तीन लोग का मालिक निरंजन बगैर पर्दा साफ किए दर्शन नहीं। Niranjan Bhagwan

महानुभाव हमारी जीवात्मा का बगैर पर्दा साफ किए निरंजन भगवान (Niranjan Bhagwan) के दर्शन नहीं हो सकते हैं। अथवा हमारी दिव्य दृष्टि नहीं खुल सकती है। जब तक कर्मों का पर्दा रहेगा हम कुछ भी नहीं अंदर की आँख से देख सकते हैं। जब महात्माओं की दृष्टि हमारे ऊपर पड़ती है और कर्मों का लेनदेन मिटता है। तब हमारी आंखों के ऊपर से पर्दे हटते हैं। महात्माओं ने सत्संग के माध्यम से क्या कहा चलिए जानते हैं। जय गुरुदेव

तीन लोग का मालिक निरंजन बगैर पर्दा साफ किए दर्शन नहीं

सामूहिक रूप से उपदेश

भाई पहले तो एक था अब इधर बहुत हैं। तो यह अनुभवी पुरुषों की कहानियाँ हैं और यह अनुभव के शब्द हैं। बाकी हम लोग क्या समझ सकें? तो आप इस दरवाजे पर बैठ कर बड़े प्यार से देखें। अन्दर में चेतन नूर है चेतन प्रकाश है। दृष्टि को एकटक होकर जमा देना चाहिए और लगातार तुम गौर से सामने देखते रहो।

देखो! सामूहिक रूप से न उपदेश कर रहा हूँ मैंने कोई छिपाकर नहीं रक्खा बिल्कुल और जो यह काम, मैंने यहाँ तक देखा है। गुरु महाराज की, स्वामी जी महाराज की इतनी कृपा है कि अगर तुम जिस तरह से बैठाकर लोगों को उपदेश करता हूँ वैसे ही सामूहिक रूप से उपदेश करता हूँ।

अगर तुम बैठकर यह क्रिया बगैर उपदेश के करो तो तुम में यह चीज आ जायेगी बगैर उपदेश किये हुए मेरे पास लोग सालों पड़े रहते हैं और यह काम करते रहते हैं। जो मेरे पास आता है उससे वह ज्यादा तरक्की करता है जो बैठ करके इस काम को करता है।

आखिर हो उपदेश तो हुआ न। बगैर उपदेश के तुम थोड़े ही पा सकते हो। कुछ फिर भी दया करें। यह उपदेश नहीं और क्या है? बैठ करके तुम उसको एकटक हो करके देखो और उस नूर पर छोटा-सा जो नजर आये उसी पर दृष्टि को टिकाओ देखो वह पूरा साफ है। वह एक आला बन जायेगा देखने के लिए। भाई तुमको करना क्या है?

बगैर परदा साफ किये दर्शन नहीं

समदृष्टि तुम बनाओगे समदर्शी बनोगे न। इसी को कहते हैं अन्तर्यामी और क्या है आला है वह। उसमें होकर फिर जब देखो न उसको जब देखने लगोगे तो फिर दिव्य दृष्टि बनेगी। दूर की चीज दीखेगी। दूर की चीज पास और पास की चीज दूर। अगर उससे भी आगे चलो तो दुरबीन हो जावेगी।

दुरबीन को जब चाहो घटाओ और बढ़ाओ यह तुम्हारे पास में सारे आले हैं जो बाहर हमारे फोटोग्राफी बगैरह में दिखाये जाते हैं। यह चीजें बिलकुल फास्ट और सही है। लेकिन हम लोग उसकी चीजों को भूल गये इसी बजह से वह नहीं है नहीं तो यह है कि दूर की चीज बिल्कुल करीब दीख पड़े और करोड़ों कोस की रचना बिल्कुल करीब आ आँखें दूर चली जाँय तो यह आला तुम्हारे पास मौजूद है।

परन्तु इसके ऊपर में वह परदा, काला पड़ गया है। बस उसकी सफाई करने की जरूरत है थोड़ी-सी। वह भी दृष्टि को रोक करके। आगे सुनिये कहते हैं कि वह ज्योति नारायण भगवान हैं लेकिन जब वह परदा साफ हो जायेगा तो उसका दर्शन होगा बगैर परदा साफ किये दर्शन नहीं होगा।

