सतयुग भारत में स्थापित होगा। Satyug Aagman पर बाबाजी

Satyug Aagman पर बाबाजी ने क्या कहा? सतयुग भारत में स्थापित होगा। यह महापुरुषों ने स्पष्ट कहा है। क्योंकि यह धर्म प्रधान देश है यहाँ ऋषि-मुनियों और अवतारी शक्तियों का जन्म भारत देश में हुआ है। सतयुग मैं मनुष्य की उम्र बहुत ज्यादा हुआ करती थी लेकिन कलयुग में अब सीमित रह गई है सतयुग आगवन (Satyug Aagman) के लिए महात्मा कितना प्रयास करते हैं चलिए जानते हैं बाबा जयगुरुदेव जी ने सतयुग के बारे में क्या कहा? और उनकी जीवन गाथा से जुड़ा हुआ एक विशिष्ट आध्या पढ़ते हैं जय गुरुदेव।

Satyug Aagman
Satyug Aagman

सतयुग सब योगी विज्ञानी (Satyug Aagman)

सतयुग जहाँ पर सत्य का संचार, अनीति अधर्म और दुराचार या झूठ का कोई नामोनिशान नहीं, सत्य सनातन धर्म, सत्य का आगाज जीवन में सर्वोपरि है। क्योंकि हम उस परम शक्ति सत्य से प्रकट हुए और इस संसार के झूठ कपट छल जैसे जनजालों में फंस गए, ऐसे में जीवन में सत्य लाना है तो महापुरुषों सत्य वचन सत्संग के माध्यम से दिए उनको जीवन में पालन करना जरूरी है।

क्योंकि गुरु महाराज ने सत्संग में बताया है कि सतयुग में सभी लोग योगी और विज्ञानी थे। आज इस कलयुग में अपनी उस अद्भुत शक्ति को खो दिया या, लुप्त कर दिया। जिसका आभास भी नहीं रहा है। यह आभास जीता जागता महापुरुष उस परम शक्ति के बारे में जानता है। वह हमें बताएगा।

इसलिए कहा भी गया है “सतयुग सभी योगी विज्ञानी करहरी ध्यान तरह भाव प्राणी” सतयुग में सभी ध्यान योग करते थे। सब परमात्मा के संपर्क में रहते थे। लेकिन इस कलयुग में आकर हम परमात्मा से अलग हो चुके और संसार की झंझट में फंस चुके हैं।

सतयुग सब योगी विज्ञानी, कार हरि ध्यान तराई भाव प्राणी

इसलिए यदि परमात्मा को पाना है तो उस परम शक्ति परमात्मा स्वरुप गुरु की खोज करनी होगी। जो हमें परमात्मा का रास्ता बतला दे, सत्य को जना दे, चलिए जानते हैं बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के द्वारा दिया गया सत्संग और उनके जीवन गाथा से जुड़ा हुआ एक विशिष्ट अध्याय, सतयुग के आगमन (Satyug Aagman) पर क्या कहा चलिए जानते हैं।

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बाबाजी की जीवन गाथा में एक विशिष्ट अध्याय

बाबाजी की जीवन गाथा में सन् 1975 एक विशिष्ट अध्याय जोड़ता है। ये ऐसा अध्याय है जिसने मन्सूर की शूली याद दिला दी, ईसामसीह की कुर्बानी याद दिला दी, गुरु अर्जुनदेव की बलिदान गाथा याद आ गई और भी सन्त महात्माओं के साथ इन दुनियाँ ने क्या-क्या जुल्म ढाये उनका इतिहास साकार हो गया।

सुभाष जयन्ती के अवसर पर

जनवरी 1975 में सुभाष क्रान्ति वाहिनी की तरफ से सुभाष जयन्ती के में अवसर पर श्री हीरा लाल दीक्षित स्वामी जी महाराज को निमंत्रण पत्र देने मथुरा आश्रम पर आये। स्वामी जी दो दिन तक बात टालते रहे लेकिन वह दो दिन लगातार प्रार्थना करते रहे। अन्त में स्वामी जी महाराज ने निमंत्रण स्वीकार किया।

