इंसान अपनी तीसरी आँख (Teesri Aankh) कैसे खोलें? महात्मा बताते हैं सरल सूत्र

Teesri Aankh: शिव, महादेव, शंकर के सभी नाम आप सभी ने सुने ही होंगे। आप सभी यह भी जानते होंगे कि शिव की तीसरी आँख (Teesri Aankh) है और भगवान शिव अपने तीसरी नेत्र को खोलते थे। ठीक उसी तरह हम आपके शरीर में भी Teesri Aankh है। अब यह जानकर कुछ लोगों को विचित्र महसूस हुआ होगा कि हमारे बॉडी में तो दो ही आंखें हैं। तीसरी आँख कहाँ से आई?

 तीसरी आँख (Teesri Aankh) कैसे खोलें?
तीसरी आँख (Teesri Aankh) कैसे खोलें?

तीसरा नेत्र इसी शरीर में (Third Eye In Human Body)

जी हाँ महानुभाव तीसरा नेत्र हमारे इसी शरीर में है और वह Third Eye बंद पड़ा हुआ है तीसरे नेत्र को खोला जा सकता है। यदि हमें पूर्ण महात्मा मिल जाएँ तो वह हमारा तीसरा नेत्र (Teesra Aankh) खोल सकते हैं। क्योंकि जिन महात्माओं की तीसरी आँख खुली होती है वह अपनी आंखों से, यानी दिव्य दृष्टि से परमात्मा का दर्शन दीदार करते हैं।

वह हमारे वर्तमान भूत भविष्य के बारे में सब कुछ जानते हैं। इस संसार के बारे में, ठीक ऐसे ही महात्माओं से यदि हम मिल गए तो निश्चय ही वह हमें ऐसी योग साधना का सूत्र (Yoga Practice Formula) बताएंगे कि हमारी तीसरी आँख इसी शरीर में जीते जी Teesri Aankh खोली जा सकती है।

बस पूर्ण महात्मा और बताए हुए नियमों पर चलकर के हम कामयाब हो सकते हैं। जी हाँ महानुभाव चलिए जानते हैं बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा बताया गया सत्संग नैमिशराय में जो वेद व्यास से जी ने तीसरी आँख (Teesri Aankh) के बारे में बताया है चलिए जानते हैं जय गुरुदेव।

महात्माओं ने किया यह काम (Mahatmayo)

संत महात्मा अपनी योग साधना से सब कुछ जानते हैं। इस मानव शरीर में आकर संसार में फंसकर अब कोई रोक-टोक नहीं रह गया है, अब तो जीवात्मा की देखने की आँख (Teesri Aankh) बंद हो चुकी है, सुनने के कान बंद हो गए और सुगंध लेने वाली नाक भी बंद हो गई. कितने युग बीत गए यह हमको सोचना चाहिए.

ऋषियों ने तपस्या कहीं और की थी लेकिन यहाँ इस भूमि पर इकट्ठे हुए थे। जहाँ ऋषि मुनि रहते है वहाँ की भूमि पवित्र होती है। अब आप लोगों ने इसको गन्दा कर दिया। ऊपर की ही तो गन्दी हुई है नीचे की तो ठीक है क्योंकि उसकी धारा बहुत दूर तक जाती है। अब आप की गन्दगी के कण आ गये। यदि वे हट जायें तो वे शुद्ध हो जाय। आपको तो यह कह कर लाये थे कि यह नैमिषारण्य है। यहाँ ऋषि मुनि इकट्ठे हुए थे।

व्यास जी ने भागवत यहीं लिखी थी (Vyas Jee Mahatma)

पहले मूर्ति पूजा (Murti Puja) नहीं थी पर जब आप लोगों का ईश्वर से ध्यान हट गया और आप की जीवात्मा की आँख (तीसरी आँख) बन्द हो गई तो आप मूर्ति पूजा करने लगे। पहले अपनी तीसरी आँख (Teesri Aankh) दिव्य आँख से ईश्वर का दर्शन करते थे लेकिन जवी तीसरी आँख पर आवरण आ गया तो आँख बन्द हो गई।

व्यास जी ने यहीं पर भागवत लिखी थी। उन्होंने सोचा था कि जीवों को परमात्मा की ओर कैसे लगाया जाय तो उन्होंने बड़े-बड़े आदर्श पुरूषों की बड़ी-बड़ी आँखों वाली मूर्तियाँ बनाई और उनकी स्थापना एकान्त में की और आदेश दिया कि जाओ नदी के किनारे पर और दूर-दूर बैठकर अपनी आँखों (Aankho) से एकटक देखना दृष्टि से दृष्टि न हिले।

अन्दर की आँख खुल जायेगी (Ander Ki Aankh)

