ज्योति स्वरूप भगवान ने सृष्टि की रचना कैसे की? Jyoti Swaroop

सबसे पहले किस की उत्पत्ति हुई, सृष्टि के रचनाकार कौन हैं? और Jyoti Swaroop (ज्योति स्वरूप) भगवान क्या है? ब्रह्मा भी विष्णु भी और शिव के कार्य, सृष्टि के रचनाकार का वृतांत, सत्संग पोस्ट के माध्यम से पढ़ने वाले हैं चलिए स्टार्ट करते हैं। जय गुरुदेव,

Jyoti Swaroop
Jyoti Swaroop

Jyoti Swaroop भगवान

करता तीन लोक यह ठाऊँ। वेद चार इन रचे जनाऊँ।
ब्रह्मा, विष्णु महादेव तीनों। पुत्र इन्हीं के हैं यह चीन्हों।

कहते हैं भाई! वह ज्योति स्वरूप भगवान है जिसके तीनों यह पुत्र हैं। ब्रह्मा भी विष्णु भी और शिव भी और इन लोगों के तीनों अलग-अलग कार्य होते हैं। एक का पालन करने का, तो दूसरा उत्पत्ति करने का, तीसरा प्रलय करने का।

कहते हैं यह तीनों हैं लेकिन वह बात साफ है कि इन तीनों के ऊपर आद्या महाशक्ति है और वह सहस दल कमल के नीचे आद्या महाशक्ति से यह तीनों पैदा हुये। लेकिन अपनी माता के हालात तो इनको मालूम हैं, पर पिता को यह भी नहीं जानते।

जो शख्स पिता के हालात को न जाने भाई वह हमको पिता के पास क्या पहुँचायेगा? जो खुद ही पिता (Jyoti Swaroop भगवान) का भेद भूल चुका हो, भाई अगर हम उसके पास जांय कहें कि हमको पिता के पास पहुँचा दोगे? कभी नहीं पहुँचा सकते हैं क्योंकि उनको मालूम ही नहीं।

हाँ! यह जरूर है कि अगर उनसे कहा जाय कि तुम पिता माता के पास पहुँचा दोगे। तो वह पहुँचा देंगे। पर, के पास तो नहीं पहुँचा सकते हैं। यह तीन लोक का मालिक है जिसके यह तीनों पुत्रों ने इस सृष्टि की रचना की।

इस सृष्टि की रचना

ब्रह्मा विष्णु महादेव तीनों। पुत्र इन्हीं के ये चिन्हों।
कुछ वैराट रचा इन मिल के। जीवन घेर लिया इन मिल के।

कहते हैं ब्रह्मा, विष्णु और महादेव ने कुल यह वैराट रचा है। यह रचना जो दिखाई दे रही है यह उन्हीं की है। बाई मुबारक है कि उन्होंने हमको फंसा लिया और जाने नहीं देते। रास्ता ही नहीं मिलता है। किसी को कर्म-काण्ड में फंसा लिया किसी को उपासना काण्ड में फंसा लिया,

किसी को ज्ञान काण्ड में फंसा दिया, किसी को मार काट में फंसा दिया, किसी को धोखे धड़ी में फंसा दिया। अबसब लोग लड़ रहे हैं, आपस में, बैर विग्रह तमाम अन्धाधुन्धी मचा हुआ है, लेकिन किसी को निकलने का रास्ता नहीं। कोई निकल नहीं सकता इनके जाल से।

ऐसा जाल फैलाया है। जब कोई महापुरुष आये और इनके भेद को जानता हो, तुम जहाँ फंसे हो तुमको भी जानता हो। अरे भाई तुमको उस फंसावट से निकालकर ले अवे और रास्ते पर लाकर ठीक ठाक बैठावे तो तुम इनके जाल से निकल कर बच सकते हो वर्ना बहुत मुश्किल है।

Jyoti Swaroop पिता को पाने के लिए

तो इन्होंने तुमको घेर लिया चारों तरफ से। अब तुमको वह पिता जो है, वह नहीं मिल रहा है। तुम मारे-मारे फिरते हो इन्हीं के जाल में। इन्होंने दुःख और सुख रखा है। इन्होंने सामानों को भी रखा है। अगर सामान न रखा होता तो हो सकता था कि हम जल्दी तड़पते और तड़प करके हम उसको पा भी सकते थे।

लेकिन सामान जो सामने रखा हुआ है, जरा-सी हममें तड़पन वेदना आई, तो फौरन सामान उसने माया का भेज दिया। कहने लगे लो भाई और। उस सामान को पाकर के चुप हो गये। बस, फिर हम, फिर हमारी चेष्टा नहीं हुई, पिता को पाने के लिए। भूल गये सामान पाकर।

निष्कर्ष:

महानुभाव महात्माओं के सत्संग में जाते हैं और वह हमें उस रास्ते को बतलाते हैं जिस रास्ते पर यदि हम चलें, तो हम ज्योति स्वरूप (Jyoti Swaroop) भगवान के दर्शन कर सकते हैं। मिलना चाहिए सच्चे महात्मा और सच्चा दर्शन करने वाला वह कराने वाला। आशा है आपको ऊपर दिया गया सत्संग आर्टिकल जरूर अच्छा लगा होगा। पढ़ने के लिए धन्यवाद मालिक की दया सब पर बनी रहे। जय गुरुदेव,

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