यह शुरूआत थी काले इतिहास की। कानपुर के फूलबाग में पूर्व नियोजित हंगामा मचाया गया। जगयगुरूदेव संस्था को और बाबाजी को बदनाम करने का षडयंत्र रचा गया। इसी सिलसिले में बाबा जी को कानपुर जेल में रहना पड़ा। स्वामी जी पर मुकदमा चलाया गया कानपुर कचहरी में। मुकदमें में कोई दम नहीं था इसलिये बात आई गई खत्म हो गई।

बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार

लेकिन सत्ता की बौखलाहट कम नहीं हुई थी। उसकी पराकाष्ठा जा पहुँची 26 जून 1975 को। देश में आपात स्थिति लागू कर दी गई। बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार किये जाने लगे। इसी क्रम में बाबाजी को 29 जून 1975 को मथुरा आश्रम से ले जाया गया यह कहकर कि डी0एम0 साहब ने आपको बुलाया है।

लोगों को यह जानकर ताज्जुब होगा कि कानून की ऐसी तैसी कर दी गई थी। वहाँ बाबाजी के पहुँचने के बाद वारन्ट पेपर तैयार किया गया और बाबाजी को आगरा जेल भेज दिया गया। आगरा जेल में ‘सी’ क्लास के कैदियों के साथ रखा गया। जेल में रह रहे राजनीतिक बन्दियों के चिल्ल पुकार मचाने पर बाबाजी को सुपीरियर क्लास दिया

जेल के दौरान बाबाजी

JEL के दौरान बाबाजी के पैरों में बेड़ियों डाली गई। आगरा से बरेली-बरेली से बंगलौर और बंगलौर से तिहाड़ जेल से रिहा किया गया था। जेल के ‘सी क्लास’ में रहने का अनुभव सुनाते हुए बाबाजी ने कहा था कि गालियाँ कैसे दी जाती हैं ये मैंने देखा।

जेल से निकलने के बाद अयोध्या में सरयू नदी के पावन तट पर बाबाजी ने मई 1977 में (Satyug Aagman) साकेत महायज्ञ कराया। 28 मई को कलश विसर्जन के समय पूर्णाहुति के दिन कुंवारी कन्यायें सिर पर घड़े लेकर सरयू में चलती चली गई और सरयू जी ने बराबर रास्ता दे दिया।

जहाँ बीस-बीस फीट बल्लियाँ लगती थी वहाँ कमर तक पानी रह गया। यह दृश्य लोगों ने अपनी आँखों से देखा। ऐसा चमत्कार तो कृष्ण भगवान के समय में भी हुआ जब गोपिकायें दुर्वासा ऋषि को यमुना पार फलाहार कराने जाना चाहती थी, उस समय यमुना बढ़ी हुई थी।

देवता प्रसन्न हुए

कृष्ण ने कहा कि तुम जाओ यमुना रास्ता दे देगी। जब वे गई तो यमुना मैया रास्ता देती चली गई। यज्ञ से देवता प्रसन्न हुए और गन्ना व चावल का रिकार्ड उत्पादन हुआ। इतनी अधिक पैदावार हुई कि उस वर्ष किसानों का गन्ना उन्हें अपने खेतों में जलाना पड़ा।

बाबाजी ने कहा कि हमारी तालीम जो इस पराविद्या कीहै वह सब जगह फैल रही है और पूरे हिन्दुस्तान में फैल जायेगी। यह राजनीति नहीं है यह समाज नीति नहीं है और न कोई दूसरी बात है। मैं तो राजनीति वालों से कहता हूँ कि तुम मेरा थोड़ा-सा साथ दे दो तो फिर देखो कितनी जल्दी इस समाज का नैतिक सुधार होता है और साथ ही सारे देश में अमन चैन व सुख फैल जाता है।

मैं तो चाहता हूँ कि मिनिस्टरों मैं को भी सुना और जनता को भी सुना दूँ मगर अभी लोग कम सुनते है पर एक दिन उन्हें सुनना ही होगा। समय सबको खींच कर अपने आप ले आयेगा। अभी तुम चाहे जैसे रह लो पर आगे वक्त खराब आ रहा है फिर तुम्हें मजबूरन सुनना होगा क्योंकि और कहीं शान्ति मिलेगी ही नहीं।

