भविष्यवाणियों की प्रार्थना॥ शाह इन्यात और सूरदास की भविष्यवाणी

जय गुरुदेव, इस भविष्यवाणी क्रम में हम आपको शाह इन्यात और सूरदास जी की भविष्यवाणी को पढ़ने वाले हैं। जो आपको प्रार्थना के माध्यम से पढ़ सकते हैं जिसमें कलयुग का पूरा भविष्य वर्णन किया गया है। महापुरुषों ने कैसी भविष्यवाणी की उसे जानते हैं।

भविष्य की गणना

बहुत से भविष्यवक्ता नक्षत्र गणना को देखकर भविष्यवाणी करते है। जो कुछ सही निकलता और गलत भी निकल जाता है। स्वामी जी महाराज ने कहा था भविष्यवक्तोओ विश्व पटल पर सोच समझ कर भविष्यवाणी करना सबकी भविष्यवाणीयाँ रोक दी जायेगी। इस वेबसाइट में बहुत से विदेशी भविष्यवक्ताओ का भी भविष्यवाणी दे रहे है। भारत के सन्त सुरदास जी का भी भविष्यवाणी है। भविष्य का संकेत है कुदरत की चाभी बाबा जी के टेट में। शाह इनायत साहब ने तारिख तक बता दी दुखो के कारण को बता दिया।

चलिए हम कुछ ऐसी ही भविष्यवाणियों को प्रार्थना के माध्यम से बताने वाले हैं जो स्वामी जी महाराज के पुस्तक में उल्लेख की गई हैं।

शाह इन्यात की भविष्यवाणी:

“बहुत बड़ा तूफान एक दिन जग माँ करिहें फेरी दो-दो सौ मील उडिहें लगे न देरी। मरिहे माँस खोर उ बेरिया तब बचाये बचिहे ना बाबा गुरु की वाणी यह तब दिखा पड़िहे ना”
बज रहा काल का डंका, कोई बचने न पायेगा।
बज रहा काल का डंका कोई बचने न पायेगा॥

बचेगा साधु जन को जो सत से लव लगायेगा।
बचेगे वे सत्य का डंका है जिसने हाथगह पकड़ा॥
काल विश्वघाती झुठो को चबायेगा।
बचेंगे वे जो पर उपकार में तन धन लगायेगा।
बचेगा अब न अन्यायी जो जीवो को सतायेगा।

आज वह एक भी उस काल के मुख से भी न बच सकता॥
दीन जीवो की खलङी नोच कर खाया जो खायेगा।
मांस खोरो व मदिरा पान करने वालो सुन लेगा॥
तुम्हारा मांस को गिद्ध कौवे न खायेगा।
बचेंगे वे भरोसा जिसको मेहनत की कमाई का॥

बचेगा वह नहीं हक गैर का जो छीन खायेगा।
बचेगा साधु जन जिसने इन्द्रियो को साथ रखा है॥
बहिरमुख इन्द्र्यो का दास, अपना सब लुटाएगा।
बचेगा वह सरण पूरे गुरु की, जिसने धारण की॥

दया सागर मेरे गुरुदेव, अब मुझको बचा लेना।
बचाने वाला पाकर, क्यों भटकने को जाएगा॥

बदलि हिन्दुस्तान तो बदलि जाई दुनियाँ।

कोई न विधरमी होगा नाहीं व्यभिचारी
हो जाई सफाई नाहीं रहिहैं अत्याचारी
देशवा में होई सदाचार का उत्थान हो।
बदलि जाई दुनियाँ

छोटे बड़े लोग जितने पद अधिकारी
मांस मछलि अण्डा छोड़ि होंगे शाकाहारी
अण्डा मछली मांस के न रहिहैं अब दुकान हो।
बदलि जाई दुनियाँ

कोई न शराब पीयो गाँजा या अफिमियाँ
कौनो न नशीली चीज के मिलिहैं दुकनियाँ
कौनो न नशीली चीज के मिलिहैं दुकनियाँ
साधुसंत न पी हैं न पिअइहैं गांजा भाँग हो।
बदलि जाई दुनियाँ

कोनउ न हड़ताल न आन्दोलन कोई होई
देश के सम्पत्ती अपनी मानी सब कोई
राष्ट्र भक्ति जागी होगा देश यह महान् हो।
बदलि जाई दुनियाँ

दयाधर्म, मानवधर्म धर्म सबका होई
गाय, पशु पक्षी का न वध करी कोई
ऐसा होगा राज्य तब तो हो जाई कल्यान हो।
बदलि जाई दुनियाँ

राष्ट्रभाषा संस्कृत हिन्दी सबही बोली
क्षेत्रीय भाषायेंगी हिन्दी की सहेली
हिन्दी और संस्कृत में बनि जइहैं विधान हो।
बदलि जाई दुनियाँ

मांस मछली अण्डा दारू यदि न छोड़ब भाई
देशवा विदेशवा में हो जाई लड़ाई
मांस खोरे मरि हैं हिन्दू मुस्लिम हो कृस्तान हो।
बदलि जाई दुनियाँ

आके बाद धर्म का पताका लहराई
दया प्रेम धर्म सब लोग अपनाई
सबही एक दूसरे के आवै लागी काम हो।
बदलि जाई दुनियाँ

रे मन धीरज क्यों न धरै।

सम्वत् दो हजार से ऊपर ऐसा जोग परै।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चहुं दिश काल फिरै।
अकाल मृत्यु जग माहीं व्यापै परजा बहुत मरैं।
स्वर्ण-फूल बन पृथ्वी फूलौ, धर्म की बेल बढ़े।

सहस वर्ष लग सतयुग व्यापै परजा बहुत मरै।
काल-ल से वही बचेगा जो गुरु का ध्यान धरै।
सूरदास हरि की यह लीला टारै नाहिं टरै।
रे मन धीरज क्यों न धरै।

संवत् दो हजार के ऊपर छप्पन वर्ष चढ़।
माघ मास संवत्सर व्यापे, सावन ग्रहण परै।
शुक्ल एकादश स्वांति-क्षय होगी, अर्क कूं चन्द्र चै।
उड़ि विमान जावै अम्बर में, गृह-गृह युद्ध करे।

मारूत विष फेंके सब जग मैं, जनता अधिक मरै।
द्वादस कोस शिखा होई जाकी, कंठ सूं तेज भरै।
सूरदास होनी सो होई, काहे को सोच करै।
रे मन धीरज क्यों न धरै।

सूरदास जी ने कलियुग का वर्णन ही पूरा कर दिया
इसके दोनों पक्षों का विस्तार से समझा दीया है।

निष्कर्ष:

महानुभाव ऊपर दिए गए लेख के अनुसार आपने विश्व प्रसिद्ध कुछ महापुरुषों की भविष्यवाणियों का वाचन किया। जिसमें शाह इन्यात और सूरदास जी की भविष्यवाणियों को पढ़ा। आशा है आपको यह जानकारी काफी इन्फोमेटिक लगी होगी पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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