महानुभाव Baba Jaigurudev जी महाराज के द्वारा अपने प्रेमियों को तरह-तरह की शंका मिटाने के लिए कहानियाँ सुनाएँ, उन कहानियों के माध्यम से हम आप सब अपने जीवन में एक नया मोड़ ला सकते हैं। बुराइयों के रास्ते को त्याग कर अच्छाइयों के रास्ते को पकड़ सकते हैं। महात्मा उदाहरण देते हैं समझना या ना समझना यह हम सब का काम है। Baba Jaigurudev जी महाराज ने अपने सत्संग के माध्यम से शंका (Shanka) के बारे में लगभग ज्यादा से ज्यादा बोला है कि Shanka बहुत दुखदाई होती है। शंका करने से मन में विकार पैदा होते हैं और Shanka से बनता हुआ काम बिगड़ जाता है। इसलिए स्वामी जी महाराज ने कहानी के माध्यम से शंका पर क्या कहा चलिए जानते हैं। जयगुरुदेव सत्संग आर्टिकल के माध्यम से Jaigurudev,
जय गुरुदेव कहानी (Baba Jaigurudev Kahani)
एक महात्मा जी थे। उनके पास एक आदमी आया और कहने लगा कि हमारे पास कोई रोजी रोजगार (Naukari) नहीं है। कहीं काम धन्धा नहीं मिल रहा है आप कृपा कर दीजिए कोई काम मिल जाय रोजी रोटी चले। उन्होंने पूछा कि एक बात बताओ। जो हम कहेंगे वह करोगे? उसने कहा कि हाँ लेकिन रोजी (Rojgaar) मिल जाय।
उन्होंने कहा कि अच्छा। तुम पचियों पर राधा, कृष्ण, राम, लक्ष्मण, सीता, आदि सब लिखकर उस लोटे में डाल दो। फिर उसमें से पर्ची निकालकर हमको दो। उसने एक पर्ची निकाली तो उसमें लिखा था कि चोरी करो’ (Chori Karo) ।
महात्मा जी ने कहा कि जाओ चोरी करो (Chori Karo) वह आदमी चोरी करना तो जानता नहीं था। वह चला तो चोरों का एक काफिला जा रहा था उनके सरदार (chief) के पास गया और बोला कि हमें अपने काफिले में ले लीजिए हम भी चोरी (Chori) करेंगे। सरदार ने उसको रख लिया। एक काफिला (Kafila) यात्रियों का जा रहा था। सरदार (chief) ने कहा कि जाओ इस काफिले (IKafile) को लूटो। वह गये और काफिले को लूटा और सेठ को पकड़ लाय, सरदार (chief) ने उस आदमी से कहा कि इस सेठ की गरदन उड़ा दो।
सोचने लगा कि:-
वह मन में सोचने लगा कि यह सरदार (chief) ऐसे कितने बेगुनाहों की गर्दन उड़ाये होगा और भी न जाने कितनों को मरवायेगा। क्यों न इसी की गरदन उड़ा दी जाय। ऐसा सोचकर वह तलवार (Sword) लेकर आगे बढ़ा लेकिन एक ही झटके में ऐसा पलटवार किया कि सरदार की गरदन धड़ से अलग हो गई। उसके साथी घबड़ा गये।
सोचने लगे कि ये तो सरदार से भी तेज है हम लोगों को भी मारेगा। वह भागने लगे तो उसने सबको बुलाया और कहा कि तुम हमसे डरो मत। तुम इस सरदार (chief) के कहने पर गुनाह करते थे। ये धन जो लूट का है उसे तुम लोग आपस में बाँट लो और कोई धन्धा (Business) शुरू करो। मुझे इस लूट का एक पैसा (Paisa) नहीं चाहिए।
सेठ बड़ा खुश हुआ। उसने कहा कि तुमने मेरी जिन्दगी बचाई है इसके बदले में मैं तुम्हें अपना मैनेजर (Manager) बनाता हूँ। तुम मेरा काम देखोगे। तुम्हें हर तरह की सुविधा मैं दूंगा।
गुरू (GURU) का काम है ठगों से बचाना
