शरीर छोड़ेंगे तब कर्मों का फल भोगना पड़ेगा || Karmo Ka Fal

कर्मों का फल (Karmo Ka Fal) भोगना पड़ेगा। यदि हमने सही जीवन का उद्देश्य नहीं चुना तो निश्चय ही हमें कर्मों का हिसाब किताब करना होगा। महात्मा अपने सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताते हैं। जब यह शरीर छोड़ेंगे तब कैसा अनुभव होगा? यदि हम साधना करें तो कर्मों का हिसाब किताब कुछ कम हो सकता है। महात्मा सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताया है चलिए जानते हैं।

Karmo Ka Fal
Karmo Ka Fal

शरीर छोड़ने के बाद कर्मों का फल (Karmo Ka Fal)

महात्मा सत्संग के माध्यम से सब कुछ बताते हैं वैसे कहा जाए तो यह कलयुग है। आज करेंगे कल पाएंगे। इस जीवन में हिसाब किताब बहुत कुछ होता है लेकिन कुछ ऐसे कर्म ही होते हैं कि आने वाले जन्मों में भी हमें उसका हिसाब किताब चुकाना पड़ता है।

इसलिए मनुष्य जीवन यह बहुत ही अनमोल सृष्टि योनियों में है। इस शरीर से हम उस आत्मा का काम कर सकते हैं, परमात्मा का मिलाप हो सकता है, हमें पक्के पूर्ण महात्मा की जरूरत है चले स्वामी जी महाराज ने अपनी वाणी में क्या कहा जानते हैं।

स्वामी जी की वाणी (Swami Ji Ki Vaani)

स्वार्थ और परमार्थ के दो काम होते हैं। शरीर के लिए जो भी काम है वह भी स्वार्थ और आत्मा के लिए किया गया कार्य परमार्थ है। सुमिरन जरूर करो। सुबह का शाम, शाम का सुबह और आज का कल पर मत टालो। जब समय मिले तभी कर लो। कोई भी काम करो आधा मिनट एक मिनट आँख बन्द करो और नाम रूप को याद कर लो इससे ठीक रहता है और ध्यान भी ऊपर की तरफ बना रहता है। परमार्थ में स्वभाव का बदलना बहुत जरूरी है। स्वभाव कोई आज का नहीं है यह युगों-युगों का पड़ा हुआ है और गुरु की कृपा से ही यह बदला जा सकता है।

मनुष्य जीवन का उद्देश्य (जून सन 62 से)

साधना करने वाले व्यक्ति जोर शोर के साथ साधना करें। अन्तर ध्यान होकर साधना करें ताकि तुम्हें और लोग न देख सकें। स्त्री और पुरुष अपना उस विशुद्ध ताकत को जमा कर लें जो उनके अन्दर छिपी हुई है। उसको जगा लें और जगाने के बाद में यदि एक भक्त हो जायेगा तो सारी दुनियाँ को रोशन कर जायेगा। महान आत्मा एक हुआ करती है। आत्मा की उस विशुद्ध प्रकाश में जाना है।

तो हमारे सार सतसंगी सब उसी रास्ते पर लगे रहें। एक सूत्र में और एक मार्ग में बंधे रहें और भविष्य में जो भी आपका धर्म है उसको शरीर के अन्तिम स्वांस तक खतम करना चाहिए ताकि दोबारा तुमको यह जन्म न मिले। ताकि दुबारा कष्ट की योनियों में, इस फितरत में न आना पड़े। यह हमारा लक्ष्य है।

हमने जो गुप्त रूप से सारे भाइयों को बुला करके और चुपके से उपदेश दिया है वह यही दिया है कि अन्तर ध्यान हो। जिस समय पर तुम्हारी मौत की अवस्था आयेगी उस समय पर तुम पहले पहुँच जाओ। वहाँ तुम पहले देखलो। वहाँ पहले तुम बसो। चल दो। वह स्थान तुम्हारा पहले आगे जाने का मुकर्रर हो जाये और जब तुम शरीर छोड़ने लगो तो देखो मैं यह तो पहले से ही। तैयार बैठा हूँ। यह तो मैंने पहले से सोच रखा है। न हमारे मोह है न आशक्ति है न हमारे ध्यान है न धारणा है न लगाव है।