Satyug Aagman साकेत महायज्ञ

शान्ति के लिए कष्टों से बचने के लिए दौड़ोगे तो शान्ति तो केवल महात्माओं के पास ही मिलेगी अन्यत्र कहीं नहीं। तब तुम्हें मजबूर होकर सुनना होगा। समय तुम्हें खींच लायेगा। मेरी बात सही और सत्य उतरेगी।

दूसरा सतयुग आगवन साकेत महायज्ञ अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे 25 दिसम्बर 1977 से 5 जनवरी 78 तक हुआ। किसी के दिल दिमाग में वहाँ का नक्शा वहाँ की जन उपस्थिति का अन्दाजा नहीं था।

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एक महात्मा के इशारे पर असख्य जन समूह आया था यह सबके लिए हैरत की बात थी। बाबा जी के सतयुग आगवन साकेत महायज्ञ में 33 करोड़ देवता उपस्थित थे और उन्होंने जनता की खुशहाली के लिए प्रस्ताव भी पास किये जिसकी घोषणा बाबाजी ने की।

गाँधी महात्मा चूक गये हम चूकने वाले नहीं

बाबाजी ने कहा कि यदि कोई शासक जनता को खुशहाल बनाना चाहता है तो दिल्ली की भूमि पर बैठकर खुशहाल नहीं बना सकता है। गाँधी महात्मा चूक गये किन्तु हम चूकने वाले नहीं है। गांधी जी केवल राजनीति के साथ जुड़े थे और हम धर्म के साथ चलकर काम करेंगे। धर्म सब में एक है।

एक आत्मा है और एक परमात्मा है इस बात को सोचना चाहिए। अद्वितीय परिवर्तन होगा। सारे विश्व के लोग भारत भूमि को सिजदा करने लगेंगे। सतयुग भारत में स्थापित होगा। सारे विश्व को यहाँ की विभूतियाँ नचाया करती थीं वही वक्त आने वाला है।

चीन, अमेरिका, रूस नहीं बचेंगे तो छोटे-मोटे मुल्कों की क्या बात है। भारत की भौतिक प्रगति आध्यात्मिक प्रगति को देखकर विश्व के लोग दातों तले उंगली दबायेंगे। भारत औतारी शक्तियों का ऐसा केन्द्र बनेगा कि सारा विश्व यहाँ के लोंगों को गुरु मानने लगेगा। मैं यह जानता हूँ कि हमारी बातें लोगों को अटपटी, उल्टी मालूम होती है।

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महात्माओं की भाषा

महात्माओं की भाषा जल्दी समझ में नहीं आती निकट में आने पर समझ में आने गलती है। मैंने देवताओं से कहा कि भारत का सम्मान होना चाहिए और उन्होने प्रस्ताव पास कर दिया। महान् आत्माओं का प्रदुर्भाव होगा। वह महान् आत्मायें शासन की बागडोर सम्हाल लेंगी फिर चाहे राज्य किसी को दें। रावण मारकर राज्य एक बारगी किसी को दिया जा सकता है। देवताओं ने प्रस्तावों पर दस्तखत कर दिया है।

एक इतिहास रचा गया

सतयुग आगवन (Satyug Aagman) साकेत महायज्ञ (तृतीय) काशी विश्वनाथ बम भोले की नगरी में गंगा तट रेती पर फैले मीलों चौड़े मैदान में दशाश्वमेघ घाट के उस पार 15 से 25 फरवरी 1979 तक सम्पन्न हुआ जिसमें लगभग दो करोड़ लोगों ने भाग लिया।

एक इतिहास रचा गया। बाबाजी ने कहा कि भारतवर्ष धर्म क्षेत्र का भूमि है जहाँ के कण-कण में धर्म के बीज है। हमारे अन्दर भी जब उस धर्म का प्रादुर्भाव हो जायेगा तो हम इस भूमि की पवित्रता को समझने लगेंगे। इस भूमि की विशेषता दृष्टिगोचर होने लगेगी।

भारतवर्ष में आध्यात्मवाद उतरने जा रहा है। सतयुग आएगा। यदा रखिए एक झटके में ही सारी दुनियाँ जाग जायेगी भारत विश्व की महान शक्ति बनेगा। इसके पहले ऐसी विपदायें आयेंगी जिन्हें तुमने देखा नहीं। कुदरत के एक डंडे में अकल आ जायेगी।

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