विनय करूं मैं, महानुभव बाबा जय गुरुदेव का हृदय से गया जाने वाला lyrics है। जिसमें बिना घी दीपक का अपने अंदर आरती गाते हुए बताया है। हम आप सच्चे हृदय से सुने और पढ़े यह मालिक अंदर की फरियाद है। चलिए इस लिरिक्स को पढ़ते हैं और सीखते हैं। जय गुरुदेव !
विनय करूं मैं दो कर जोरी
✓ विनय करूं में दोऊ कर जोरे, सतगुरु द्वार तुम्हारे
बिन घृत दीप आरती साजूं दोऊ अखियन मजधारे ।।
जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव,जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव।
भाव सहित नित बैठि झरोखे, जोहत नियतम प्यारे ।
पग ध्वनि सुनूं श्रवण हिय अपने, मन के काज विसारे ।।
जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव,जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव।
जागी सुरत पियत वरनामृत, पियत पियत हुई न्यारे।
घंटा, शंख, मृदंग, सारंगी, वंशी वीन सुना रे।।।।
जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव, जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव।
जयगुरुदेव आरती करती, गावत जय जय कारे।
जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव, जय गुरुदेव जय जय गुरुदेव।
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Vinay Karu me | Jay Gurudev Aarti lyrics
निष्कर्ष:
प्रिया महानुभाव सज्जनों, भाइयों बहनों, यह प्रार्थना हम आपके दिल को जगजोत कर देने वाली है। मालिक की आरती और प्रार्थना अपने अंतरात्मा में करते हुए कहती है कि, यहां पर किसी दीपक या तेल घी की जरूरत नहीं है जब हम साधना पर बैठते हैं अंतर में उनकी याद करते हैं। सुमिरन, ध्यान, भजन करते हैं अपने आप में आरती मालिक की जा सकती है। जय गुरुदेव
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