जग में जयगुरुदेव का झंडा लहर-लहर लहराए

“जय गुरुदेव” समस्त सत्संगी महानुभाव इस वेबसाइट पर आने वाले समस्त महानुभाव जय गुरुदेव, झंडा सत्य का प्रतीक, आध्यात्मिक और आत्मा परमात्मा से जोड़ने वाला सफेद रंग का ध्वजा जय गुरुदेव झंडा, देश दुनिया में उसकी अलग ही निराली पहचान है। जो सफेद एक मात्र सद मार्ग, सच्चाई और परमात्मा से मिलना, जिसमें कोई मिलावट ना हो, ऐसे सफेद सद्गुरु जय गुरुदेव चिन्हित झंडे को हम सब नमन करते हैं।

महानुभाव इस आर्टिकल में जय गुरुदेव का झंडा जग में लहर-लहर लहराए, इसी पर हम आपके साथ सांझा कर रहे हैं। आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें, जो परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के द्वारा पूर्व में दिए गए संदेश वाचन कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दों को आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।

जग में जयगुरुदेव का झंडा लहर-लहर लहराए
जग में जयगुरुदेव का झंडा लहर-लहर लहराए

जग में जय गुरुदेव का झंडा

बहुत पहले की बात है स्वामी जी महाराज ने सत्संग के दौरान कहा था। “गुरु से कपट मित्र से चोरी के हो निर्धन, के हो कोड़ी” सभी महात्माओं ने कहा है गुरु से झूठ मत बोलो। ठीक है हम कमजोर हैं, हमारे अंदर बहुत कमियाँ हैं, गलतियाँ भी बहुत होती हैं।

लेकिन अगर गुरु महाराज कुछ पूछे या ना भी पूछे हम अपने से कहना चाहें तो सच्ची-सच्ची बात कह दें और यदि वह पूछ ले तब भी भली बुरी सब सच्ची कहना ही कहना है। गुरु से एक झूठ अनेक झूठों के जन्म दे देता है।

मन मोटा होने लगता है। विवेक ख़त्म होने लगता है और हम सोचने लगते हैं कि गुरु जी को क्या मालूम, जहाँ यह भावना मन में आई कि मन सत्संग के वचन भूल जाता है और मनमानी करने लगता है। ऐसी भावना के लिए कबीर साहब ने लिख दिया है।

गुरु को मानुष जानते, ते नर कहिए अंध…
होय दुखी संसार में, आगे जम का फंद

Jai Guru Dev
Jai Guru Dev

महापुरुषों की सत्संग वाणी

बाबा जयगुरुदेव जी ने कहा है कि महापुरुषों की वाणी सत्संगियो पर से होती हुई सब पर लागू होती हैं। क्योंकि गुरु धारण तो सत्संगी ही करता है। स्वामी जी महाराज ने एक उदाहरण देकर समझाया है कि नारद जी स्वर्ग जाते थे।

लेकिन उन्होंने गुरु नहीं किया, उनको किसी ने कहा कि आप गुरु बना लीजिए, नहीं तो मुक्ति नहीं होगी। नारद विष्णु लोक गए और उन्होंने विष्णु जी से यह बात कही। विष्णु ने कहा कि बात तो ठीक है। बिना गुरु के मुक्ति नहीं होगी।

नारद ने पूछा भगवान मैं किसको गुरु बनाऊ विष्णु जी ने कहा तुम मृत्युलोक में जाओ जो पहला आदमी मिले उसको गुरु बना लेना। नारद जी मृत्युलोक में आए वह जा रहे थे तो उनको एक शूद्र मिला। वह पहला व्यक्ति था नारद जी ने कहा हम आपको अपना गुरु बनाते हैं।

नारद जी ने कहा
नारद जी ने कहा

अभी तो इस समय बड़े-बड़े नाम आ गए, यह जनजाति है, अनुसूचित जाति है, अनुसूचित जनजाति है, यह सामान्य है, पिछड़ा वर्ग है, आदि-आदि, पहले चार भाग थे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र सबके अपने काम थे, अपनी सीमा थी। कोई खींचातानी नहीं थी। लड़ाई झगड़ा नहीं था।

गुरु से झूठ बोलने का परिणाम क्या

नारद ने गुरु को धारण कर लिया, लेकिन उनके मन में कसक हो गए, वह फिर विष्णु लोक गए विष्णु जी ने पूछा कि तुमने गुरु धारण किया। नारद जी ने कहा हाँ भगवान धारण तो किया है। आपके कहने के अनुसार, जैसे ही नारद ने कहा,

विष्णु भगवान बोले अरे नारद तुमने यह क्या किया? गुरु के लिए लेकिन? यह तो बहुत बड़ा अपराध कर दिया। कहने का मतलब गुरु की इतनी महत्ता है तो गुरु से झूठ बोलने का क्या परिणाम होगा। गुरु की महिमा भारत भूमि पर जितनी है उतनी और किसी देश में नहीं है।

