Desh Ka संचालन। राष्ट्र की उन्नति। देश की बागडोर किसके हाथ में

महात्मा सब कुछ जानते हैं। देश का (Desh Ka) संचालन कैसे होगा? राष्ट्र की उन्नति किस आधार पर होगी? और देश की (Desh Ki) बागडोर किसके हाथ में होगी? महात्मा अपनी दिव्य दृष्टि (Divy Dirtti) से सब कुछ जानते हैं। वह वर्तमान भविष्य, भूतकाल और भविष्य देखते हैं। ठीक इसी प्रकार से हमारे देश का (Bharat Desh Ka) संचालन और Desh Ki उन्नति और किसके हाथ में होगी? इसके बारे में भी महात्मा सब कुछ बतलाते हैं। चलिए जानते हैं es सत्संग आर्टिकल के माध्यम से देश का संचालन और देश की बागडोर जैसे शब्दों पर महात्माओं ने क्या कहा:

देश के सुधार की लहर (Desh Ki Sudhar)

मै तो उन लोगों से भी कहूंगा जो बड़े-बड़े महंत हैं, मठाधीश हैं और साधु हैं उनको भी अपना कदम इस दिशा में (Disha Me) उठा देना चाहिए ताकि समाज सुधार (Samaj Sudhar) की, देश के सुधार (Desh ke Sudhar) की लहर चारों ओर उमड़ पड़े। राज्य आप से कराना है, आप ही राज्य करने वाले होंगे, महात्मा कभी राज्य नहीं करते हैं।

कृष्ण भगवान ने राज्य नहीं किया। उन्होंने राज्य (Rajjy) कराया था। महात्माओं ने आपको मर्यादा में ला कर, सारे बुरे कुरीतियों का त्याग करा कर आप से राज्य (Rajjy) कराया था और अब भी कराएंगे। अब राज्य सुधर्म का होगा। वह मेरी आवाज है: देश के (Desh Ke) अन्दर थोडे ही दिनो में आप देखेंगे कि एक आवाज बहुत जोर से उठ रही है।

अगर आप में यह बात होगी तो ठीक है। मुझे राज्य नहीं करना है। यह बात हमेशा याद रखना, Rajjy तो आप से कराना है, लेकिन देवी और देवताओं का धर्म बचाना है यह व्यभिचार खत्म कराना है। इन कुरीतियों को खत्म करना होगा। यह भ्रष्टाचार समाप्त करना है।

देश का संचालन (Desh Ka Sanchalan)

तुम चले जाओगे इस दुनियाँ (Duniya) से ऐसे ही खाली हाथ इसलिये जल्दी आओ। अब देर न (Der Na) करो वर्ना काल तुम्हारे सिर पर घूम रहा है और अगर शरीर छूट गया तो बन्दे करोड़ों युगों तक यह मनुष्य शरीर तुम्हें दुबारा नहीं मिलेगा।

Desh Ka संचालन
Desh Ka संचालन

चरित्रवान व्यक्तियों द्वारा ही अब देश का (Desh Ka) संचालन होगा। अब चरित्रवान व्यक्तियों का ही संचालन देश में (Desh Me) रहेगा। उन्होंने कहा कि चरित्र वह दर्पण है जिसमें मनुष्य अपनी आत्मा के प्रकाश को देखता है और फिर उसे अच्छे और बुरे का ज्ञान होता है।

यदि किसी Desh Ka मनुष्यों का चरित्र ठीक हो जाये तो उस देश के उठने में क्या देर लग सकती है किन्तु यदि चरित्र ही न ठीक हो तो वह देश (Country) कभी उन्नति नहीं कर सकता है। भारतवर्ष (Bharat) एक धर्म प्रधान देश (Country) है। कभी समय था कि विश्व के देशों (Vishva ke Desh) को इसने रास्ता दिखाया, नैतिकता का पाठ पढ़ाकर चारित्रिक बल को उठाया था।

यही कारण है कि यह देश सोने की चिड़िया (Bharat Sone Ki Chidiya) के नाम से पुकारा जाता था। मगर आज इस भूमि पर वासना, बेइमानी, हिंसा, चोरी और रिश्वत खोरी का बाज़ार लगा हुआ है। देश के रक्षक (Desh Ke Rakshak) ही यदि देश के भक्षक हो गये तो स्वप्न में भी ऐसे व्यक्तियों से अच्छे संचालन की आशा नहीं की जा सकती है।

देश की बागडोर (Desh Ki Bagdor)

इसलिये लोग अब संभल जायें। समय आ गया है और कुछ परिवर्तन (Parivartan) होगा। इस संदेश को आप घरों में सुना दें। दूसरों के हक को छीनने की कोशिश न करें। यह पाप है। मांस, मछली, अंडा, शराब आदि का सेवन करना भी पाप (Paap) है। इनसे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और इंद्रियाँ चलायमान हो जाती है। फिर मनुष्य को नीचे गिरने में क्या देर लगती है। जिस देश की स्त्रियाँ (Desh Ki Striyon) शराब पीने लगें फिर सोचने की बात है कि उस देश का (Desh Ka Bhavishya) क्या भविष्य होगा?

