समस्त Aatma Ka Khel और इतिहास जाने जीवात्मा का क्या है?

जितने भी ब्रह्मांड में जीव Aatma हैं उनका इतिहास और आत्मा का खेल (Aatma Ka Khel) कैसा चल रहा है? कहाँ से हमारी आत्मा की शुरुआत की और आत्मा का असली घर (Atma Ka Ghar) कौन-सा है आत्मा का बड़ा ही अजीब खेल है जानते हैं Aatma Ka Khel महात्मा क्या-क्या बतलाते हैं चलिए शुरू करते हैं।

Aatma Ka Khel
Aatma Ka Khel

जीवात्माओं का इतिहास (Aatma Ka Ethash)

बाबाजी ने सत्संग में कहा कि अनामी पुरूष सबके कर्ता धर्ता है। इन्होंने अपने से अपनी इच्छा से अपनी मौज मर्जी से अगम लोक की रचना की और अगम पुरूष को स्थापित किया, फिर अलख लोक की रचना की और अलख पुरूष को स्थापित किया। ये ही वह मालिक हैं जिन्होंने सत्तलोक की रचना की और सत्तपुरूष को स्थापित किया। ये अनामी पुरूष ने जो तीनों लोक अपने से अलग स्थापित किये ये तीनों लोक तीनों देश एक रस है। नीचे की रचना का विस्तार सत्तपुरूष करेंगे।

सभी जीवात्मा के देश (Aatma Ka Ghar)

एक आवाज इतनी जोर की सतपुरूष में से निकली जो अनन्त मण्डल,। अनन्तों लोक जो गिनती में नहीं आ सकते उसकी रचना कर दी। ये सारे के सारे मण्डल, लोक इसी सतपुरूष की आवाज पर टिके हुए है। जब ये सब लोक सतपुरूष ने तैयार कर दिये तो अपने देश से दो धारायें निकाली, एक काल की धारा दूसरी माया की धारा।

फिर एक आवाज चली जो उसमें से निकाल कर ले आयी। उन्होंने अपने देश से अलग ईश्वर ब्रह्म पारब्रह्म और महाकाल को उसी आवाज पर स्थापित कर दिया उसी आवाज पर उसी शब्द पर, उसी वाणी पर और उसी नाम पर ये सब के सब उसी सतपुरूष का अखण्ड ध्यान करते रहे।

तपस्या करते-करते इतने युग बीत गए कि इतने कलम स्याही और कागज नहीं है कि जो लिखा जा सके। तब जाकर सतपुरूष प्रसन्न हुए और कहा कि तुम क्या चाहते हो। उन्होंने कहा कि हमको एक राज्य दे दीजिए। जीवात्माओं के बगैर राज्य नहीं हो सकता था। तब उन्होंने दिया। ये सभी जीवात्मायें उसी सतपुरूष के देश सतलोक से उतारकर लाई गई।

जीवात्माओं में प्रकाश (Atma Me Parkash)

ईश्वर भी वहीं से आए, ब्रह्म भी वहीं से आए और पारब्रह्म भी वहीं से आए। सब जीव Aatma वहीं से आए। पूरा मसाला जितना भी कारण का सूक्ष्म का, लिंग का, स्थूल का ये सब तथा जिसमें आप रहते है यानी पंच भौतिक शरीर-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश ये सब मसाले वहीं से आए।

सभी जीवात्माओं (Aatma) , रूहों सुरतों का एक ही रास्ता है। ये सभी एक ही रास्ते नहीं। शब्द, आवाज, देववाणी से उतार कर लायी गई दूसरा कोई रास्ता है ही असली चीज ये है कि तुमको यानी जीवात्माओं (Aatma) को तपस्या से, सेवा से मालिक ने प्रसन्न होकर इनको दिया और ये जब तुमको ले आए तो ऐसे नहीं।

समय लगा इनको घेरने में। ऐसे कोई जीवात्मा घिर नहीं सकती थी। जो इन्हें मांगकर लाए हैं उनसे ज्यादा तो इन जीवात्माओं में प्रकाश है रोशनी है जो दोनों आँखों के पीछे बैठी हुई है। उसमें ईश्वर से ज्यादा प्रकाश है, शक्ति है।

Aatma दोनों आँखें के बीचोबीच बैठी

बहुत युग बीत गये इनको धीरे-धीरे उतारते-उतारते। जब उतार कर ले आए तो पहला कपड़ा कारण का दूसरा सूक्ष्म का तीसरा कपड़ा लिंग का पहना दिया और चौथा यह स्थूल शरीर पाँच तत्वों का जल पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश। इसके ऊपर स्वर्ग वैकुण्ठ लोक हैं।

