भ्रमण करती है और क्या उसकी गति होती है, स्वर्ग नरक के बारे में जाना और कृष्ण भगवान ने गीता में क्या कहा इसको भी आपने पढ़ा। आशा है आप को ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर पसंद आया होगा, जय गुरुदेव मालिक की दया सब पर बनी रहे।

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