सत्संग के एक-एक वचनों को बारीकी से सुनो

सत्संग के बचनो को सुनो (Satsang ke bachno ko suno) , सत्संग में 1-1 वचनों को बड़ी बारीकी से सुनो, स्वामी जी ने कहा है अभी बताने वाला है, समझाने वाला है, कहने वाला है, जब चला जाऊंगा तो भजन किया नहीं किया, कौन बताएगा? इसलिए सत्संग में आते हो तो एक-एक वचनों को बड़ी बारीकी से सुनो और बारीकी से पकड़ लो। जय गुरुदेव

सत्संग के एक-एक वचनों को बारीकी से सुनो
सत्संग के एक-एक वचनों को बारीकी से सुनो

सत्संग स्वामी जी महाराज द्वारा (Satsang Baba Jai Guru Dev)

Satsang स्वामी जी महाराज द्वारा बताया गया है स्वामी जी महाराज ने कहा, साधकों को अपनी आदत अपना स्वभाव बदलना चाहिए, नहीं बदलेंगे तो वहीं के वहीं रह जाओगे। जो बचन सत्संग में कहे जाते हैं उनके अनुसार कर्म करो।

जब सुरत का प्रकाश सिमटकर घाट पर एकत्रित होता है। तब जाकर सुरत को अपना रूप दिखाई पड़ता है। पराशक्ति को देखना है तो आप सब के पास तीसरा तिल है। तुम्हारी तीसरी आँख गंदगी से बंद हो गई, किसी जानकार संत से मिलो जिस की तीसरी आँख खुली है।

उस महापुरुष के पास पहुँचकर जो दरवाज़ा गंदगी से बंद है। उस महापुरुष से दवा ले लो, जान जाओगे तो ख़ुद लगा लो, नहीं तो उनको लगा लेने दो, तुम उस युक्ति से नहीं लग सकते हो तो उसमें उसे लगवा लो। बराबर प्रार्थना करो कि हमारे ऊपर आपकी दया होने चाहिए,

बाबा जी की भविष्यवाणी (Baba Jaigurudev Ji Bhavisybani)

हर मनुष्य धर्मस्रत को खोलने का प्रयत्न करें। सारे विश्व में चंडी एक देवता यात्रा कर रहा है। सारे विश्व के मनुष्य को झकझोर देगा, विश्व की आम आवाम भगवान की तरफ़ सोचने से मुड़ जाएगी। विश्व के देशों के आम आवाम के दिल में यानी ह्रदय का परिवर्तन महात्मा फकीरों के उपदेश से होगा।

बाबा जयगुरुदेव जी जीवन सुधारने के लिए एवं सुख पाने व आत्म कल्याण हेतु सब को उपदेश शिक्षा देते हैं। शराब के नशा से धन बर्बाद, परिवार बर्बाद, लोक और परलोक बर्बाद, क्या आपको पता है कि मनुष्य जीवन के विज्ञान की प्रयोगशाला तीसरे तल में हैं।

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जहाँ प्रवेश होने पर आध्यात्मिक बाद का रहस्य समझ में आना शुरू होता है। तीसरा तिल दोनों आंखों के ऊपर है और शुरू-शुरू में अपने बिखरे हुए ध्यान को इकट्ठा करके यहाँ लगाना पड़ता है। जब जीवात्मा सतलोक में पहुँचकर सत्पुरुष से मिलाप कर लेती है। तब वहाँ संत या गुरु का दर्जा प्राप्त कर लेती है।

रूहानी स्कूल की शिक्षा (Satsang school)

इसके पहले जो कुछ भी होता है या प्रशिक्षित होने की प्रक्रिया का अंग है। या यूं कहें कि रूहानी स्कूल की शिक्षा है। ट्रेनिंग है और गुरु के स्तर तक पहुँचने की तैयारी है। गुरु का अंदर के मंडलों में स्वर्ग, बैकुंठ, ईश्वर धाम, ब्रह्मा धाम, आदि लोको में स्वरूप जो होता है।

