जय गुरुदेव प्रेमियों आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ सांझा करने जा रहे हैं परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा दिए गए सत्संग और उनके वक्तव्य को हम इस आर्टिकल में आपके साथ साझा कर रहे हैं जिसका टॉपिक है क्या भजन (Bhajan) करना आसान है क्या प्रार्थना (Prathna) करना आसान है आप पूरा पढ़ें, जय गुरुदेव
तुम अपने को सुधारो (Jai Guru Dev)
मालिक की याद और प्रार्थना करते रहना चाहिए. इसी से मन बुद्धि निर्बल होंगे, विवेक और विचार आएगा। जब हम छोटी-छोटी प्रार्थना (Prathna) भी मालिक से नहीं करेंगे तो हमारा मन इंद्रियों में फैल जाएगा। जिन शब्दों से और जिस तरह से प्रार्थना (Prathna) की जाएगी तब उसका जलवा देखने को मिलेगा।
तब ये मालूम होगा कि वह क्या है और कैसे हमारी प्रार्थना (Prathna) कबूल करता है। आप घर में रोज़ अपने कपड़े धोते हो। क्यों? क्योंकि आप चाहते हो की कपड़े पर लगा दाग। मेल छूट जाए, कपड़ा साफ़ हो जाए. अगर वह घर में नहीं छूटता तो उसे धोबी को देते और कहते हो कि जैसा भी हो कपड़े के दाग छुड़ा देना।
वह कपड़ा ले जाता है। फिर क्या करता है कैसे धुलाई करता है इससे तुम्हें कोई मतलब नहीं। तुम्हें तो बस साफ़ कपड़ा चाहिए. वह तुम्हारे कपड़े ले जाता है भट्टी पर चढ़ाता है साबुन मिलता है मुंगरी से पीटता है फिर साफ़ करके तुमको देता है।
महात्माओं की खोज करो (Mahatmayo ki khoj)
इसी तरह से मन बुद्धि चित्त और इंद्रियाँ गंदगी में सन गई है। मेल चिपक गया है जिसे तुम नहीं साफ़ कर सकते। क्योंकि वहाँ ना कोई पानी जा सकता ना तुम्हारा कोई साबुन जा सकता है। उनको साफ़ करने का तरीका, साफ़ करने का साबुन महात्माओं के पास है लेकिन महात्मा पूरा होना चाहिए.
उन्हीं के पास साफ़ करने का साबुन है, भुट्टे है वह मिल जाएंगे तो तुम अंतर में जली जमी मैल साफ़ कर देंगे। इसलिए कहा है कि पूरे महात्मा की खोज करो। कभी-कभी बाहर की क्रियाओं में थोड़ी सफ़ाई होती है लेकिन उसको बताने वाला कोई होना चाहिए. वह तुम्हें बता दे तुम्हारी समझ में आ जाए तो करने लगोगे।
लेकिन तुम अपनी मनमानी क्रियाओं से चाहे कि हमारी सफ़ाई हो जाएगी तो नहीं हो सकती चाहे तुम जितना गंगा नहाओ तीरथ में जाओ मंदिर मस्जिद में जाओ तथा कथा पुराण सुनो। जैसे आप धोबी के कपड़े दे देते हो फिर उससे ये नहीं पूछा जाता है कि तुम कैसे धो रहे हो क्या कर रहे हो,
और इसी तरह से आपको अपना आपा महापुरुषों को सौंप देना चाहिए और प्रार्थना (Prathna) करो कि आप मर्जी समझो और पड़े रहो। जैसे भी आप चाहो हमें साफ़ कर दो। अब वे जैसे भी साफ़ करें उसकी मौज मर्जी समझो और पड़े रहो।
बार-बार विनती करो (Prathna Karo)
लेकिन अगर आप ये कहने लगे कि आप ऐसा मत करिए, वैसा मत करिए, ऐसा क्यों हो गया, हमें नहीं चाहिए तो सफ़ाई क्या होगी आपकी? तो आप अपना आपा शॉप दो, दिन बन जाओ और हमेशा प्रार्थना (Prathna) करो कि आप हमारी गंदगी साफ़ कर दो। जो कुछ भी वह कर रहे सब उनकी मौज मर्जी समझो। दीनता में बहुत सुख है अहंकार में दुख ही दुख है।
इसलिए कहते हैं कि—ये में पना छोड़ दो। जब तक आप नहीं पकड़ोगे और पकड़ कर चलोगे नहीं तब तक मालिक का दीदार नहीं होगा। इसलिए बार-बार विनती करो, रोओ उसके लिए तब काम बनेगा। भजन (Bhajan) ऐसे ही नहीं बन जाता है मेहनत करनी पड़ती है और दया की प्रार्थना (Prathna) करनी पड़ती है।
