दिव्य दृष्टि कब तक नहीं खुलती है जब तक हमारे कर्मों की सफाई नहीं होती है हमारी दिव्य नेत्र के परदे नहीं हटेंगे तब तक हमारी Divya Drishti नहीं खुलती है। महात्माओं ने इसकी युक्ति भी बताई है और लोग अपनी दिव्य दृष्टि खोलकर आत्मा परमात्मा का दर्शन दीदार कर सकते हैं। चलिए इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं दिव्य दृष्टि के बारे में, पूरा पढ़ें जय गुरुदेव।
दिव्य दृष्टि खुलने पर सब दिखाई देता है
साधना के बल पर हम इस शरीर को यहीं पर रखकर के ऊपरी मंडलों का सफर कर सकते हैं। यह तभी संभव होता है जब हमें पूर्ण महात्मा मिले और वह हमें युक्ति बताएँ, हम उस युक्ति को प्रैक्टिकल करें तब यह साकार होता है। Divya Drishti कब खुलती है? जब हमारे कर्मों का पर्दा हटता है। हमारे ऊपर अच्छाइयों और बुराइयों का पर्दा साफ होता है।
जब तक हम अपनी दिव्य दृष्टि के पदों को नहीं काटेंगे, तब तक सामने हमें कुछ भी दिखाई नहीं देगा। जब Divya Drishti खुलती है तो हमें सब कुछ दिखाई देता है। महात्माओं ने यह सब कुछ वर्णन किया और जिन लोगों ने दिव्यदृष्टि खोली उन्हें भी उस चीज का प्रैक्टिकल और अनुभव किया और साक्षात्कार किया।
महात्माओं ने अपने सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है चलिए हम आगे जानते हैं कि हमारे जीवात्मा के कर्मों की सफाई क्या गंगा में स्नान करने से होगी? या सरयू नदी में स्नान करने से होगी, या कौन-सी ऐसी विधि है जिसके माध्यम से हम अपनी जीवात्मा के ऊपर पड़ी गंदगी को साफ कर सकें, चलिए जानते हैं महात्मा ने सत्संग के माध्यम से क्या कहा?
गंगा में स्नान करने से (Ganga Me Esnaan)
आप शिव की उपासना करते हो, विष्णु की आप गंगा और जमुना की उपासना करते हो और जिस गंगा में हमको स्नान करना है भाई वह रास्ता ही आप नहीं चलते हो किवह स्नान करो। जितने भी कल-मल हैं सारे पाप जितने भी हमारे ऊपर लदे हुए हैं वह सब इस गंगा में स्नान करने से धुल जाय हम उस गंगा में जाते ही नहीं।
तो गंगा और सरयू तो आपको मिलेगी। इस रास्ते में बड़े-बड़े दरिया। यह समूचा जितना संसार है वहाँ तो जितने छोटे-छोटे दरिया बह रहे हैं। मामूली थोड़े हैं समूचा यह विश्व है वह मामूली एक दरिया वहाँ है और इससे कितने गुने ज्यादा।
अगर उन दरियाओं का पाट कोई देख ले मैदान जो लम्बा चौड़ा उसका है यह है उसको समझ लोग हैरत-हैरत करते हैं ऐसी-ऐसी दरिया उस रास्ते में पड़ते हैं जिस रास्ते में ऋषि, मुनि, महात्मा, साधु, सन्त गए और तुम उधर जा नहीं रहे हो। तुम्हें कोई उसका ख्याल ही नहीं है क्योंकि तुम हमेशा से भूले हुए हो। वह तुमको मिला नहीं जो तुम्हारी भूल को मिटा देता और ले चलता बड़े-बड़े दरिया में।
सरयू में स्नान (Saryu Nadi)
वह राम और वह अयोध्या आज भी है क्या वह सरयू आज नहीं है? है माँफ करना। क्या वह अयोध्या आज नहीं है जिस अयोध्या में राम (Ram Ji) पहले भी बसते थे। जब राम नहीं आये थे और जब राम आये तब भी वहीं रहते थे उसी अयोध्या में। चले गये तो आज भी राम की अयोध्या मौजूद है।
लेकिन हम लोग बाहर में हैं नाम यहाँ रूपक में गाँव का रख दिया अयोध्या (Ayodhya) और उसको कहते हैं ये अयोध्या है और एक दरिया का नाम सरयू। सरयू पहले से सदा से बह रही है उसमें स्नान करने कभी नहीं जाते हैं चलो भाई राम वहाँ अयोध्या में बसते हैं।
राम की अयोध्या (Ram Ji ki Ayodhya)
राम यहाँ के इस अवध के निवासी नहीं हैं। राम पहले भी थे राम आज भी हैं और जाने के बाद भी मौजूद हैं। कहते हैं कि वह राम की अयोध्या है और अयोध्या के अन्दर में मणि, माणिक्य के कंगूरे जगमगाते हैं। मणियों से जड़े हुए नीचे से ऊपर तक दम-दम करते नजर आते हैं।
यह वह अयोध्या है, वह अयोध्या कि जब Divya Drishti खुलती है तब नजर आती है और गोस्वामी जी महाराज ने जो कुछ भी अयोध्या का वर्णन किया है वह उसी चेतन अयोध्या का वर्णन किया है जिसमें राम आज भी वहाँ मौजूद हैं।
