Guru Banne Ka Kam मत करना ।। ध्यान रखो कभी भूल कर भी यह मत करना

ध्यान रखो कभी भूल कर भी यह मत करना। गुरु बनने का काम (Guru Banne Ka Kam) आसान नहीं है गुरु बन्ना कोई मामूली काम नहीं है। इस पद को हासिल करने के लिए परमात्मा और संसार का को अपनी दृष्टि से देखना, संवाद करना, यह पूर्ण महात्माओं का काम है। चलिए जानते हैं स्वामी जी महाराज ने अपने सत्संग के माध्यम से Guru Banne Ka Kam मत करना इसके बारे में क्या कहा? जय गुरुदेव आगे पढ़ें।

सन्त सतगुरू (Sant Satguru) का मिलना इस मनुष्य शरीर में अनिवार्य है। अगर वह मिल गए तो सारा जीवन सफल हो गया। नहीं मिले तो सारा जीवन व्यर्थ चला गया। ऐसे मेहराब के पीछे जीवात्मा को बिठा दिया है कि जहाँ से उपर चले चलो तो प्रकाश ही प्रकाश है और नीचे गिरे तो अन्धकार ही अन्धकार है।

Guru Banane Ka Kam मत करना
Guru Banane Ka Kam मत करना

तन-मन दिया तो भल किया (Bure Kam Mat Karna)

तन से तुम बुरे काम (Bure Kam) करते थे तो वह महापुरूष कहते है कि इससे अच्छे काम करो। मन से अच्छे विचार उठाओ। इससे क्या होगा? सिर का जासी भार सिर पर जो भार लदा हुआ। वह हल्का होगा। लेकिन जो यह कहा कि मैं किया तो बहुत सहेगा मार। बहुत अच्छा है कि आप ने तन मन दे दिया। धन इसी के साथ लगा रहता है। तुम उस धन से कोई बुरा काम न हो इसका ध्यान रखो।

हमने तो आप से कोई तन-मन लिया नहीं। पर पहले के महात्मा इसीलिए तन मन लेते थे कि तुम मेरे तन मन से और धन से कोई बुरे काम मत करना (Bure Kam Mat Karna) । यह शरीर मिला है उसमें बैठकर भजन कर लो। उपर से शब्द कह देना और उसको अन्तर में समझना इसमें बड़ा राज है। इसे पूरी तरह से समझना चाहिए।

तन-मन दे देने से काम का तरीका बदल दिया जाता है। सेवा लेने का सामूहिक कार्यक्रम रखा जाता है इसमें भी राज है। सामूहिक सेवा में हर तरफ से लोग बुला लिए जाते है ताकि जिनका कर्जा आपको देना है या जिससे लेना है वह चुका दिया जाये। इस राज को महात्मा जानते है। लूट मार करके, कत्ल करके, झूठ फरेब करके जो कर्ज आप ने जमा किया है उसको कैसे चुकाया जायेगा ये महात्मा (Mahatma) जानते है।

Guru Banane Ka Kam भूल कर भी यह मत करना

सन्त मिल जाये तो कुछ मिलेगा। अगर सन्त न मिले तो उलट नर्क में देय। घाट जगाती क्या करे जो सिर बोझ न होय। आप को नामदान (Namdaan) दिया जाता है। यह एक टिकट है। सन्तों का दिया हुआ पास है। वह देखता है और कहता है कि जाओ। जब तक सन्तों का दिया हुआ पास नहीं मिलेगा वह किसी को छोडता नहीं है। तुमने कैसे-कैसे कर्म जिस-जिस तरह से किया है। उस तरह से ही तुमको भोगाया जाये तो तुम भोग ही नहीं सकते हो। चिल्ला पड़ोगे गुरु अपने समर्थता का मसाला लगाकर उस भोग को समाप्त करते है।

एक बात ध्यान रखो-कभी तुम गुरु बनने का काम (Guru Banne Ka Kam) मत करना। यह सबसे बुरा काम है। अगर तुममें समर्थता न हो तो तुम इस काम को मत करना जीवात्माओ की जिम्मेदारी लेना हंसी खले नहीं है इसलिए कभी भूल कर भी यह मत करना। एक का भी बोझा लद गया तो सीधे नरक में जाओगे।

कहने का मतलब ये है कि जब तक सन्त पूरे (Pure Sant) न मिलें तब तक जीवों का काम होने वाला नहीं है। जो सन्त होते हैं वह अपने को गुरु कभी कहते ही नहीं है। वह तो कहते है कि मैं सेवक हूँ। दूसरे का बोझा लेना, उसको धोना यह सस्ता और आसान काम नहीं है। मैंने गुरु महाराज से कहा था कि महाराज मुझसे यह काम होने वाला नहीं। वह बोले कि तुम बह करोगे जो मैं तुम कहूंगा या, तुम वह करोगे जो तुम चाहोगे। में चुप हो गया या और कहाँ की आपकी आज्ञा जो हो।

दो शब्द लेखक:

प्रेमियों गुरु बनना कोई आसान काम नहीं है। गुरु बनना यानी अपने शिष्य के सारे अच्छे बुरे कर्मों की सफाई करना, यह तभी मुमकिन होता है जब एक गुरु धारी स्वयं इतना पावरफुल हो जाता है कि जिसकी नजर पड़ते ही सारे अच्छे बुरे कर्मों की सफाई होती है। ठीक पूर्ण महात्मा ही गुरु की उपाधि ले पाता है। Guru Banne Ka Kam मत करना। यदि गुरु बनोगे तो किसी के कर्मों का बोझ भी आपको लेना पड़ेगा। यदि इतनी क्षमता है तब तो ठीक है नहीं तो एक कहावत है:

“अंधा गुरु और बहरा चेला, नर्क में ठेलम ठेला”

आशा है आप ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा। मालिक की दया सब पर बनी रहे, जय गुरुदेव।

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