यह लिंग तत्व है। स्थूल का नहीं। पृथ्वी, जल, अग्नि वायु, आकाश वहाँ नहीं है। दस इन्द्रियाँ चतुष अन्त: करण मन, बुध्दि, चित्त और अहंकार और तीन गुण सतोगुण, रजोगुण तमोगुण इन 17 तत्वों का लिंग शरीर है और वह स्वर्ग वैकुण्ठ से परे 9 तत्वों का शब्द स्पर्श, रूप, रस, गंध, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार का सूक्ष्म कपड़ा है।

इसके बाद फिर कारण कपड़ा पहनाया शब्द स्पर्श, रूप, रस, गंध का। इसकी भी हदबंदी है। फिर इसके बाद जीवात्मा को जो (Aatma Ka Ghar) दोनों आँखें के बीचोबीच बैठी है शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध के कपड़े को (कारण कपड़ा) छोड़ दिया तो फिर शब्द रूप हो जाती है।

इतने कपड़ो में बाँधकर ये जीवात्मा लाई गई। अब ये बिना महापुरुषं के वापस नहीं जा सकती। कोई भी इसे नहीं ले जा सकता। आने जाने वाला मिलना चाहिए जो इन चारों कपड़ो को उतार चुका है, जिसकी सुरत (जीवात्मा) (Aatma) शब्द रूप हो गई है वही इन जीवों को ले जा सकता है बाकी कोई नहीं ले जा सकता।

Aatma Ka Khel जब ऊपर से आई

अपने-अपने शरीर में जो जहाँ का नियम है पाप का पुण्य का वह भोगोगे फिर चौरासी का चार खानों का भोगोगे फिर नरकों का भोगोगे। मनुष्य शरीर श्रेष्ठ है। इसमें एक दरवाजा है जो ऊपर के लोकों को जाता है। साधना के द्वारा जब जीवात्मा (Aatma) चारों शरीरों से अलग हो जाती है फिर किसी बन्धन में नहीं आती।

शब्द स्पर्श, रूप, रस और गन्ध कारण रूप है, कपड़ा है। जब तक इस कपड़े को उतार नहीं दोगे आजाद नहीं हो सकते। Aatma Ka Khel जीवात्मा जब ऊपर से आई थी तो पहले उसी कपड़े को जो बहुत झीना है उसे पहनाया गया था। अब वापस जाते भी इस कपड़े को उतारने के बाद आजाद हो जायेगी।

जीवात्माओं को सतलोक से भेजा (Aatma Ka Khel)

जब सतपुरुष ने जीवात्माओं (Aatma) को सतलोक से भेजा था तो कहा था कि मैं तुमको भेज रहा हूँ गन्दगी छोड़कर मेरे पास आ जाना। इनसे (सन्तों) जो मेरे दरबार के दरबारी हैं मिलते जुलते रहना, ये मेरा भेद बताते रहेंगे। वैसे तो उस आनन्द के देश से कोई आना नहीं चाहती थीं लेकिन मालिक की इच्छा थी मौज मर्जी थी कोई क्या कर सकता था। इन जीवात्माओं को यहाँ आना पड़ा।

जब ये शुरु-शुरु में यहाँ आई थीं तो इन पर किसी तरह का बन्धन नहीं था। कोई झगड़ा झंझट नहीं था। एक लाख वर्ष की आयु पूरी हुई तो वापस चली गई। ऐसी बहुत-सी खेपें वापस चली गई यानी गिना नहीं जा सकता। इतनी खेपें चापस चली गई। उन्होंने सोचा कि हम इनको सतपुरुष से माँगकर ले आए ये चली जायेंगी तो हमारा यहाँ क्या रहेगा।

Aatma को देखने वाली आँख

तो अब रोक-टोक हो गई, बन्धन हो गया, हदबन्दी हो गई। अब तो जीवात्मा (Aatma) की देखने को देखने वाली आँख बन्द हो गई। सुनने के वह कान बन्द हो गये और सुगन्धी लेने वाली नाक बन्द हो गई। आप यहाँ के रहने वाले नहीं हो फिर भी यह कहते हो कि यही परमात्मा है यही ईश्वर है। कितने युग बीत गये। तुमको तो। बुद्धि मिली थी यही सोचने की। यहाँ का तो सोचा विचार कर लेते कि कौन तुम्हारा हितैषी है। तुम पर काम, क्रोध, लाभ मोह हावी हो गये।

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