अच्छे से भजन (Acche Se Bhajan) किया सत्संग सुमिरन ध्यान की युक्ति महात्माओं से मिली। हमारे मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ कार्य संपूर्ण हो सकता है। हमारे अंदर ऐसे भाव पैदा हो सकते हैं हम योग साधना सार शब्द से जुड़कर हम अपने जीवन में उस परमपिता परमात्मा का दर्शन दीदार कर सकते हैं। चलिए जानते हैं Bhajan acche se करने का फायदा क्या है और मालिक की दया कैसे प्राप्त की जा सकती है?
Acche Se Bhajan मालिक की दया
हमने यदि सत्संग किया सुमिरन, ध्यान, भजन, मालिक के बताए हुए युक्ति को अच्छे से यूज किया और अच्छे से भजन (Acche Se Bhajan) किया तो हम उस मालिक की दया के पात्र बन सकते हैं उसका दर्शन दीदार कर सकते हैं।
हमें एक दृढ़ संकल्प करने की जरूरत है। मन को जीतने की पूरी कोशिश करना हम सब का फर्ज बनता है। महात्मा हमारे लिए शब्द योग, सार शब्द का भेद बताते हैं और उनके बताए हुए रास्ते पर चले तो हमें निश्चय ही मदद मिल सकती है। चलिए महापुरुषों ने अपने सत्संग के माध्यम से क्या कहा इसे जानते हैं। आगे पढ़ते रहें।
सबके लिए सन्देश (Baba Jaigurudev Sandesh)
जब ऐसे सन्त और फकीर जीवों को जगाने के लिए धरा पर आते तो वह कहते है कि यह शरीर तो एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, इस रहते हुए तुम कुछ दुनियाँ के भी काम कर लो और अपना आत्म कल्याण भी कर लो। वह रास्ता बताते हैं, भेद बताते हैं, हर तरफ से मदद करते इन्हीं सन्तों फकीरों की श्रेणी में बाबा जयगुरूदेव जी ने जीवों का आवाहन किया,
सबके लिए एक सन्देश, सबके लिए एक भेद मानव मात्र के तरह से मदद करने को तैयार हैं हम गलत फहमी में पड़ जाते महापुरूष मिल गए तो हमें अब कोई तकलीफ नहीं होगी, कोई बीमारी नहीं होगी, कोई मुसीबत नहीं आएगी पर ऐसा नहीं है।
बाबा जी के शब्दों में शूली का कांटा कर दिया जाएगा लेकिन कांटे की चुभन को तो सहना पड़ेगा और भजन करना होगा। Acche Se Bhajan करने से कर्म साफ होंगे तो कष्ट तो अपने आप कम होगा क्योंकि कर्म कर्जे का लेन-देन ही तो दुख, सुख का कारण है।
लोक परलोक दोनों बन जाएगा (Lok Parlok)
भजन करेंगे, अच्छे बुरे कर्म करेंगे, दुःख-सुख की बेड़ी कटेगी। इसलिए जयगुरूदेव बाबा जी कहते हैं कि जब तक स्वांसों की पूंजी है अच्छे काम कर लो, जीवों पर रहम करो, किसी की मदद कर सकते हो तो मदद कर दो अपनी हस्ती के अन्दर। कोई भूखा प्यासा दरवाजे पर आ जाये तो उसे रोट खिला दो पानी पिला दो और फिर Acche Se Bhajan करो।
महापुरूष मिल गए बडे भाग्य हैं, उनको सर्वागीण समर्पण कर दो और भजन करो फिर तुम दुख-सुख से छूट जाओगे। समय की जो रफ्तार चल रही है उससे बचोगे और जब तक महापुरुष नहीं भला हो सके कर दो। बुरा तो करो ही मन तो इतना तो होगा
कि फिर मनुष्य शरीर मिल जाएगा और यह भी हो सकता है कि दरवाजे पर आए हुए भूखे प्यासे को रोटी पानी देते हुए कोई महापुरूष मिल जाये और परमार्थ की जिज्ञासा जगा दें, Acche Se Bhajan करने लगोगे तो लोक परलोक दोनों बन जाएगा इसीलिए कबीर साहब ने कहा कि देह-देह तूं देह तूं, जब लग तेरी देह।