वह प्रकाश स्वरूप होता है और देह रूप से मिलता जुलता है। जैसे-जैसे साधक ऊपर के मंडलों में जाता है, गुरु स्वरूप का प्रकाश बढ़ता जाता है। सतलोक में गुरु के एक-एक रोम में करोड़ों-करोड़ों सूर्य का प्रकाश होता है।

कोटन सूरज चांद सितारे,
रोम-रोम में करें ओजारे,
सत्पुरुष करतार तुमको लाखों प्रणाम,
सतगुरु सतनाम तुमको लाखों प्रणाम…

अमीरी और ग़रीबी का सम्बंध मन की इच्छा और तृष्णाओं के साथ है। जिसको कोई भी चाह नहीं है वही सबसे अधिक धनवान हैं। जिसको किसी भी वस्तु की कामना नहीं है वह शहंशाह है। कहाँ है कि जाको कछु ना चाहिए सोई शहंशाह हुई.

भक्ति किसे कहते है? (Bhakti Kya hi)

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने अपनी वाणी या संदेश सुनाया, यह मृत्युलोक संसार अपना देश नहीं है। पराया है। यहाँ ना कोई रहा ना कोई रह सकता है। ना कोई रहेगा। तुम इस पराए देश के मोहे ममता में फंस गए, इसलिए इस को छोड़ना नहीं चाहते हो,

पर तुम चाहो ना चाहो समय पूरा होगा। तो सब कुछ तुमसे रखवा लेगा और तुम्हें निकाल कर बाहर करेगा। यह शरीर यहाँ पड़ा रहेगा। भाग्य से अवसर मिला है तो अपनी जीवात्मा के लिए कुछ कर लो, सत्संग वचनों को ध्यान से सुनो और रास्ता मिल जाए तो भजन में लग जाओ.

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उस प्रभु की दया की भीख मांगो। उसी को कहते हैं भक्ति। भक्ति कोई गाना बजाना नहीं है। कोई छापा तिलक नहीं है। कोई नीला पीला लाल कपड़ा नहीं है। दाढ़ी बाल नहीं है। भक्ति तो वह है जो तुम्हारे कर्मों के पर्दे में छुप गये है, कर्मों के बदल फटेंगे तो उन्हें तुम पकड़ लोगे उसमें प्रकाश है। उसमें आनंद है। उसमें ठंडक है, उल्टा कुआं गगन, में इसको कोई बिरला पंछी पीता है।

साधना के लिए सामान तैयार करो (Sadhna Karo)

अपनी साधना के लिए सब सामान तैयार करो, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को दूर करो। इसकी जगह शील, क्षमा, संतोष, विवेक को खड़ा करो। तब यह कमजोर पड़ जाएगा। सील क्षमा बिरह विवेक मैं वरतो फिर साधन में बैठो। तो अंदर में ज़ोर लगता है तभी पर्दा हटते हैं।

सारी जीवात्मा इसी धार पर टिकी हुई हैं। यह सिमट जाएँ तो सब कुछ सिमट जाएगा। यह इतनी तेजस्विनी धार है, जब हम साधना करते और इस धार से ज़ोर हैं। तब हमें यह पता चलता है कि हमने जो-जो कर्म किए वह कैसे सूक्ष्म कर्म बने, कारण कर्म बने, संचित कर्म बने, प्रारब्ध कर्म बने,

इसलिए तो कृष्ण ने कहा है कि अर्जुन कर्मों का इतना बड़ा गहन विषय है। उसे कोई नहीं समझ सकता है। जब साधक गुरु भक्ति करता है और साधना में चलता है। तब उसे कर्मों की गहन गति समझ में आती है। गुरु भक्ति के बिना नहीं, इसलिए यह कहा है कि नित्य गुरु भक्ति कायम