महात्मा बताते है

देखों हमारे गाँधी महात्मा थे और उनकी लगाव न होती तो नामुमकिन बात थी। जरा सोच लो। एक महात्मा ने साथ लेकर के लगाम लगा कर के यह काम किया और अब हम लोग बेलगाम हो गये हैं। जब कृष्ण भगवान का कहना लोग नहीं मानें और जात वालों ने कहा कि भाई, हम जा रहे हैं। उन्हीं से दरवार वाले फिर बेलगाम हो गये। उसका परिणाम सर्वविदित है।

तो अगर हम लोग उन महात्माओं-महान आत्माओं को साथ लेकर के काम करें तो सफलता अवश्य होगी। नहीं तो बिना लगाव के चाहे मनुष्य रहे परन्तु समाज बर्बाद हो जायेगा। इसलिए महात्माओं को साथ लेकर के, जो भी काम किया जाय तो कोई भी उसका मुकाबला नहीं कर सकता।

तो हम सब भाई जितनी कौमें इस समय पर जारी हैं जितनी पार्टियाँ, जितने मजहब जारी हैं उन सब का ध्येय परमात्मा के पाने का था। पर हम सब भूल चुके हैं। इसलिए महात्मा आकर के इस चीज को बताते हैं और प्रचार करते हैं कि परमात्मा को पावे का तुम्हारा ध्येय था। संसार का कुछ दिन बाद तुमको छोड़ देना होगा।

महात्मा कितने दयालु होते है

अब तुमने क्या किया आकर के? देखो न महात्मा कितने दयालु हैं। तुम्हारी आत्मा को जगाते हैं। तुम्हें भविष्य में कुपथ रास्ते पर जाने से बचाते हैं। अधोगति के रास्ते से बचाकर तुम्हारे कर्म को समाप्त करना चाहते हैं जब तक कि तुम्हारा यह शरीर है। आगे क्रिया कर्म जो वह बताते हैं उसका पालन करो ताकि तुम परमात्मा के धाम में पहुँच जाओ और हमेशा के लिए सुखी हो जाओ। इस वक्त जो कर लिया जाय वह ठीक है।

बाद में न जाने क्या होगा। बाद में मैं बताता हूँ कि बाद में उन भैंसों बैलों और उन गदहों की-सी हालत होगी कि और बिना तौल के वजन लाद दिया जायेगा और जब गिरोगे तो जमीन के ऊपर में तो फिर उठ नहीं सकते हो। यह हालत उस समय होगी।

तो भाई मेरे, अभी चेतन का वक्त है हमारा सबका। भूल में किसी को मत डालो। गुमराही में किसी को न में करो। यह भूल है तुम्हारी कि गुमराही में हम दूसरों को कर रहे हैं। अगर अज्ञान में कर्म करते हो तो कर्मों के फल (Karmo Ka Fal) को भोगना पड़ेगा। अगर किसी अध्यात्म शक्ति को साथ ले लोगे तो गलती न होने पायेगी वह रोकने वाली, वह लगाम लगाने वाली, वह आचार्य अगर पास में रहेगा तो आप गलत रास्ते पर नहीं जा सकते हो।

निष्कर्ष:

ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का सत्संग कर्मों का फल (Karmo Ka Fal) व उनकी सजा हमें इस शरीर छोड़ने के बाद भी भोगनी पड़ती है। जीवन रहते भी उसका हिसाब किताब बहुत कुछ करना होता है। आशा है आपको ऊपर दिया गया सत्संग जरूर अच्छा लगा होगा। अपने रिश्तेदार भाइयों बहनों को ज्यादा से ज्यादा सोशल नेटवर्क पर शेयर करें जय गुरुदेव मालिक की दया सब पर बनी रहे।

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