गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना इस के नहीं छुटना। Guru Ka Dhyan Kar Pyare-Jai Guru Dev

जय गुरुदेव सत्संग प्रेमियों, गुरु का ध्यान कर प्यारे बिना उसके नहीं छूटना, यह प्रार्थना गुरु महाराज द्वारा गाई गई. तथा अपने प्रेमियों को सिखाया गया प्रार्थना, दोहराया गया प्रार्थना। यह बहुत ही सर्वोत्तम हम सभी के हृदय और दिल को छूने वाली प्रार्थना है। गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना उसके नहीं छूटना। मेरे सत्संगी भाई बहन गुरु प्रार्थना लिरिक्स है। साथ में नीचे वीडियो का लिंक है तो गुरु महाराज के द्वारा गाई हुई प्रार्थना को आप सुन सकते हैं।

Guru Ka Dhyan Kar Pyare-Jai Guru Dev
Guru Ka Dhyan Kar Pyare-Jai Guru Dev

Guru ka dhyan kar pyare lyrics Hindi

गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना इस के नहीं छुटना।
नाम के रंग में रंग जा, मिले तोहि धाम निज अपना॥

गुरु की सरन दृढ़ कर ले, बिना इस काज नहीं सरना।
लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना॥

करम जो-जो करेगा तू, वही फिर भोगना भरना।
जगत के जाल में ज्यों त्यों, हटो मरदानगी करना॥

जिन्होने मार मन डाला, उन्ही को सूरमा कहना।
बड़ा बैरी ये मन घट में, इसी का जीतना कठिना॥

पड़ो तुम इसही के पीछे, और सबही जतन तजना।
गुरू की प्रीत कर पहिले, बहुरि घट शब्द को सुनना॥

Guru Ka Dhyan Kar Pyare in Hindi

मान लो बात यह मेरी, करे मत और कुछ जतना।
हार जब जाय मन तुझसे, चढ़ा दे सुर्त को गगना॥

और सब काम जग झूठा, त्याग दे इसी को गहना।
कहै स्वामी समझाई। गहो अब नाम की सरना॥

गुरु ध्यान धरो तुम मन में, गुरु नाम सुमिर छिन-छिन में।
गुरु ही गुरु गाओ भाई, गुरु ही फिर होय सहाई॥

जितने पद ऊंचे-नीचे, गुरु बिन कोई नाही पहुँचे।
गुरु ही घट भेद लखाया, गुरु ही सुन्न शिखर चढाया॥

महासुन्न भी गुरु दिखलाई, गुरु भंवर गुफा दरसाई।
गुरु सत्त लोक पहुँचाया, गुरु अलख अगम परसाया॥
गुरु ही सब भेद बखाना, गुरु से सतगुरु स्वामी जाना॥

पोस्ट निष्कर्ष

गुरु का ध्यान कर प्यारे बिना इसके नहीं छूटना, गुरु का ध्यान कर प्यारे, परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने करोड़ों लोगों के सामने सत्संग सुनाते हुए यह प्रार्थना अपने अनुयायियों के साथ कहीं है। जिसमें गुरु का ध्यान कर प्यारे, प्रेमियों कृपा शुभ संस्कारों से गुरु मिलते हैं। गुरु कृपा होती है तब नामदान मिलता है, नामदान आसान मत समझो सच्चे मालिक का भेद सच्चे प्रीतम का जब भेद गुरुद्वारा पा लिया जाता है तभी गुरु और मालिक की दया का परिचय मिलता है।

गुरु समरथ है सब जानते हैं, इन्हें अंधा मत समझो, कितनों पर गुरुकृपा देखने को मिल रही है। गुरु बाहर भी संभाल करते हैं और गुरु अंतर में भी संभाल करते हैं बड़े-बड़े संसारी काम भी करा देते हैं संसारी प्रीत देखने के लिए होशियार रहो, दोस्तों सतर्क रहो, गुरु वचन को याद करते रहो, ध्यान गुरु का ही करते रहो, जयगुरुदेव।

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