Jai Guru Dev Naam Kiska Hai? किराये के मकान का नाम जाने

Baba Jai Guru Dev जी महाराज का वास्तविक नाम क्या? उन्होंने सत्संग के माध्यम से स्वयं बताया, अपने इस शरीर (किराए) के मकान का नाम उन्होंने विस्तृत वर्णन किया है। स्वामी जी महाराज ने अपने आप के लिए सभी जाति मजहब धर्म के लिए अपना एक परिचय दिया है। जिस प्रकार सबका मालिक एक है। ठीक उसी प्रकार से उन्होंने इस मानव समाज के लिए एक परमपिता परमेश्वर के मार्ग को लोगों के सामने रखा और कहा कि समय रहते हुए काम कर लिया जाए तो अच्छा होगा। समय निकला तो फिर पछताना पड़ेगा। चलिए जानते हैं जयगुरुदेव जी महाराज का वास्तविक नाम क्या है। (Jai Guru Dev ka Naam) किराए के मकान का नाम क्या है? चलिए जानते हैं जय गुरुदेव नाम प्रभु का।

Jai Guru Dev Naam Kiska
Jai Guru Dev Naam Kiska

Baba Jai Guru Dev का बास्तविक नाम

बाबाजी ने कहा कि मैं कोई फकीर या महात्मा नहीं हूँ। मैं न कोई औलिया हँन कोई पैगम्बर और न कोई अवतारी हूँ। मैं भी आपकी तरह इन्सान और आदमी हूँ। जैसे आप हैं वैसे मैं भी हूँ और जो हक जो हकूक आपको खुदा ने अधिकार दिये वह मुझे भी दिया है। आपने उसका उपयोग किया या नहीं किया आप जानो। मैंने उसका उपयोग किया।

मैं मुर्शिद और गुरूओं के चरणों में गया और अपने गनाहों जो न मालम किस जन्म में किये होंगे, की माफी मांगी। उस समय पर उनके समय पर उनके चरणों में मस्तक को रखा और उनकी मेहरबानी और दया लेकर जो उन्होंने दी उससे रियाज और अभ्यास और साधन और योग किया और उनकी मेहर हो गई।

किराये के मकान का नाम (Jai Guru Dev Ka Naam)

अब आप इस किराये के मकान का नाम सुन लें। मैं आपके सामने बैठा हूँ। इस किराये के मकान का नाम (Name) -तुलसीदास। एक छोटा-सा दौलतखाना यानी आश्रम मथुरा में जहाँ कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था। मैंने दो परिचय आपको दे दिये और तीसरा परिचय यह है कि मैं सारे हिन्दुस्तान में जयगुरूदेव’ नाम (Jai Gurun Dev ka) का प्रचार कर रहा

जय गुरूदेव नाम (Jai Guru Dev Naam) किसी इन्सान, आदमी या जानवर का नहीं है। मेरा नाम भी नहीं है। तो किसका नाम? उस परमात्मा का, उस ईश्वर का, उस भगवान का, उस ब्रह्म का, सर्वशक्तिमान का, उस खुदा का, उस गॉड का नाम जयगुरूदेव’। उसका प्रचार करता हूँ सारे हिन्दुस्तान में। आपके सामने असली बैठा हूँ नकली नहीं।

मैं न हिन्दू हूँ न मुसलमान, न ईसाई। मैं तो एक आदमी, एक इन्सान हूँ। वेद शास्त्रों ने जो कहा उसको मैं करता हूँ जो बाईबिल ने कहा उसको मैं करता हूँ। मगर एक बात सोचने की है कि मोहम्मद साहब क्यों आए यह मुसलमानों को सोचना है। राम क्यों आए यह बिन्दुओं को सोचना है। ईसामसीह क्यों आए यह इसाईयों को सोचनाहै।

तीनो धर्मों मजबहों की किताबों में, पुस्तकों में क्या लिखा हुआ है। जब हर धर्म के लोग हर जाति के लोग अपने-अपने मानव इन्सानी कामों से दूर हो जाते है, मानव धर्म से दूर चले जाते हैं या जानवर या पशुओं जैसा मनुष्य, इन्सानों का काम होने लगता है, इसको देखें।

बाबा जयगुरूदेव 88 दिन का काफिला

16 माह का मौन रखने के पश्चात बाबा Jai Guru Dev जी ने एक काफिला निकाला 88 दिन का उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 6 फरवरी 86 को काफला 12 प्रांतों का था और यात्रा दस हजार किलोमीटर से अधिक थी। काफिला बनों, पर्वतो घाटियों, नगरों, गाँवों व महानगरों की परिक्रमा का काफिला जन भावनाओं के सर्वे का काफिला जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता और न हिसाब लगाया जा सकता है।

काफिला जिसने बड़े-बड़े अनुभव किये जिसे कलमबद्ध नहीं किया जा सकता है। ऐसा अद्वितीय काफिला निकाला बाबा जयगुरूदेव ने एक संकल्प के साथ। काफिला था ट्रकों, कारों, जीपों, मेटाडोरों, मोटर साइकिलों, स्कूटरों का। यद्यपि यह काफिला साइकिलों के लिए नहीं था फिर भी गुरु महाराज की दया का बल लेकर कुछ साइकिल यात्री निकल पड़े थे।

