Goswami Ji महाराज ने रामायण में लिखी Ram Naam Ki Mahima. गोस्वामी जी महाराज ने रामायण में कुछ ऐसी स्पष्ट बातें लिखी हैं कि जिन्हें हम समझ गए तो हमने Ramayan रहस्य को समझ लिया। संत महात्मा उसके स्पष्ट उदाहरण देते हैं। वह सीता नाम की महिमा, राधा नाम की महिमा और राम नाम की महिमा का स्पष्ट बखान करते हैं बस समझने की जरूरत है। चलिए महात्माओं ने क्या कहा जानते हैं।
जय गुरुदेव नाम की महिमा (Jaigurudev Naam)
जय गुरुदेव मेरा नाम नहीं है और न आपका नाम न किसी पशु पक्षी का नाम न किसी पेड़ का नाम। जयगुरुदेव नाम उस मालिक का है प्रभू का नाम, खुदा का नाम Ram है। ये किसी आदमी का नाम नहीं। बाबाजी का नाम ये है ध्यान से सुनो-
“रामायण रचेता का जो नाम सुन्दर।
वही नाम अपना बताये हुए हैं॥”
Goswami Ji (गोस्वामी जी) और जय गुरुदेव नाम उस प्रभू का है। ऐसा आपको शंका हो जाय भ्रम हो जाय तो ये तो बात अलग है। ये तो नाम उस मालिक का है। अरे भाई किसी का नाम है। तो उसके पास पहुँचना चाहिए और तैयारी करो चलो।
हमको रास्ता बताइये
सब छोड़ो छाड़ो दिन में काम किया शाम को बच्चों की सेवा करो, फिर उसके बाद घण्टे दो घण्टे चारपायी या कहीं भी बैठ जाओ भजन करो और निकल चलो और चलो उसके पास तैयारी करो दिन में काम किया शाम को छोड़ दिया कहते हैं, खेती छोड़ दी सामान छोड़ दिया और बच्चे छोड़ दिये मकान में बैठ करके अब हम सच्ची पूजा करेंगे और निकल जाय।
वह काम करो इधर जाने की कोई इच्छा तमन्ना है नहं इसमें फंसने की है। तो आपको इनसे क्या मिलेगा? अब क्या मिला? अच्छा सब लोग पूजा करते जाओ जिसलिए आये हो करते जाओ कोई मैं मना नहीं करता हूँ लेकिन अच्छी चीज को देवी देवताओं से कहो कि हमको महाराज रास्ता बताइये। हम सच्चा भजन मालिक को प्राप्त करने का और आपको हर वक्त दर्शन करने का करेंगे। भजन ऐसा प्रार्थना करो देवी देवताओं से जिनको अज्ञान में मान रहे हो।
उजाला ही उजाला (Ujala Hi Ujala)
जब तुम्हारी आँख खुल जायेगी तब तुम सच्चा दर्शन करो। तुम देवी का देवता का सबका दर्शन करो। यानी ब्रह्मा का विष्णु का। वहाँ भी तो देवी देवता बहुत रहते हैं और अगर तुम आँख नहीं खोलोगे तो फिर न इनका दर्शन न उनका किसी को नहीं पहचान पाओगे कि ये क्या हैं।
पहचानने में नहीं आयेंगे और आँख खुल जायेगी तो पहचान लोगे इसमें क्या है। उसमें क्या है उधर क्या है और देवता क्या है सबको देख लोगे। रास्ता खुला हुआ है। इस रास्ते में अँधेरा नहीं सूरज नहीं निकलता डूबता नहीं न दिन होता न रात होती। इतना ही कूड़ा कचरा तुम्हारी जीवात्मा पर लदा हुआ है। उसकी आँख और कान बन्द हैं उतना ही अन्धेरा है। इसको हटवा लो सामने उजाला ही उजाला है।
मैंने अपने दिव्य आँख से देखा
वह तुम्हारी रामायण (Ramayan) में लिखा हुआ है उसको पढ़ते हो उसमें लिखा है:-
मूंदो नैन त्रसत मैं भयऊ।
पुनि चितवत कौशलपुर गयऊ॥
मोह विलोक राम मुसकायी।
मुझको देख करके मैं उसको देख करके हँस पड़ा वह कहते है मैं राम उधर चला गया उनके उधर में यानी उनके पेट में नहीं उस तरफ चला गया।
- उदर मौज सन अण्डज राया देखे
- और देखे बहु ब्रह्मण्ड निकाया।