लेकिन हम लोगों ने उनके भेद को भी नहीं समझ पाया कि भाई राम किधर से उस अयोध्या में गये थे, जब वहाँ पहले भी थे और जब चले गये जब भी वहाँ मौजूद हैं और वह ऐसी दमदमाती हुई चमकती हुई अयोध्या है उसके किनारे पर सरयू जी का निर्मल प्रवाह है।
दिव्य दृष्टि जब तक नहीं खुलती (Divya Drishti Kyo Nahi Khulti)
वह रामायण में जो वर्णन किया है कि वही सरयू निर्मल है। ऐसी निर्मल सरयू है कि उसका जल फक्क एकदम स्वच्छ है। क्या वह आज नहीं है? लेकिन हम लोगों की वह दिव्य दृष्टि जब तक नहीं खुलती तब तक हम सरयू में स्नान नहीं कर सकते। उस अयोध्या में वास नहीं हो सकता उस राम का कभी दर्शन नहीं कर सकते।
यही बड़े अफसोस की बात है कि रामायण और ग्रन्थ तो यह कहते हैं कि और गीता भी यही कहती है कि कितने-कितने सूर्यों का प्रकाश है वहाँ और हम लोग क्या कर रहे हैं, माफ करना शब्दों पर गौर तक नहीं करते। तो उन्होंने कैसे सूर्यों का कब प्रकाश पाया था? जब वह अन्तर Divya Drishti, ज्ञान नेत्र खुला तब उन्होंने पाया। क्या वैसे ऋषि मुनि महात्मा आज नहीं होंगे? अवश्य होंगे। हमेशा रहेंगे इस सृष्टि में।
सदा हमेशा प्रकाश रहता (All Time Light)
जब तक कि इसमें जीव रहेंगे तब तक हमेशा ऐसे जानकार और अनुभवी पुरुष यहाँ सदा रहेंगे तुम्हारे बीच में, लेकिन तुम उनको पहचान नहीं पाये। लेकिन जब तुम उनको पहचान लोगे तो इसी अयोध्या में वर्णन किया है, गोस्वामी जी ने उसी Ayodhya में तुमको पहुँचा देंगे और उस अयोध्या में कभी अंदेरा होता ही नहीं, सदा हमेशा प्रकाश रहता है। उजाला रहता है। कभी वहाँ रात्रि होती ही नहीं सदा दिन रहता है।
ऐसी राम की अयोध्या है, लेकिन अफसोस है कि हम उस राम की Ayodhya को नहीं पा सके। उस राम के देश को न पा सके। उस राम के देश प्रभु का दर्शन न कर सके और हम अभी तक गुमराह हैं, हम भूले पड़े हुए हैं। इसलिए मैं उन भाइयों से प्रार्थना करूंगा इस बात की कि जो रामायण में पढ़ते हैं अयोध्या इत्यादि, गरुण पर्वत सुमेर पर्वत, कैलाश पर्वत दिव्य दृष्टि नहीं खुलती तब तक इन पर्वतों का, जिनका रामायण (RAMAYAN) में वर्णन किया है दर्शन नहीं हो सकता।
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Divya Drishti खोलने के बाद में
गोस्वामी जी ने अपनी दिव्य दृष्टि खोलने के बाद में इन सब चीजों का वर्णन किया है जो देखो उन्होंने। हमने कौन-सी दिव्य दृष्टि खोल ली? रामायण पढ़ते हैं और फिर रामायण पढ़ने पर मनमाना अर्थ लगाते हैं। आजकल कुछ ऐसा भौतिकवाद हो गया है कि जरा-सा पढ़ लेना चाहिए ताकि लोगों से बात करने का मौका मिल जाय क्योंकि भाई हम हिन्दू धर्म को मानते हैं।
चाहे भगवान को और रामायण को मानते हों या न मानते हों कोई जरूरत नहीं। लेकिन जैसे तफरीह के लिए अंग्रेजी पढ़ लिया पढ़ फारसी पढ़ लिया या और कोई विद्या पढ़ ली ऐसे ही पढ़ रामायण भी पढ़ लिया लोगों को दृष्टान्त देने के लिए, ताकि यह मालूम रहे कि नहीं भाई हम तो नास्तिक नहीं हैं। हिन्दू धर्म को मानते हैं।
निष्कर्ष:
महानुभाव सज्जनों अपने ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से यह जाना कि जब Divya Drishti खुलती है तब सब कुछ दिखाई देता है। गोस्वामी जी महाराज की दिव्य दृष्टि खुली और उन्होंने रामायण के बारे में बताया, राम जी के बारे में बताया, अयोध्या के बारे में बताया, सरयू नदी के बारे में बताया, तमाम जानकारी दी इसलिए यह तभी संभव हो सकता है जब पूर्ण महात्मा के बताए हुए युक्ति पर प्रैक्टिकल करें। तब हमें साकार हो सकता है। आशा है जरूर पढ़ने में मजा आया होगा, कुछ ज्ञान मिला होगा, पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मालिक की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव।
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