स्वामी जी के पत्र:
” प्रेमी भक्तों साधकों नाम के प्यारों,
सदा हमारा स्नेह तुम्हारे साथ”
सुरत शब्द योग सार (Surat Sabdhy)
नाम की कमाई में लगे रहो। जीवन अनमोल है। प्रभु की दया से बहुत दिनों के बाद मनुष्य शरीर भजन के लिए निरंजन भगवान ने किराए सौभाग्य है जो नामों का भेद मिला प्रभु की दया गुरु आप पर कृपा की सुरत शब्द योग की साधना के लिए प्रेरणा दी।
सुरत शब्द योग सार है नाम के साथ सुरत को जोड़ने में तड़प पर दिया है। तुम्हारा पर हुई और गुरु ने की जरूरत है। शब्द से आशनाई व गुरु से प्रथम आशनाई गुरु से बाद में शब्द के साथ हो जाएगी।
बुरे कर्मों से हमेशा दूर रहें (Bure Karmo Se)
मान्स का आहार महान दूषित गन्दा है मन, बुद्धि और चित्त गन्दे होते हैं। सुरत पर भारी कालिमा का परदा जमा होता है। अनेक जन्मों तक यह पर्दा हटता नहीं है। कर्म के भोगने पर ही खतम होगा। जीव क्या करें? मन भोग में लिप्त है। विचार साथ नहीं देते है क्योंकि मन बुद्धि गन्दे है। प्रिय सर्व संगत सारे नर-नारियों को हार्दिक प्यार है।
हम सबको याद करते है। सबकी संभाल होती रहती है। मालिक कृपा की दृष्टि भजन करने वालों पर करते रहते है। सत्संगी हमेशा अपने कर्मों से साफ रहें। हमेशा अच्छे पवित्र कर्मों को करें। सत्य का उच्चारण हमेशा करें, प्रेम दया रखों, बुरे कर्मों से हमेशा दूर रहें।
हमेशा गुरु मालिक से डरते रहें। सुमिरन, भजन, ध्यान की युक्ति में अपने मन, बुद्धि व सुरत को लगाये रहे। नाम (Acche Se Bhajan) की कमाई का नाम धन जमा करें। नाम धन के समान कोई धन नहीं। मौत सिर पर खड़ी इन्तजार करती है। जो जीवन में किया है उसी गन्दगी को गुरु कृपा से धुला लें। ऐसी भक्ति गुरु और प्रेमी में कोई भेद न रहे।
सदा बाबा जी का प्यार (Baba Ji Ka Piyar)
सर्व प्रेमी भक्तों, नाम अधारे शब्द के आशक नर-नारियों सदा बाबा जी का प्यार, सब प्रेमी अपना कार्य करते हुए, बच्चों की सेवा करते हुए सुबह शाम भजन में अपना अमूल्य समय देते होंगे। हमेशा प्रेमी भजन करें क्योंकि जीवन का सार भजन है।
नाम भेद पाकर लगन के साथ उस वक्त तक गमगीन होकर लगे रहो जब तक Surat शब्द का रस न पावे। मानव जी वन किराये का मकान है। शराब ताडी गांजा मान्स मछली अण्डा कोई प्रेमी भजन की दीक्षा लेकर खायेगा उसे सख्त सजा मिलेगी।
सत्संगो होशियार सत्संग रविवार का एक जगह होगा अलग-अलग नहीं। गुरुवार को सत्संग कहीं नहीं होगा। बाकी समय लोग भजन करें जैसा जिसके पास समय हो मैं किसानों से धर्म का प्रचार करा लूंगा आप शहर के लोग चिन्ता न करें।
दो शब्द:
महानुभाव सज्जनों आपने ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का सत्संग आर्टिकल के माध्यम से पढ़ा। आपने यह जाना कि यदि हम महात्माओं के बताए युक्ति के माध्यम से अच्छे से भजन (Acche Se Bhajan) करें तो हम निश्चय ही अपनी मंजिल प्राप्त कर सकते हैं। आशा है आपको यह सत्संग आर्टिकल जरूर अच्छा लगा होगा जय गुरुदेव मालिक की दया सर पर बनी रहे।
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