सदा विचार करना चाहिए मन को शांति कैसे (man ko shant kaise) मिलेगी? Man Ko kaise हम जीत सकते हैं? हमारे इस भटकते हुए मन को एकाग्र एवं कंट्रोल (Man ko ekagrata av control) करने का तरीका क्या है? मन को रोक का ध्यान लगा दो, इस बात का विचार करना चाहिए, मन को नियंत्रण (mind ko control) में यदि कोई साधक करना चाहे तो कर सकता है। चलिए इसी पर कुछ महापुरुषों की वाणी का वाचन करते हैं पूरा पढ़ें।
Man Ko Shant Kaise kare?
मन को शांत (Man Ko Shant) कैसे करें? यानी मन की इच्छा पूरी करें? वैसे देखा जाए तो मन तो “मन माना” होता है। उसका कोई ठिकाना नहीं कहाँ भटक जाए कहाँ अटक जाए और कहाँ किस तीव्र गति से कहीं पर चला जाए? मन को शांत (Man Ko Shant) रखना है तो, “महान सत्य वचनों से” अपने आप को शांत रख सकते हैं। क्योंकि “बिन सत्संग विवेक न होई” सत्संग से ही मन को शांति और सुकून मिल सकता है।
मन की बहुत तीव्र गति होती है Mind चंचल भी होता है। मन को कंट्रोल (Mind Ko Control) करना एक साधना प्रक्रिया है। जो महात्माओं के सत्संग वचनों के प्रहार ही हमारे मन को कंट्रोल (Man Control) कर सकता है। बशर्ते हमें इस बात को हमेशा-हमेशा ध्यान में रखना है कि हम अपने मन को काबू में करना चाहते हैं।
जैसे ही मन भी काबू (Man Ko Kabu) और भटकता हुआ महसूस हुए हो तभी अपने आप को महात्माओं की वाणी (Mahatmayo ki vani) को याद कीजिए और उस उनके चरणों में ध्यान लगाइए, मन को खींचकर एकाग्र (ekagrata) कीजिए और मन को मनाइए मन धीरे-धीरे महात्माओं की कृपा से साधना प्रक्रिया से काबू में हो सकता है।
स्वांसो की पूंजी खतम (Savaso Ki Puji)
हर रोज सांझ सबेरे याद करते चलो कि एक-एक दिन हमारे समय से कम यानी खतम हो रहा है। उसी के साथ हमारे स्वांसो की पूंजी खतम हो रही है पूंजी खतम हुई तो यह मकान, इसी को जिस्म या शरीर (Body) कहते हैं गिर पड़ेगा और वह जीवात्मा को इसमें से निकाल देगा।
जब उसने शरीर दिया था तो यह कहा था कि तुम इस शरीर से अपनी जीवात्मा (Jeevaatam) को निकाल लेना और इसको शुद्ध और साफ रखना जब कोई महात्मा मिलें तो हमको समझाऐं तब हमको मालूम होगा कि कैसे यह साफ रक्खा जाएगा।
अभी तो हम यहीं के सामान को देख रहे हैं। रोज घटनाएँ होती हैं हम देखते हैं कभी ट्रक दुर्घटना हो गई, कभी कुछ हो गया किसी न किसी तरीके से रोज लोग चले जा रहे हैं। आज उनकी बारी आई तो कल हमारी बारी भी आएगी। काम तो एक ही करना है अपनी जीवात्मा का।
यह काल का देश (Kaal Ka Desh)
यह तो काल का देश है। उसने अपनी बस्ती बसा रक्खी है, इसी में सबको फंसा रक्खा हैं कभी किसी को जन्म देता है और कभी मार देता है। यह क्रम चलता आ रहा है। अब जो महात्माओं (Mahatmayo) के पास जाएगा, अन्तर में ध्वनि को पकड़ेगा वह जानेगा कि अन्तर में धुन हो रही है उसे इसी तन में बैठकर सुना जा सकता हैं और शरीर में नहीं।
महापुरुष (Mahapurush) कहते हैं कि तूने इतना सामान इकट्ठा किया पर तुझे आराम क्या मिला? यहाँ सब अपने-अपने स्वार्थ में लिपटे हुए हैं। स्वार्थ पूरा हुआ तो धक्का देकर अलग कर देंगे। कोई किसी का नहीं है। गुरु इतनी सीख देते हैं, इतना सत्संग (Satsang) सुनाते हैं पर मान्यता जगत ज्ञान की, जगत सामानों को तुम देते हो, उनको नहीं। मन तो पागल है ही वह गुरु की बात नहीं मानता। वह तो प्यार से बार-बार समझाते हैं पर तू बात ही नहीं सुनता तो जा भोग और रो, कोई क्या करे?