यह असली चीज है इसे तुम लोग नहीं समझ पाते हो कि गुरु भक्ति किसको कहते हैं? इसलिए कहा जाता है सत्संग के एक-एक वचनों को बारीकी से सुनो और बारीकी से गुनो और पकड़ लो,

स्वामी जी महाराज ने एक कहानी (Baba ji Davar Kahani)

स्वामी जी महाराज ने एक कहानी सुनाई कि 2 विद्यार्थी एक गुरु के पास गए, एक तो विद्या पढ़ने में लग गया। दूसरा गुरु की सेवा ज़्यादा करें, पढ़ने में उसका मन ना लगे। पहले ने विद्या पढ़ ली, तो बोला की गुरु जी हमारी विद्या पूरी हुई घर चला जाऊँ, गुरु ने कहा जाओ.

दूसरे विद्यार्थी से गुरुजी ने पूछा कि तू अपने घर जाएगा। वह बोला जैसी आपकी मौज मर्जी है, गुरु ने कहा कि तू भी जा। जब वह चलने लगा तो गुरु ने उससे कहा कि जा कोयला ले आ और उसकी ज़ुबान पर रख दिया। वह चला गया।

जब घर पहुँचा तो वह सबको ज्ञान की बातें बताने लगा। वेद शास्त्र बताने लगा। पहला विद्यार्थी आश्चर्यचकित रह गया। उसने पूछा कि तुझे कैसी यह विद्या आई. तू तो पढ़ता था नहीं, काम करता था। उसने कहा सब गुरु की कृपा है।तो मतलब यह है कि गुरु की कृपा मांगते रहो,

सत्संग के वचनों को सुनते रहोगे (Satsang Bachano Ko Suno)

यहाँ सत्संग होता है वह भी कृपा होती है। दया का सहारा होता है। सत्संग के वचनों को सुनते रहोगे। तो सीधे रास्ते पर चलते रहोगे, अपने मन बुद्धि और अहंकार से चलोगे तो गिर जाओगे। गुरु कृपा का सहारा हर वक़्त लेते रहो,

जो सच्चे साधक होते हैं उनका मन दुनिया में नहीं लगता है। ज़रूरत का काम किया और चुपचाप बैठ गए, उसके घर वाले आकर कहते हैं कि जब देखो यह बैठ जाता है, तो साधना करता है तो करने दो, घर का काम तो कर देता है। फिर चाहे 10 मिनट बैठो या 1 घंटा बैठो तुम लोगों को क्या परेशानी है।

वह जो करता है उसको करने दो, उसके संस्कार तुम पर भी पढ़ेंगे। उसका फल तुमको भी मिलेगा। साधक जो साधना में लगे हुए हैं उनको दिन दूना रात चौगुना भजन करना चाहिए, प्रेम लगन के साथ गुरु के सामने अपना काम बना लो,

स्वामी जी महाराज कहते हैं कि मेरे सामने भजन कर लो, अभी बताने वाला है। समझाने वाला है। कहने वाला है। जब चला जाऊंगा तो भजन किया नहीं किया, समझा नहीं समझा, कौन बताएगा? कभी सत्संग में और कभी अकेले में यह सोचता रहता हूँ। बाद में कौन समझाएगा। कौन बताएगा स्वामी जी महाराज की बातें याद करता हूँ। जय गुरुदेव,

पोस्ट निष्कर्ष

महानुभाव आपने महत्त्वपूर्ण सत्संग शब्दों (Satsang ke bachno ko suno) को पढ़ा, आशा है आप को ऊपर दिए गए लेख ज़रूर अच्छे लगे होंगे। स्वामी जी महाराज ने पूर्व में दिए सत्संग, जिसमें उन्होंने कहा सत्संग के एक-एक वचनों को बारीकियों से पकड़ो। आशा है आप को गुरु महाराज की दया ज़रूर हो, आपने सोशल नेटवर्क पर ज़्यादा से ज़्यादा दोस्तों के साथ शेयर करें, जय गुरुदेव।

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