देश की बागडोर (Desh Ki Bagdor) अब ऐसे व्यक्तियों के हाथों में आने वाली है जो चरित्रवान होंगे और वे विश्व में (Vishva Me) एक नया मोड़ लायेगें। राष्ट्र की उत्पत्ति चाहते हो तो समय को नष्ट मत करो, समय जीवन का वह आधार है जिसकी पृष्ठभूमि में मनुष्य अपने जीवन के हर उतार चढ़ाव को देखता है।

ताकि उसका भूत, भविष्य और वर्तमान (Vartman Bhoot Bhavishya) संभल कर उसके जीवन के सार को निखार दे। यही विकास है, यही पूर्णता है जो समय की गति के साथ चल कर मिलती है। प्रकृति स्वयं समय का ऐसा उदाहरण है जिसमें सूरज और चांद का निकलना और अस्त होना, ऋतुओं का परिवर्तन सभी कुछ समय की गति (Samay Ki Gati) के अनुसार चलता है।

फिर मानव समाज इस समय की विशेषता से दूर क्यों? हम जब नजर उठाकर विश्व का (Vishva Ka) अवलोकन करते हैं तो दूसरे देशों के विकास की अपेक्षा अपना देश 100 साल पीछे नजर आता है। अगर अपने पिछडनेपन के मूल तत्व को देखा जाये तो यह बात स्वंय सिद्ध हो जाती है।

हमारे देश के कर्णधार (Desh Ke Karndhar)

हमारे देश के (Hamare Desh Ke) कर्णधारों और समय की उपयोगिता के बीच हमेशा से विरोधाभास रहा है। परिणाम स्वरूप हम गरीब हो गये। किसानों को उस समय सहायता मिलती है जब वर्षा का आगमन हो जाता, मजदूरों को उस समय राहत का कार्य मिलता है जब वह जर-जर हो जाता है,

विद्यार्थियों को उस समय उनका भविष्य मिलता है जब वे अपने जीवन से मायूस होकर या तो आत्म हत्या कर लेते हैं अथवा देशद्रोही ही आते है, सीमा के रक्षकों को उस समय राहत मिलती है जब हजारों बेगुनाह देश के सपूत (Desh Ke Sapoot) अपने प्राण निछावर कर देते हैं। यह है देश की परम्परा (Desh Ki Parampara) जहाँ राजकीय कार्यालयों से लेकर दुकानों, कारखानों, बैंकों और अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों पर समय की खुलकर अवहेलना होती है।

समय को खोकर हम कुछ नहीं पा सकते है। सभी वर्ग के लोगों को यह संदेश है कि सत्य का शंखनाद बज चुका है। एक दिव्य पुरूष का संदेश (Divya Purush ka Sandesh) सुनने को मिलेगा। अब समय आ गया है कि कुछ परिवर्तन (Parivartan) होगा। बुरे लोगों के बुरे दिन होंगे और अच्छे लोगों के लिये अच्छा समय आयेगा। Desh Ka उत्थान होगा, धर्म की क्रांति होगी और बहुत कुछ होगा।

राष्ट्र की उन्नति (Rashtra ki Unnati)

एक बार सचेत होकर उस दिव्य संदेश (Divy Sandesh) को सुनो जो तुम्हें तुम्हारा ज्ञान कराता है जो सत्य असत्य का भेद बता कर तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य दिखाता है जो समय का ज्ञान कराकर देश का भविष्य (Desh Ka Bhavishya) संभालता है, जो अत्याचार से बचाकर प्रेम का पाठ पढ़ाता है। यह महापुरूष का संदेश कि राष्ट्र की उन्नति समय के साथ चलकर होगी।

घर-घर गली-गली राज्य और पूरे देश में (Pure Desh Mein) गूंजेगा जिससे राष्ट्र द्रोही देश भक्त (Desh Bhakt) हो जायेंगे, समय की अवहेलना करने वाले समय को जान जायेंगे। अगर कल कारखाने, बैंक, दफ्तर और राजकीय कार्यालय समय के महत्त्व को पहचान गए तो निश्चय ही इस देश की धरती (Desh Ki Dharti) सम्पूर्ण प्रकृति के खजाने की उडेल देगी और यह देश धनवान होकर सम्पन्न हो जाएगा।

तो अपना लो इस सत्य को, क्योंकि तुम्हें देश के भविष्य (Desh Ke Bhavishya) का निर्माण करना है और तुम्हें समय की एक पल की कीमत अदा करनी है। अगर चाहते हो स्वाभिमान से जीना, तुम्हारा देश भूले, नंगे और गरीबों से हटकर खुशहाल हो जाए तो व्रतधारण कर लो कि तुम निस्वार्थ भाव से समय की लाज रख कर Desh Ke Bhavishya का निर्माण करोगे।

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने यह जाना-जाना Desh Ka संचालन। राष्ट्र की उन्नति। देश की बागडोर किसके हाथ में और देश और राष्ट्र की उन्नति किस प्रकार से होती होगी? महात्माओं ने इसके बारे में क्या-क्या कहा? आपने यह ऊपर पढ़ा। आशा है आपको ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा।परमात्मा की कृपा सब पर बनी रहे जय गुरुदेव।

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