मन को रोकना पड़ता है तुम कहो कि हम भजन (Bhajan) कर लेंगे, तो तुम बहुत बड़े शेर हो जो अपने बलबूते पर कर लोगे। अगर अपने बलबूते कर सकते हो तो अब तक क्यों नहीं किया। दमदम विनती करो ।विनती तरकीब और तरकीब से करनी पड़ती है तब मालिक सुनता है।
गुरु बिन भाव निधि तरे ना कोई
इसलिए सेवा करो। जो तुम्हारी छोटी मोटी गृहस्ती की जिम्मेदारी है उसे पूरा करो और भजन (Bhajan) करो। तुम्हारी गृहस्ती की गाड़ी चलती रहेगी, काम होता रहेगा। तुम चाहो कि एकाएक तुम पर दया कर दी जाए तो दया तो की जा सकती है पर तुम बर्दाश्त नहीं कर सकोगे।
पागल हो जाओगे वह हजारों को बहका दोगे। महात्मा ऐसा काम नहीं करते। हमें ऐसा काम नहीं करना है धीरे-धीरे दया दी जाएगी। रामचरितमानस में लिखा है “गुरु बिन भाव निधि तरे ना कोई” पर गुरु कैसा हो जो ख़ुद भवसागर से पार जा चुका हो वह ख़ुद तुमको पार करा सकेगा वहीं पर नहीं गया वह तुम्हें क्या प्यार करेगा यह कलिगराम है कर्मों का इन्हीं कर्मों का फ़ैसला होता है।
भजन करना आसान नहीं
Bhajan करना आसान नहीं जब यह काम होता है। तब तुम नहीं आते हो जब तुम्हारा काम फंसता है तब चले आते हो जब तुम्हें यह संदेश मिले कि यहाँ ज़रूरत है तब भी तुमको आना चाहिए पर तुम हो कि चूक जाते हो भजन (Bhajan) करना कोई आसान काम नहीं है।
जैसे बच्चों के साथ सिखाने पढ़ाने में मेहनत करनी पड़ती है वैसे ही तुमसे भजन (Bhajan) कराने में मेहनत करनी पड़ती है अगर तुम से कह दिया जाए कि 4 घंटे भजन पर बैठो तो भाग खड़े हो गए घर के काम याद आ जाएंगे भजन (Bhajan) नहीं कराया जाता है तो यहाँ पड़े रहते हैं।
हमने गुरु महाराज के पास देखा है कि लोग आते हैं जब गुरु महाराज कहते हैं कि Bhajan पर बैठ जाओ तो लोग कह देते हैं कि हमसे भजन नहीं होगा तो मैं यहाँ जो भी छोटी बड़ी सेवा करते हो भंडारे की सेवा करते हो तो मैं कभी रोज़ नहीं करना चाहिए और रोज़ करना मना मत है मना है या देवता नहीं बैठे हैं और ना सब देवता आते हैं।
कबीर तेरी झोपड़ी गल कटिया के पास
यहाँ पर हर तरह के अच्छे बुरे लोग रोज़ आते हैं और रहते हैं कितने लोग तुम्हारे संग तुम्हारे पीछे लगे रहे यहाँ सब लोग आ सकते हैं किसी को रोक नहीं है यहाँ पर शिक्षा सुधारने को दी जाती है कोई एक दिन में सुधरेगा कोई 2 दिन में कितना भी वक़्त लगेगा।
तुम ऐसा भी होंगे जो सुधारना नहीं चाहोगे कुछ भी कुछ ऐसे भी होंगे जो सुधारना नहीं चाहेंगे जब तक रहेंगे-रहेंगे नहीं ख़ुद चले जाएंगे तुम अपने को सुधारो अपनी बुराइयों को निकालो तुम्हें दूसरों की चिंता क्या पड़ी है जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।
कबीर तेरी झोपड़ी गल कटिया के पास।
करेगा तो भरेगा तू क्यों होता उदास …तन मन दिया तो भला किया ।
शिर का जासी भार …अगर कहा कि मैं दिया ।
तो बहुत सहेगा मार …
जय गुरुदेव,
पोस्ट निष्कर्ष
महानुभाव आपने इस आर्टिकल में परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा भजन (Bhajan) Prathna के बारे में बताया है कि क्या आप भजन प्रार्थना करेंगे। कर सकते हैं, कैसे कर सकते हैं? आपने जाना आशा है आपको ए सत्संग लाइने ज़रूर अच्छी लगे होगे। अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, जय गुरुदेव
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