पद और चक्र के नाम और वर्णन आध्यात्मिक सत्संग बाबा जयगुरुदेव

जय गुरुदेव महानुभाव, महात्माओं के पास जब भी हम जाते हैं तो वह सारा रहस्य हमारे लिए बताते हैं।कौन से मंडल पर कौन महापुरुष बैठे हुए हैं और कौन महापुरुष भगवान का नाम लेने से हम अपने सच्चे घर पहुँच जा सकते हैं।सत्संग में सतगुरु सब कुछ बतलाते हैं।इस सत्संग पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे नीचे के पदों का वर्णन अनामी पद से अवतरण

पद और चक्र का नाम

1-अगम पुरूष,
2-अलख पुरूष,
3-सत्य पुरूष,
4-सोहं पुरूष। (सत्य पद-दयाल पद जो कि पिण्ड ब्रह्माण्ड से परे है।
5-ब्रह्माण्डी ईश्वर कृत्रिम काल पद
6-अविगत काल पद
7-महाकाल पद
8-निर्गुण काल पद
9-निरंजन काल पद
10-सोहं पुरूष पद
11-निःअक्षर पद
12-अक्षर पद
13-पुरूष प्रकृति पद
14-सहस दल कमल ज्योति, निरंजन आदि ज्योति
15-आज्ञा चक्र
16-विशुद्ध चक्र
17-अनहद चक्र
18-मणिपूरक चक्र
19-स्वाधिष्ठान चक्र
20-मूलाधार चक्र

पद और चक्रों का वर्णन

ओंकार से परे, ररंकार से परे सोहंकार से परे सत्य पद है जहाँ पर सच्चे श्री राम जी का बास है। श्री राम कहो, नारायण कहो, विष्णु कहो-सब एक ही हैं। पर इनके परत्व को जानकर मुक्ति प्राप्त करना चाहिए।

सत्य सिन्धु अनामी महाप्रभु से सम्बन्ध जोड़कर किसी भी नाम से साधक अमर पद पा सकता है। किन्तु इतना याद रहे कि जिस मण्डल का जो नाम है उस मण्डल को जानकर या अनजान से जप किया जाय तो सिद्ध होने पर उसी मण्डल में नाम पहुँचावेगा। आगे नहीं ले जा सकता है।

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जैसे भगवान विष्णु का सहस्र नाम ऊँ नाम, ररंकार नाम, अल्लाह नाम ये सब नाम अक्षर धाम से ही सम्बन्ध रखते हैं। भगवान विष्णु के दस अवतारों में श्री राम कृष्ण प्रधान माने जाते हैं।

संत मत की महत्ता

यह दोनों ही अवतार अक्षरधाम निरंजन धाम से ही सम्बन्ध रखते हैं। इनकी भक्ति करने से अक्षर धाम निरंजन से आगे नहीं जा सकता। सन्त मत में श्रीराम नाम माना जाता है। उसका सिद्धान्त और है।

संत मत की महत्ता है कि अवतारी अवतार से परे श्री राम नाम, हद बेहद से परे श्री राम नाम, सुन्न महासुन्न से परे श्री राम नाम सर्गुण निर्गुण से परे श्री राम नाम,

काल महाकाल से परे श्री राम नाम, नाद ज्योति से परे श्री राम नाम ओंकार ररंकार सोहंकार से परे श्री राम नाम जी महराज अनिवर्चनीय स्वरूप श्री सर्वेश्वर हैं। यह श्री राम नाम जी महाराज का मैंने परत्व बतलाया।

मंडलों का वर्णन

इसलिए अब यह निश्चय हो गया कि साधक किसी भी नाम का जप अनामी महाप्रभु से जोड़कर कर सकता है और अमर लोक की प्राप्ति उसे हो सकती है। किन्तु मैं यह बार-बार कहूँगा कि जिस मण्डल का वह होगा।

उस मंडलानुवर्ती पुरूष से नाता तोड़ना पड़ेगा और अनामी प्रभू से जोड़ना पड़ेगा। सभी नाम परमात्मा के हैं किन्तु उनका सम्बन्ध जब तक अनामी प्रभू से नहीं होगा।

तब तक अंश रूप होने के कारण अंशी की ही प्राप्ति होगी। पूर्ण पद की प्राप्ति नहीं होगी इस भेद को जानकर साधक अमर हो जाता।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए सत्संग कंटेंट के माध्यम से अपने आध्यात्मिक सत्संग को पढ़ा जो वास्तव में पद और चक्रो के बारे में महात्मा सब कुछ बतलाते हैं। आपको ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा।जय गुरुदेव मालिक की दया सब पर बनी रहे।

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