तो कहने का मतलब ये है कि महात्माओं की वाणी (Baba Jaigurudev Vaani) कहाँ कैसे फल जाय ये तुम नहीं समझते। ये उनके वचन है। तुम लोग जल्दी-जल्दी में आते हो। बात सुनोगे नहीं अपनी ही कहते रहते हो, हमारी बात तुम क्या सुनोगे। तो मेहनत मशक्कत की कमाई खाओ।
उस आदमी ने लूट का एक ऐसा नहीं लिया। अन्न का बड़ा असर होता है। उसका असर भजन ध्यान (Dhayan Bhajan) पर भी पड़ता है। भजन को खराब कर देता है। GURU का काम है ठगों से बचाना। जो तुम अपना समय दुनियाँ वालों के साथ बेकार की बातों में बर्बाद करते हो उससे तुमको बचाकर भजन (Bhajan) में लगा देते है।
शंका (Shanka) बड़ी खराब चीज है।
Shanka (शंका) करने से समाज (Society) बिगड़ जाता है परिवार (Family) बिगड़ जाता है जातियाँ (Castes) बिगड़ जाती है। देश (Country) बिगड़ जाता है।
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मौलवी साहब (Maulvi Sahib) की कहानी
एक मौलवी साहब थे। वह स्वस्थ थे बीमार नहीं पड़ते थे। बच्चों को बहुत अच्छा पदाले थे। बच्चों ने मन में सोचा कि मौलबी साहब रोज आते है पढाने। कभी भी हम लोगों को छुट्टी नहीं मिलती तो कुछ करना चाहिए।
मौलवी साहब आए तो
बच्चों ने आपस में सलाह मशविरा किया। दूसरे दिन Maulvi Sahib आए तो एक बच्चे ने कहा कि मौलवी साहब आपकी तबीयत तो अच्छी है उन्होंने कहा कि हाँ। आगे बढ़े तो दूसरा बच्चा मिला। उसने कहा मौलवी साहब आपका चेहर क्यों उतरा हुआ हैं क्या तबीयत खराब है?
मौलवी ने कहा कि नहीं और आगे बढ़े तो एक बच्चे ने कहा कि मौलवी साहब क्या बात है आपका चेहरा पीला क्यों पड़ रहा है? Maulvi Sahib कुछ सोचते हुए आगे चले। फिर एक बच्चा मिला और कहा कि मौलवी साहब आज आपको क्या हो गया है? आपकी चाल धीमी हो गई है, आपके चेहरे पर उदासी दिख रही है, क्या कोई परेशानी है?
Maulvi Sahib को शंका हो गई
मौलवी साहब को ये शंका (Shanka) हो गई कि उनको कोई बीमारी हो गई। उन्होंने स्कल छोड़ दिया और घर चले गये। अपनी देवी से बोले कि जल्दी चारपाई बिछाओ मेरी तबीयत बहुत खबरा हो गई है। पत्नी घबड़ा गई कि अच्छे खासे गये थे एकाएक कौन-सी बीमारी लग गई।
तो Maulvi Sahib को Shanka हो गई और शंका कोई इलाज नहीं कोई दवा नहीं। इसी तरह से घर परिवार में, जातियों और समाज में देश में और परमार्थ में अनेक तरह की शंकायें पैदा कर दी गयी। इसीलिए किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
निष्कर्ष
महानुभाव अपने ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से “जय गुरुदेव कहानी” का वाचन किया। Baba Jaigurudev जी अपने प्रेमियों को तरह-तरह की कहानियाँ सुनाकर मंत्रमुग्ध करते थे और आज भी उनकी कहानियाँ एक प्रेरणा का स्रोत हैं। बाबा जी ने शंका (Shanka) पर एक संदेश दिया जो मानव जीवन के लिए सार्थक और प्रेरणादायक है। आशा है ऊपर दिया गया Baba Jaigurudev Satsang Post जरूर अच्छा लगा होगा और अधिक जय गुरुदेव कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए पोस्ट पर क्लिक करें, बाबा जयगुरुदेव की बचपन की कहानी जान सकते हैं, जय गुरुदेव
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