बाबा Jaigurudev जी का संकल्प था जो इसको दर्शन देगा दर्शन करेगा उसकी एक मनोकामना पूरी हो जायेगी। मनोकामना जो लाभकारी हो अहितकारी नहीं। इस प्रचण्ड काफिले की फिल्म तैयार की गई। यात्री इतने थे कि कोई गिन नहीं सका। जगह-जगह बाबाजी ने अपना सन्देश सुनाया और कहा कि सब लोग धर्म पर आ जाइये।

कुदरत सजा देने को तैयार खड़ी

मान्स शराब के सेवन से आत्मा भटक जायेगी नों और चौरासी लाख योनियों में चली जाएगी। पाप बहुत बढ़ गया है और कुदरत सजा देने को तैयार खड़ी है। महात्मा उसे रोके हुए है और चाहते है कि अधिक से अधिक लोगों के गुनाहों की माफी दिला दिया जाये। जो बात मान लेंगे उनकी रक्षा हो जायेगी।

सब लोग दिन में खेती दुकान दफतर का काम करो शाम को बच्चों की सेवा और फिर थोड़ा समय निकाल कर भगवान का भजन करो तो बरक्कत मिलने लगेगी। परिवर्तन होगा इसे कोई रोक नहीं सकता चाहे आकाश टूट पड़े या धरती फट जाये लेकिन परिवर्तन अवश्य होगा। याद रखिए बाबाजी के मुँह से निकली हुई बात इधर उधर होने वाली नहीं है।

बाबा जयगुरूदेव 12 प्रान्तों का-का काफिला

दूसरा शहीदी काफिला अस्सी दिनों का और आठ हजार किलोमीटर का तथा 12 प्रान्तों का बाबा Jaigurudev जी ने निकाला 26 दिसम्बर 86 से 15 मार्च 1987 तक का जिसने वैचारिक क्रान्ति का बिगुल बजा दिया। इस काफिलें ने युग परिवर्तन का संकेत दिया और जनमानस को झकझोरता जगाता सांत्वना देता निरन्तर आगे बढ़ता रहा और त्रिवेणी संगम इलाहाबाद पर इसका समापन हुआ।

बाबाजी ने कहा कि अभी आपने दुख तकलीफ कहाँ देखी वह सब आगे आ रही है। सब लोगों से विनती प्रार्थना है कि शाकाहारी हो जाओ और शराब पीना छोड़ दो। अब वक्त आ गया है जब भारतवर्ष को विश्व में परिवर्तन का कारण बनना होगा।

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त्रेता में विश्वयुद्ध का कारण भारतवर्ष था द्वापर में भी विश्वयुद्ध का कारण भारतवर्ष था और वर्तमान में भी भारतवर्ष को ही कारण बनना होगा। चीन की समस्त वैज्ञानिक प्रगति को चूर करके उसे नष्ट कर दिया जायेगा। विश्व के अन्य देशों में भी बहुत कुछ होगा।

भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र

भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरेगा और उसकी भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति को देखकर विश्व के लोग दांतों तले उंगली दबायेंगे और अन्ततः उसे अपना गुरु मान लेंगे। विश्व के सभी राष्ट्र मिलकर भी भारत पर आक्रमण करें फिर भी वे उसे जीत नहीं पायेंगे। भारत में नये सिरे से संगठन होगा। राष्ट्रसंग और सुरक्षा परिषद भारत में चली आयेगी।

इन्टरनेशनल मुस्लिम लायर ऐसोसिएशन के निमंत्रण पर बाबाजी का कार्यक्रम लखनऊ अमीनाबाद पार्क में 21 मई 1993 को हुआ। अनेक मुस्लिम संगठन के प्रमुखों एवं पदाधिकारियों ने भाग लिया। संयोजक जनाब ख्वाजा मोहम्मद रायक साहब ने कहा कि भाइयों।

इतिहास गवाह है कि जब-जब हिन्दुस्तान पर मुसीबतें आईं जब-जब यहाँ जुल्म हुए तब-तब अल्लाह की तरफ से संत, सूफी और अच्छे लोग भेजे गये जिन्होंने अच्छे विचारवाद की बरकत की। बाबा Jaigurudev जी उन्हीं संत और औलियाओं में से एक हैं जो अल्लाह की तरफ से भेजे गये हैं और जो जुल्म और ज्यादतियाँ हिन्दुस्तान में हो रही हैं उनके खिलाफ जेहाद छेड़े हैं। यह सिफारिशनामा इन्टरनेशनल मुस्लिम लॉयर एसोसियेशन की तरफ से दिया जा रहा हैं।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आपने बाबा जयगुरुदेव (Jaigurudev) जी का वास्तविक नाम (Naam) जाना। साथ में बाबा जी के काफिले से रिलेटेड जानकारी पढ़ी। आशा है आपको ऊपर दिया गया जय गुरुदेव सत्संग जरूर अच्छा लगा होगा।

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