चेतन गुरु कैसे बात करता है? Chetan Guru से Baat Karna

Chetan Guru से Baat Karna, गुरु से किस तरह बात करना? चेतन गुरु कैसे बात करता है? तमाम लौकिक शक्तियाँ वा वार्तालाप, चेतन शक्ति से कैसे मिला जा सकता है? परमात्मा को पाने के लिए हमें संसार में कैसे कर्म करना चाहिए, इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आप जानने वाले हैं। चेतन गुरु कैसे बात करता है चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं जय गुरुदेव, पूरा पढ़ें।

चेतन गुरु कैसे बात करता है? Chetan Guru से Baat Karna
Chetan Guru से Baat Karna

चेतन क्या है (Chetan)

सबसे पहले चेतन के बारे में जानते हैं। महात्मा चेतन के बारे में सब कुछ बताते हैं। Chetan का एक उदाहरण महात्माओं ने दिया है, शरीर जड़ है, अंदर बैठी हुई रूह वह चेतन है। जीवात्मा हमारे शरीर में चेतन है। उसी चेतन आत्मा से परमात्मा कैसे वार्तालाप करते हैं? यह महात्माओं ने सब कुछ बताया है।

जिस प्रकार से एक पेड़ का उदाहरण लीजिए, पेड़ खड़ा है हरा भरा है। लेकिन उसके अंदर वह रस संचार सकती है। जिससे वह हरा भरा है तो, जो शरीर जड़ है लेकिन जड़ के अंदर भी कुछ ऐसा चलाएंमान लौकिक पवार हैं जिसके द्वारा बॉडी संचालित हो रही है। उसे चेतन शक्ति कहते हैं। चलिए अब जानते हैं Chetan Guru हमारी जीवात्मा के साथ कैसे वार्तालाप करता है?

गुरु किस तरह बात करता (Baat Karna)

भाई जब इधर से तबीयत हट गई इन आंखों से तब गुरु के दर पर बैठ गये। लगा हुआ है निसान। सब चीजें लगी नजर आने तुम्हारे सामने, “वह केल खुल-खुल लख पड़ो।” साहब जी कहते हैं कि यह खेल कब लख पड़ेगा। जब मुर्शिद तुमसे मिल जायेगा।

जब तक उस मुर्शिद कामिल की प्राप्ति तुमको नहीं होती है जो उनको लों में आता और जाता है तब तक तुम यह अनुभव नहीं कर सकते हो और तभी तक तुम्हारी प्रार्थना निष्फल रहेगी, समझ गये पर जब तक वह आमिल मिल जाय जो रोज आने जाने वाला हो तुमको बैठा दे और रास्ता तुमको दे और साथ-साथ तुम्हारे आगे चले और ले चले।

रास्ता भी देखते चलो। मैं आपको बताऊंगा गुरु किस तरह बात करता है? बात करते हैं, आपस में जिस तरह से हम लोग इधर तमाम लौकिक व्यवहार की। यह सब वार्तालाप करते रहते हैं। Chetan Guru उसी तरह बात करता है। बिल्कुल ऐसे ही बल्कि मैं तो यह कहूँगा कि गुरु की वाणी इससे भी स्पष्ट है और बिलकुल साफ है समझ गये। तुम उससे प्रश्न करो और वह जबाब दे। तो गुरु से बातचीत होती है। अगर गुरु से बातचीत होने लगे तो काम तुम्हारा सुफल हो गया।

चेतन शक्ति से बात (Chetan Pawar)

इसीलिए तो हम लोग आये कि बात कर लें उस चेतन शक्ति से। भाई उस गुरु में और उस मालिक में क्या अन्तर है? कोई अन्तर नहीं। अगर गुरु वार्तालाप अन्तर में होने लगे और दृष्टि खुल जाय और वार्तालाप होने लगे आत्मा से और गुरु से। बस आत्मा भी चेतन और गुरु भी चेतन।

भाई चेतन से चेतन (Chetan Se Chetan) का वार्तालाप होने लगे तो जीवन सुफल हो गया। जब तक हम इस दर पर नहीं बैठते हैं तब तक हमारा जीवन निष्फस है। तो आप सुनिए बड़े ध्यान से कि आंखों से मार्ग आरम्भ होता है बाहर की क्रिया नीचे की सब खतम।

जिन लोगों ने ये क्रियायें की हैं उन लोगों ने अपना-अपना समय गुजार दिया, वैसे करना नहीं चाहिए। क्योंकि महापुरुषो की पुस्तक यहाँ सब कह रही हैं कि तुमको वह क्रिया करनी चाहिए जिससे कि परमात्मा तुमको मिल जाय लेकिन तुम वह क्रिया करने लगे कि परमात्मा मिला नहीं सामान जोड़ने लगे तो तुम्हारा जीवन तो फिर उलझन में हो जायेगा।

परमात्मा को पाने के लिये (Parmatma Pane Ke Liye)

इसलिए हम लोग उलझन में फंस जाते हैं। नेक अनेक क्रियायें करने लग जाते हैं और फिर हम उसके कर्म के भोगने वाले बन जाते हैं। यह मैं नहीं कहता हूँ कि जो-जो आप कर्म करेंगे तो भोगेंगे नहीं। भोगेंगे जरूर लेकिन यह है कि एक कर्म ऐसा ही है जो कि संसार ही में सामान आप को मिलेगा।

उसके आप भोक्ता बनोगे और एक वही कर्म ऐसा है कि संसार में कर्म छूट जायेगा पर आप परमार्थ के लिए प्रेमी ईश्वर दर्शक (Parmatam Darsan) बन जायेंगे। उसके भोक्ता बनोगे तो वह कर्म क्यों न किया जाय जिससे कि मालिक मिले। ईश्वर दर्शन ही गुरु दर्शन हो। वह कर्म क्यों न किया जाय?

कर्म तो शरीर से दोनों करना है लोक का सामान पाने के लए शरीर ही से कर्म करना है और परमात्मा को पाने के लिये भी शरीर से ही कर्म करना है। लेकिन एक में आत्मा जग जाती है और एक में जो आत्मा सो जाती है जड़ विकारों में फंस जाती है। तो हम लोग जितनी भी बाहर क्रियायें करते हैं सब नीचे की जितनी क्रियायें हो रही सब जड़ विकारों में फंसने की बाकी महापुरुषों का यह रास्ता सामने मध्य भाग में से गया है चलो आगे। अब आगे आप को इशारा बताते हैं।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल के माध्यम से आपने यह जाना कि चेतन गुरु कैसे बात करता है? आशा है आप को ऊपर दिया गया आध्यात्मिक सत्संग Chetan Guru से Baat Karna जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे जय गुरुदेव,

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