मन को रोककर ध्यान लगा दो
जब तुम भजन (Bhajan) पर बैठते हो और कुछ सुनाई देता है तो मन को रोककर ध्यान उधर लगा दो, आगे बढ़ो। तुम मन को चित्त को बुद्धि को इधर लगाए रहते हो फिर कहते हों कि सुनाई दिखाई नहीं देता। शब्द को सुनना और बात है, उसमें लय होना पकड़ना और बात है
चिन्तन (Chintan) दो प्रकार का होता है। पहला गुरु के स्वाभाविक रूप का चिन्तन और दूसरा Guru के आन्तरिक सच्चे प्रकाशमय स्वरूप का चिन्तन। सच्चे मन से चिन्तन किया जाय तो बाहरी रूप छूट जाएगा और सच्चा स्वरूप सामने आ जायेगा, सच्चे हृदय से चिन्तन (Chintan) किया जाए तो गुरु पास में खड़ा रहता है।
जो प्रेमी गुरु (Guru premi) को सदा सिर पर रखते हैं उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। सच्चा सूरमा वहीं है जिसने मन को मार डाला और इन्द्रियों को भोगों की तरफ से हटा लिया। जो लोग कुंवारी कन्याओं से तथा पराई स्त्री से सम्बन्ध रखते हैं वह मरने के बाद सीधे नरक जाते हैं।
कबीर साहब (Kaveer Sahab) ने कहा है कि:
पर नारी के राचने सीधा नरके जाय।
तिनको जम छांडे नहीं, कोटिन करे उपाय॥
जब सुरत (जीवात्मा) दोनों भवों के बीच में टिकने लगे और प्रकाश दिखाई देने लगे तो साधक को सदा सम्हल कर चलना चाहिये। अपने स्वार्थ हेतु किसी भी मनुष्य को किसी प्रकार का धोखा नहीं देना चाहिए बल्कि सदा विचार रखना चाहिए कि किसी प्रकार की गलती मुझसे न होने पावे। साधक (Sadhak) को हर वक्त चुस्त और चालाक रहने से काल और माया का दांव नहीं चल पाता है।
एक वक्त भोजन करना
साधकों को एक वक्त का भोजन करना (Bhojan) चाहिये। शाम को बहुत हल्का भोजन होना चाहिये। पेट हल्का रहेगा तभी ध्यान भजन में एकाग्रता आऐगी। पेट भारी रहेगा तो सुरत यानी जीवात्मा का झुकाव नीचे की तरफ रहेगा और वह शरीर से ऊपर नहीं उठ पायेगी।
सुझाव: Man ko shant kaise kare?
मन को शांत करने के लिए हम आपको कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव देना चाहते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- ध्यान करें (Dhyan Karen) : ध्यान करने से मन को शांति (man Ko Santi) मिलती है। आप जितना संभव हो सके उतना Dhyan करें।
- प्राणायाम करें (Pranayam Kare) : प्राणायाम करने से आपका मन शांत होता है। आप अपनी सांसें (breath) नियंत्रित करने के लिए अनुभवित व्यक्ति से सलाह ले सकते हैं।
- सकारात्मक सोच (Positive Soch) विकसित करें: सकारात्मक सोच करने से आपका मन शांत (Man Ko Santi) होता है। आप अपनी Life में सकारात्मक विचारों का समर्थन कर सकते हैं।
- व्यायाम करें (Vyayam Kare) : व्यायाम करने से आपका मन शांत होता है। आप Yog या व्यायाम के लिए Time निकाल सकते हैं।
- स्नान करें (Snan Kare) : स्नान करने से आपका मन शांत होता है। आप अपने Daily Life में स्नान को शामिल कर सकते हैं।
- मन को विश्राम (Man Ko Aaram) दें: मन को विश्राम देना बहुत Important होता है। आप आराम करने के लिए कुछ Time निकाल सकते हैं।
महानुभाव यदि आपने ऊपर दिए गए कुछ सुझाव को अपनी लाइफ में इस्तेमाल किया तो निश्चय ही मन को शांति व आना मिलेगा।
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से अपने मन को कंट्रोल या बस में करने जैसे महात्माओं के कुछ सटीक संदेश के बारे में जाना। आप भी हम भी सभी अपने मन को कंट्रोल बस में कर सकते हैं। Man Ko Shant Karne Ke Upay, मन को एकाग्र करने के लिए महान शब्दों की जरूरत होती है। तभी मन मानता है। यह सब महात्माओं के पास फार्मूला होता है हम उनके सत्संग वचनों को सुनकर अपने मन को काबू में कर सकते हैं। जय गुरुदेव
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