क्योंकि यह धर्म और कर्म भूमि है। यह ऋषि-मुनियों योगी तपस्या संतों और फकीरों की भूमि है। इसके लिए ऐसा कहा जाता है कि किसी भी देश में पीर पैगंबर आए उन सब ने भारत में आकर आध्यात्मिक साधना की, गुरुओं की महिमा कुछ नकारते है।

परिणाम क्या हुआ, साधुओं की अवहेलना होने लगी। संत महात्माओं की वाणी या कपोल काल्पनिक मानी जाने लगी। ईश्वर का अस्तित्व नकारा जाने लगा। धर्म संघर्ष का मुद्दा बन गया। विद्यालय में गुरु ने अपना काम छोड़ दिया। जिसने अपना काम छोड़ दिया जो कुछ हुआ या हो रहा। यह सब हमारे आपके चारों तरफ़ घट रहा है, इसे आप भी महसूस कर रहे हैं हम भी महसूस कर रहे हैं।

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यह भारत भूमि यह धर्म का झंडा लहराता रहेगा

लेकिन यह भारत भूमि है। यह धर्म का झंडा लहराता रहेगा। सब पुकारते गुरु तेग बहादुर खड़े हो जाएंगे, समय ने पुकारा तो समर्थ गुरु रामदास खड़े हो जाएंगे और आज भक्तों ने पुकारा तो संतो के अग्रणी बाबा जयगुरुदेव जी खड़े हो गए, बाबा जी की वाणी वैचारिक क्रांति उत्पन्न कर रही है।

लोगों को मोड़ रही है और भौतिकवादी युग में बाबा जी ने एक ऐसा तबका खड़ा कर दिया। जिसने अपना रुख आध्यात्मिक बाद की तरफ़ कर लिया। सबके हाथों में बाबा जी ने माला पकड़ा दी, सब के अंदर आध्यात्मिक साधना के बीज बो दिए,

अब यह बात अलग है कि जन्म जन्मांतर का स्वभाव एकाएक नहीं बदलेगा। समय लगेगा जब झटका लगता है कोई तो हम गुरु महाराज को पुकारते हैं और उनकी दया का एहसास भी होता है।

होशियारी और सावधानी की ज़रूरत

लेकिन जहाँ हमारा स्वार्थ आड़े आता है तो हमारा मन धोखा दे जाता है और हम गुरु से झूठ बोल जाते हैं। अंत में सत्संग में इतना बड़ा मैदान है अंता इतना विशाल दायरा है। इसमें बैठकर अगर परमारथ का ज्ञान होता है तो दुनिया के भी अनुभव होते हैं।

अपने-अपने घर परिवार के छोटे दायरे में छोटे-मोटे अनुभव तो सभी के होते हैं, किंतु किस तरह की दुनिया चलती है यह समझ में आता है। यहाँ बड़ी होशियारी और सावधानी की ज़रूरत है। जरा-सा चुके तो यह मन कहाँ का कहाँ ले जाएगा।

जयगुरुदेव का झंडा लहर-लहर लहराएगे

प्रेमी प्रार्थना गाते हैं, “जोर लगा ले अहले ज़माने, कब तक ज़ोर लगाएंगे, जग में जयगुरुदेव का झंडा लहर-लहर लहराएगे” महानुभाव जयगुरुदेव का झंडा विशेषकर सत्संगी प्रेमी अपने घर दुकान दफ्तर ऑफिस या जहाँ भी रहते हैं।

23 मार्च को मुक्ति दिवस के शुभ अवसर पर श्रद्धा और प्रेम के साथ नया सफेद और सत्य आध्यात्मिक बाद और परमात्मा प्राप्ति का संकेत, एवं परेशानियों से छुटकारा हेतु परम संत बाबा जयगुरुदेव के आदेश अनुसार,

मुक्ति दिवस को 23 मार्च को आपने अपनी जगह झंडा चढ़ाया जाता है।हर जगह सत्संगी प्रेमियों घर परिवार ऑफिस दुकान दफ्तर जयगुरुदेव का झंडा जग में लहर-लहर लहराता है।

पोस्ट निष्कर्ष

महानुभाव आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना जो परम संत बाबा जयगुरुदेव जी ने उदाहरण के तौर पर लोगों को समझाया है, गुरु की महिमा के बारे में और जयगुरुदेव झंडा के बारे में, आशा है आप को ऊपर दिए गए कुछ महत्त्वपूर्ण सत्संग अंशों को पढ़ा। आपको ज़रूर अच्छा लगा होगा। यदि आप फ़ेसबुक व्हाट्सएप ट्विटर और भी सोशल नेटवर्क यदि आप यूज करते हैं तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें, गुरु महाराज की दया सभी पर हो जय गुरुदेव।

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