जैसे ही तुम्हारी आँख उनकी आँख पर रूक जाय तो बाहर की आँख बन्द करना तो अन्दर की आँख खुल (Aankh Kul) जायेगी। ये उन्होंने बताया था साधन जीवात्मा को जगाने के लिए किये सदा जागती रहे और इसकी आँख कान नाक पर कोई गन्दगी न पड़े। लेकिन आपने थोड़े दिन तक तो याद किया बाद में ये भी छूट गया और इस मूर्ति को तोड़ो उस मूर्ति को तोड़ो और फिर तोड़ने लगे। उसके बाद व्यसनों में फंस गये जीव हिंसा में फंस गये।

ये मकान तो काल भगवान (Kal Bhagvaan) का बनाया हुआ है तुम्हारा तो है नहीं। इसको तुमको तो किराये पर दिया और कहा कि शुद्ध साफ रखना। जैसा ही मैंने तुमको शुद्ध साफ दिया है वैसा ही मुझको दे देना। मकान तो वापस मैं लूँगा ही। मेरे मकान को अगर आप ने गन्दा किया तो मैं कठोर दण्ड दूंगा।

आपने इसे व्यसन में लगा दिया, सबको मार भोगना पड़ेगा। फिर इसको मार दो, उसको मार दो, बच्चे को मार दो, पक्षी को मार दो डाला। इसमें आपको आनन्द थोड़े ही मिलेगा। क्या खाने में आनन्द मिलेगा? तो कहाँ गया आपका आनन्द?

संसार में आनन्द नहीं (Sansar Me Annand Nahi)

आपके इस संसार में आनन्द का कहीं नाम निशान नहीं ये जो आपको क्षणिक ठण्डक मिलती है वह तो जीवात्मा (Jeev Aatma) की छनकर ठण्डक जाती है और तुम्हारी इन्द्रियाँ को मिलती है। वही तुम्हारा क्षणिक आनन्द है। वह तो कह रहा है कि मैं काल रूप (Kaal Rup) हूँ अच्छे बुरे कार्यों की सजा दूंगा।

‘काल रूप मैं तिन्ह कर भ्राता, शुभ और अशुभ कर्मफल दाता’

क्या वह छोड़ देगा? वह साफ-साफ कह रहा है कि पाप पुण्य जो भी अच्छे बुरे कर्म (Achhe Bure Karm) तुम करोगे मय ब्याज के तुमको अपना सब भोगना पड़ेगा। इतना बड़ा जन समुदाय नैमिषारण्य में आपने देखा नहीं होगा जो आपके समक्ष दिखाई दे रहा है।

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उसके बारे में मैं कुछ कहना नहीं चाहता हूँ लेकिन ये सब आपकी चर्चायें हैं और आपके बीच रहेंगी कि जबसे द्वापर खत्म हुआ होगा, जब से यहाँ पर ऋषि आएँ होंगे उसके बाद से तो इस तरह का इतना बड़ा जन समुदाय यहाँ कभी नहीं आया। मैं इसी बात को कहना चाहता हूँ कि पवित्रता (Pavitrta) को सब लोगों को रखना चाहिए।

FAQ आध्यात्मिक रहस्य से जुड़े प्रश्न उत्तर

Q. शरीर में आत्मा कहाँ रहती है?

A. इस शरीर में आत्मा रहती है, कहाँ रहती है? यह पूर्ण महात्मा बतला देते हैं। मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के मध्य भाग में जीवात्मा (Teesri Aankh) का स्थान है। जहाँ पर बैठकर यह शरीर संचालित करती है और महत्त्वपूर्ण महात्मा की कृपा से सोई हुई सूरत यानी आत्मा को जगाया जा सकता है।

Q. तीसरी आँख को कैसे जागृत करें?

A. Teesri Aankh को जागृत करना है तो हमें सुमिरन ध्यान भजन करना जरूरी होता है। जिस प्रकार से एक खराब कपडे को साबुन से धोने के लिए रगड़ना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार से तीसरी आँख को खोलने के लिए हमें योग साधना, सुमिरन ध्यान भजन करना-करना पड़ता है।

Q. तीसरी आँख कब खुलती है?

A. Teesri Aankh जब महात्माओं की असीम अनुकंपा और आर्शीवाद, अच्छे बुरे कर्मों की सफाई, जीवात्मा पर किसी प्रकार का मेल ना रहे, उस समय तीसरी आँख खुलती है और अपना दिव्य रूप देखती है। ऊपरी मंडलों का सफर करती है।

Q. तीसरी आँख खुलने के बाद क्या होता है?

A. जब Teesri Aankh खुलती है इंसान की तो उसे जीते जी जीवात्मा का असली रूप देखने को मिलता है और गुरु का अंतर में साक्षात्कार होता है। जीते जी परमात्मा से प्राप्ति में, गुरु कृपा से कामयाब होता है।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने यह जाना कि मनुष्य की तीसरी आँख होती है और जीते जी अपनी Teesri Aankh को पूर्ण महात्मा की दया और कृपा से खोल सकते हैं जब आँख खुलती है तो कैसा महसूस होता है यह तो जिसकी आँख खुली वह सब कुछ जानता है। Jai Guru Dev

Read:- समस्त Aatma Ka Khel और इतिहास जाने जीवात्मा का क्या है?

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