सहस कंवल दल नाम सुनाऊँ।
ज्योति निरंजन बास लखाऊँ।

निरंजन भगवान (Niranjan Bhagwan)

कहते हैं कि निरंजन भगवान उस स्थान पर विराजमान हैं। अब आपको यह पता चला होगा कि इस सृष्टि का रचयिता एक स्थान पर है। अगर एक स्थान पर न बैठा होता तो लोग उसको कैसे जानते कैसे पाते। अगर वह सर्वव्यापी हो जाता है तो कोई आकार ही नहीं नजर आता।

सर्वव्यापी प्रकाश रूप में है पर एक जगह पर स्थित है। लोगों ने एक ही जगह उसको पाया। जितने भी कबीरदास, रैदास, पलटू, जगजीवन आदि जितने महात्मा आये उन्होंने एक जगह पर पाया, सारी पुस्तकें कहती हैं। इनको पुस्तकें पढ़ने से यह पता चलता है। अरे भाई! आपने कहा उन्होंने भी कहा बात ठीक है। ऐसा तो भ्रम नहीं है कि मैं उसको देख रहा हूँ शायद हो सकता है गलत हो पीछे से साखी गवाही। ले लो महापुरुषों की।

तो ऐसा आला तुम्हारे पास में है तुम उसमें देखो बैठ कर के। उसको पा सकते हो। तो सहस दल कंवल वह स्थान जिस पर वह निवास करता है तीन लोक का मालिक है और उसका ज्योति स्वरूप रूप है। उसका श्रुतियों में भी यह स्वरूप आया हुआ है कहीं कहीं। जिक्र उसका इशारे रूप में पुराणों में भी आ जाता है कहीं-कहीं जिन लोगों ने उसका अनुभव किया।

करता तीन लोक आठाऊँ।
वेद चार इन रचे जनाऊँ॥

तीन लोक का मालिक Niranjan

कहते हैं वह तीन लोक का मालिक है यह सहस दल कमल में जो ज्योति स्वरूप भगवान है वह तीन लोक का मालिक है पहले इधर मनुष्य शरीर में ब्रह्मा को भेज करके, पंच भौतिक शरीर में और वहीं से अपनी वाणी उच्चारण किए उस पोल पर और ब्रह्मा इधर से अपनी वाणी मुखारविन्द से उच्चारण करते हये वेद बन गये।

वह आसमानी आवाज है जिसके साथ में ब्रह्मा जुड़ गये थे उधर से आवाज आ रही थी इधर से निकालते जा रहे थे। भाई इन्हीं पुस्तकों का आगे नाम वेद हो गया और क्या? वेद आसमानी आवाज है तो जो उधर से चार्ज होकर शब्द उन्होंने आये वह इधर पुस्तक में लिख दिए।

आज हम लोग उन वेदों की महिमा ही नहीं जानते। कुछ पता ही नहीं हम लोगों को। खास कारण यही है। जितने भी महात्मा आये उसके साथ में सम्बन्ध है वह चार्ज होकर जो वाणी आती है वह वेदवाणी है लेकिन हम लोग नहीं समझ पाते। हम लोग उन पुरातन चीजों को जिनको हमने समझ नहीं पाया जिनको हमने पढ़ नहीं पाया उन्ही को लेकर हम बैठे हुए हैं इसलिए हम असलियत को नहीं समझ पाते हैं चीज यह है।

निष्कर्ष:

महानुभाव ऊपर दिए गए आर्टिकल के अनुसार आपने जीवात्मा के ऊपर पड़े पदों के बारे में जाना। बिना पर्दे हटाए हम अंदरूनी शक्तियों में सफर नहीं कर सकते हैं, या Niranjan Bhagwan तीन लोक के मालिक उनका दर्शन नहीं कर सकते हैं। आशा है आपको दिया गया सत्संग आर्टिकल जरूर अच्छा लगा होगा। जय गुरुदेव मालिक की दया सब पर बनी रहे।

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