Kya Aap Jante hain क्या आपको पता है? हम कहाँ से आए? असली घर का पता

क्या आप जानते हैं? (Kya Aap Jante hain) क्या आपको पता है? कि हमारा असली घर कहाँ है? हम कहाँ से (Ham Kaha Se) आए? कैसा हमारा देश है? क्या हम इसी देश के हैं, या हमारी जीवात्मा का देश कहीं और है, वास्तव में हम सब को इस बात पर विचार करना चाहिए कि जब तक हम जीवित हैं तब तक इस शरीर में हैं। हमारा घर (Hamara Ghar) है, देश है, परिवार है, बाल बच्चे हैं, लेकिन जैसे ही हमारे जीवात्मा इस शरीर से निकलेगी, वह कहाँ (Kaha) जाएगी? इससे पहले हमारी जीवात्मा कहाँ थी? और जाने के बाद कहाँ जाएगी? (Kaha Jayegi) इस रहस्य पर हम सब को विचार करना चाहिए,

Kya Aap Jante hain क्या आपको पता है?
Kya Aap Jante hain क्या आपको पता है?

इसकी खोज करना चाहिए, यह वही जानकार बता सकता है जो जीते जी परमात्मा का दर्शन (Bhagvaan Ka Darsan) दीदार करा सके. ठीक इसी प्रकार से स्वामी जी महाराज ने अपने सत्संग के माध्यम से कहा है कि क्या आपको पता है? Kya Aap Jante hain हमारा असली घर कहाँ है? जी हाँ आज इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे। बाबा जी ने क्या कहा चलिए सत्संग आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।

क्या आप जानते हैं? (Kya Aap Jante hain)

गुरू के चरण कंवल (Charan Kaval) आकाश में है। जब साधक वहाँ पहुँचता है तब वहाँ से दैविक मण्डलों (Devik Madalo) की चढ़ाई होती है। वह चरण कंवल या कंज गुरु सुरत (Jeevaatama) के परे है। वह बहुत बड़ा आकाश है।

चरण कंवल (Charan Kaval) से ऊपर जब सुरत चलेगी यानी चढ़ाई करेगी तो ज्योति स्वरूप निरंजन भगवान (Niranjan Bhagvaan) का दर्शन होगा। वहीं पर मन, बुद्धि और चित्त का भण्डार है। ये सब वहाँ अपने-अपने भण्डार में लय हो जाते हैं। कहने का मतलब ये है कि इन सबकी जड़ कट जाती है।

क्या आपको पता है? जीवात्मा छोड़कर जाएगी

Kya Aapko Pata hai जब सुरत यानी जीवात्मा इन सबको छोड़कर (Sabko Chodkar) अकेली जाएगी और ऊपरी मण्डलों की सैर करने के बाद जब वापस लौटेगी तो फिर ये सब मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार साथ लग जाएंगे। पर इन सबका जोर नहीं चलेगा क्योंकि इन सबकी जड़ कट गई और सुरत शक्तिशाली हो गई।

जो-जो तत्व सुरत (Jeevaatma) को यहाँ नीचे आने के लिये मिले तो जब वह उपर चढ़ेगी तो जिस मण्डल (Mandal) के वह तत्व हैं वह उस मण्डल में अपने भण्डार में समा जाएंगे। इन सबके पार सुरत अकेली जाएगी क्योंकि वह शब्द रूप है। जब सुरत वापस लौटती है तब ये सब तत्व साथ आते हैं लेकिन इनका जोर सुरत पर नहीं चलता।

हम आए वही देश से Aapko Pata hai

Baba जयगुरूदेव सत्संग की शुरूआत 10 जुलाई 1952 को अर्दली बाज़ार वाराणसी से हुई। सत्संग की लहर गली, कूचे, टोले, मोहल्ले, गांव, कस्बे, शहर और प्रान्त से होती हुई पूरे भारत (ALL INDIA) में फैल गई और अब तो महासमुद्र का रूप लेकर ठाटें मारते गूंज विदेशों तक जा पहुँची है।

बाबा जयगुरूदेव ने देश में (Bharat Me) बड़े-बड़े कार्यक्रम किए। यात्रायें निकाली, यज्ञ रचाये गए, काफिले निकाले (Kafile Nikale) गए, सतयुग (Satyug) का आवाहन हुआ। इसके साथ ही देश में आपात स्थिति की घोषणा भी हुई और बाबा JaiGuruDev जी को अकारण जेल भेज दिया गया, तनहाई दी गई और उन्हें हथकड़ी बेड़ी में कुछ दिन में गुजारने पड़े।

ईसामसीह (EsaMasih) की तरह बाबा जी की हथकड़ी बेड़ी क्रास बन गई। बाबा जी को हथकड़ी बेड़ी में हवाई जहाज द्वारा उत्तर प्रदेश से कर्नाटक भेज गया। फिर वहाँ से दिल्ली ले जाकर 23 मार्च, 1977 को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया। (Mukti Divas)

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अमर कहानियाँ लिखी जा रही (Aamar Kahani Jai Guru Dev)

आज बाबा जी नहीं है लेकिन उनकी गाथायें लोग सबको सुना रहे हैं। अमर कहानियाँ (Aamar Kahaniya) लिखी जा रही हैं, यादों के झरोखे लिखे जा रहे हैं। युग प्रवर्तक बाबा जयगुरूदेव जी महाराज ने आत्म-कल्याण (Aatma Kalyan) का मार्ग इतना सरल कर दिया कि आज तक किसी भी सन्त ने इतनी छूट नहीं दी और आरत अधिकारी की बात की।

बाबा Jai Guru Dev जी के शब्दों में कि जब आत्म-कल्याण (Aatma Kalyan) के लिए आए हैं तो जो कोई भी जाये, जैसा भी जीव आवे उसका कल्याण करना ही है। बाबा जी ने कहा कि तुम 15-20 दिन मन को रोककर सुमिरन, ध्यान, भजन (Sumaran Dhyan Bhajan) करो तो तुम्हारी दिव्य दृष्टि यानी जीवात्मा की आँख (Jeevaatma Ki Aakh) खुल जाएगी और परमात्मा का दर्शन (Parmatma Ka Darsan) दीदार होगा।

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Kya Aap Jante hain? रास्ता बताने (Aasli Rasta Batane) वाला भी अन्तर घाट पर मिलेगा। वह आध्यात्मिक मण्डलों में जीवात्मा का पथ (Jeevaatma Ka Rasta) प्रदर्शक होगा और जीवात्मा को उसके सच्चे घर सत्तलोक पहुँचा देगा जहाँ से वह नीचे उतारी गई थी।

बाबा जी ने कहा कि:

हम आए वहिदेश से, जहाँ तुम्हारा धाम।
तुमको घर पहुँचवाना, एक हमारो काम॥

निष्कर्ष

महानुभाव प्रेमियों आपने ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने यह जाना कि क्या आपको पता है? क्या आप जानते हैं? (kya aap jante hain) कि असली घर कहाँ है कैसे हम अपने घर पहुँच सकते हैं? कौन हमें अपने असली घर का पता बताएगा? आशा है आप को ऊपर दिया गया सत्संग आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे।जय गुरुदेव,

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