Para Vidya क्या है कैसे मिलती हैं? महात्मा ने इसका विवरण दिया

परा विद्या (Para Vidya) क्या है? अपरा विद्या क्या है? महात्माओं ने इसको अपनी सटीक भाषा में समझाया है। चलिए इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं पर विद्या (Para Vidya) और Apara Vidya में अंतर, एक साधक को कैसे पराई स्त्रियों से बचना चाहिए? मनोवृत्ति को खराब होने से कैसे परहेज कर सकते हैं? महात्माओं ने सबके लिए होशियार रहने को कहा है। चलिए जानते हैं जय गुरुदेव।

परा विद्या (Para Vidya)
परा विद्या (Para Vidya)

ध्यान में रखना चाहिए (Dhayan Rakhna)

दो बातों का ध्यान रखना। साधकों की मनोवृत्ति दो प्रकार से खराब होती। फिर वह साधक भजन में रुखा फीका हो जाता है और GURU के प्रति भी उसका भाव बिगड़ जाता है। पहले तो स्त्री, यदि किसी स्त्री ने भूलकर भी प्रेम कर लिया तो वह स्त्री गुरु की तरफ से तुमको विमुख जरुर कर देगी।

गुरु के प्रति अभाव हो जायेगा और ध्यान भजन अन्तरी अभ्यास नहीं कर पाओगे। साधक को दूसरों की देवियों से बचना जरूरी है। उनके पास बैठना तो दूर उनकी शक्ल भी नहीं देखनी चाहिये। जब तक कि साधक की साधना पूरी नहीं होती उसके लिये खास परहेज (Kash Parhej) बताया गया है। इसे ध्यान में रखना चाहिये।

दूसरा है मान बड़ाई। मान बड़ाई की चाह होंगी तो साधक अपने रास्ते से कभी भी गिर सकता है। कहा है कंचन छोड़ना आसान है, स्त्री को छोड़ा जा सकता है लेकिन मान बड़ाई को त्यागना महान कठिन काम है। गुरु की दया (Guru Ki Daya) से साधक इसका परित्याग कर सकता है।

बच्चों का अवतार होगा (Avatar Hoga)

मैं आपको बता दूँ कि इन माताओं से ऐसे बच्चों का अवतार (Child Avatar) होगा जो आप को सीधा कर देंगे, दिल्ली वालों को सीधा कर देंगे लखनऊ और जयपुर वालों को भी सीधा कर देंगे। उसका परिचय थोड़े ही दिनों में होने वाला है उसका संकेत आपको हर प्रान्त में मिलेगा। हमारी आवाज और हवा हमारे साथ होगी। हमारी आवाज के साथ ही हमारी पत्रिका बनगी। जहाँ तक हमारी आवाज जायेगी वहाँ तक हमारी पत्रिका जायेगी।

हम धूमकर ये हवा चारों तरफ फैला देंगे कि आप लोग होशियार (wary) हो जायें नहीं सो पीछे पश्चाताप करना होगा। कौशिल्या को पीछे पश्चाताप हुआ था। उन बच्चों को ठीक से रखना। वह बच्चे परिवार को लेकर इधर। उनमें कुदरती देवी शक्ति अभी मौजूद है और वक्त आने पर जो एक समाज,

पूरी फील्ड एक पूरी नाटकशाला उतरी हुई. पूरा सतह पहले से दे रहे हैं। समय पर उठ खड़े होंगे। समय की प्रतीक्षा उनको भी है, समय की प्रतीक्षा (Waiting Time) मुझे भी है। इसलिये होश में आ जाइएगा। इधर आकर पहले से ही अपने को सम्हाल लो ताकि उन शक्तियों से टकराव न हो जाये (1966)

परा विद्या (Para Vidya) को बताया

मैंने हमेशा तुम्हें परा विद्या को बताया, आज भी बता रहा हूँ और आगे भी बतलाता रहूंगा। मेरा काम और कुछ नहीं है मैं इसलिये आया हूँ। जो भी पढ़ाई या ज्ञान हम ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रेम प्राप्ति के लिये करते हैं वह परा विद्या (Para Vidya) है और इसके बाद जितना भी ज्ञान है अपरा विद्या (Apara Vidya) कहलाता है।

अपरा विद्या नश्वर है, जब तुम्हारा यह चोला छूटेगा यह तुम्हारा अपराज्ञान जिसको पाकर तुम इतना गर्व करते हो सब खत्म हो जायेगा। वहाँ तुम्हारा कोई सुनने वाला न होगा। दुःख भोगना ही पड़ेगा। वह अनमोल पराज्ञान (Para Vidya) की प्राप्ति महात्माओं से होगी।

तुम ईश्वर के विषय में क्या-क्या कल्पनाऐं करते हो यह तुम्हारी बुद्धि की पहलवानी बेकार है। जब होश आवेगा ठीक हो जाएगा। बुद्धि का तुम्हारा जितना भी गरुर है सब खतम हो जायेगा। तुम मुझे गाली देते हो मैं क्या जानता नहीं? महात्माओं को हमेशा गालियाँ खानी पड़ीं। यह कोई नई बात मेरे लिये थोड़े है। किन्तु वे तुम्हारी बुराईयों को कभी नहीं देखते। मैं तो हमेशा तुम्हारी अच्छाईयों को देखता हूँ और तुम्हें प्रेम का प्याला पिलाना चाहता हूँ।

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निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने बाबा जयगुरुदेव धर्म पुस्तक के माध्यम से परा विद्या (Para Vidya) और अपरा विद्या के बारे में जाना। आशा है आपको कंटेंट जरूर पसंद आया होगा, जय गुरुदेव।

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