Waqt Ki Pukar (वक्त की पुकार) : महात्माओं ने समय-समय पर यह बताया है कि किस समय कौन से चक्र की जरूरत है? महात्मा सब जानते हैं और इस समय या इस वक्त कौन-सी मानव क्रिया की जरूरत है? और कैसे उस से निपटा जाएगा? सत्संग में महात्मा सब कुछ बताते हैं जानते हैं स्वामी जी महाराज ने वक्त की पुकार पर क्या कहा:
एक वक्त था जब राम को आना पड़ा कृष्ण को आना पड़ा। अब वक्त ने पुकारा है तो बाबा जी। को मैदान में उतरना पड़ा। अब राम और कृष्ण भी आ जायें तो कम नहीं कर सकते क्योंकि वे काल के अवतार थे, उन्हें संहार कराना था।
अब तो आपस में ही इतना संहार बढ़ गया है कि राम और कृष्ण क्या संहार करायेंगे? अब जरुरत पड़ी ऐसे महापुरुष की जो सम्हाल लें, बचा लें, गुनाहों की माफी दे दें। पहले राजाओं का वक्त था किन्तु अब बिन नरेश का राज।
बहुमत तियमत बालमत, बिन नरेश को राज।
सुरव सम्पदा की कौन कहे, प्राण बचे बड़ भाग।
अब तो सहारा चाहिए।
सन्त क्षमा करते हैं, रक्षा करते हैं, नाम की डोर पकड़ाते हैं। नाम की डोर पकड़कर जीवात्मायें स्वर्ग, बैकुण्ठ, ईश्वर धाम, ब्रह्मलोक आदि अनेक रुहानी मण्डलों को पार करती हुई अपने असली वतन, सत्तलोक, सचखण्ड में पहुँच जाती हैं जहाँ न मरना है, न जन्मना है, न दुख है न क्लेश है, न रोना-धोना है
‘कहे कबीर वा घर चलो जंह काल न जाई।’
Waqt Ki Pukar (वक्त की पुकार) अब राम को या कृष्ण को तीर धनुष या चक्र सुदर्शन चलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, सबके क्रिया कर्म की तलवार ही सफाया कर देगी, फिर परिवर्तन हो जाएगा। अब यह बात स्पष्ट होती चली जा रही है। बाबा जी सबको समझा रहे हैं, आगाह कर रहे हैं, मार्गदर्शन कर रहे हैं। जो उनकी बातों को मानेंगे उनकी रक्षा हो जाएगी, जो नहीं मानेंगे उनके लिए उन्हीं के कर्मों के की तलवार उनके सिर पर भटक रही है, कोई क्या कर सकता है।
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