बहुत से ब्रह्माण्डों को Goswami Ji महाराज उसी रामायण में कहते हैं। मैंने अपने दिव्य आँख ज्ञान चक्षु से मैंने वहाँ जा करके देखा और परमात्मा को देखा साक्षात्कार और देवी देवताओं को मैंने देखा और तुम भी देख सकते हो।
रामायण को उनसे समझो (Ramayan Ko Samjho)
भाई वह तो कलयुग या गोस्वामी जी महाराज अभी कलयुग में आये। जब ये जन्म लिया था। उसके बाद उन्होंने ये सब गुरु की कृपा से देखा और देखने के बाद उन्होंने रामायण में लिखा तो आप रामायण को समझ नहीं पा रहे हो जिसने देखा होगा वही तो रामायण का भेद बतायेगा।
जिसने नहीं देखा वह क्या बतायेगा? आँख का अन्धा कभी नहीं बता सकता वह तो अन्धा है कोई आदमी अन्धा और बहरा हो तो क्या आपको सुनायेगा और क्या दिखायेगा? जिसके आँख है उसको दिखायेगा कि रामायण में ये लिखा है ये देख करके लिखा है तो आप रामायण को समझ नहीं पाते हैं।
रामायण को उनसे समझो जिन्होंने परमात्मा को देवी देवताओं को और ब्रह्माण्डों को और देवी देवताओं को जिन्होंने देखा है। ये बड़े अहोभाग्य हैं और देखो आप मुझसे जो भी मदद चाहते हो जितनी यथाशक्ति इस बुढ्ढ़े में है उतनी तो आपकी मदद करेगा बाहर से भी करेगा अन्दर से भी करेगा।
जीवात्मा के लिए करेगा शरीर के लिए करेगा। दोनों तरफ क्योंकि बाहर से मदद करेगा तभी समझ में आयेगा अन्दर भी होगा मगर बाहर से नहीं करेगा अन्दर से कैसे समझोगे? जब महात्मा बाहर से मदद करते हैं सहयोग देते हैं तब उनको समझते हो।
जीवात्मा का धन (Aatma ka dhan)
जीवात्मा के लिए मदद करते हैं तो जीवात्मा को जगा लेते हैं। उसको साफ सुथरा करके और मतलब जो है कि उसको उधर ले जाते हैं उधर पहुँचा देते हैं। तो दोनों काम यथाशक्ति है उतनी आप मदद लो प्रेम के साथ प्यार के साथ प्यार और प्रेम बड़ी चीज है। किसी के पास कोई चीज है आप प्यार से सब ले सकते हो,
और किसी के पास कोई चीज है तो आप गाली दें या मारपीट करके ऐसे नहीं ले सकते। ऐसे लोग लूटपाट करके तो ले जाओ लेकिन आपके पास रहेगा नहीं निकल जायेगा। ये थोड़े दिनों का मन का धन है उसके बाद साफ हो जायेगा। खाली ऐसे हाथ होजायेंगे ये मन का धन है।
लेकिन दया से कोई चीज लो बाहर की उससे भी तुमको आराम शारीरिक मिले और अन्दर में भी यानी उससे दया से लो अन्दर से भी अन्नत धन है। जीवात्मा का धन है ये बाहर से भी बर्तने का ये शरीर का ये छूट जायेगा उसी में जीवात्मा तब तो अमर लोक को प्राप्त कर लेगी।
कोई सामान नहीं जयेगा। (Sath Nahi Jayega)
लेगों को अगर वह नहीं मिलेगा तो क्या मतलब है? पूजा करो फिर अपने-अपने घर जाओ लेकिन हमारी बात ध्यान में रखो और कान में याद रखना ये मनुष्य शरीर किराये का मकान है ये आपका देश नहीं है सब सामान छोड़ना है। कुछ भी आपके साथ एक सुई की नोंक, एक बालू का कण भी आपके साथ नहीं जायेगा। जब ये नहीं जायेगा ये कोई सामान नहीं जयेगा। बोलो जय गुरुदेव।
निष्कर्ष
महानुभाव सज्जनों ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम Goswami Ji महाराज ने नाम की महिमा का बखान किया है कुछ महत्त्वपूर्ण अंश को जाना। आशा है आपको ऊपर दिया गया सत्संग आर्टिकल जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव,
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