नर नारियो ये समय बड़े सौभाग्य से मिला है। Manav Sharir mein रहकर कभी सोचा कि मैं कहाँ से आया और कहाँ जाऊँगा? जब जीवात्मा को निकाल करके बाहर करेगा अपना मकान ले लेगा। फिर ये मनुष्य शरीर (Sharir) आप को नहीं मिलेगा। ये अमोलक मनुष्य शरीर (Manushya Sharir) है इसी शरीर में बैठकर ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है। देवी और देवता और भगवान ब्रह्मा और विष्णु और ईश्वर सब मिल जायेंगे। इस विषय के बारे में आपको गहन चिंतन करने की जरूरत है। मेरे प्यारे प्रेमियों यह आध्यात्मिक सत्संग इस को जानना बहुत जरूरी है।
Sharir में रहकर सोचा कि मैं कहाँ से आया और कहाँ जाऊँगा
नर नारियो ये समय बड़े सौभाग्य से कभी-कभी किसी को मिलता है नहीं तो जीवन आपका अंधेरे अज्ञान में व्यतीत हो रहा है। दिन में काम करते हो घर में बाल बच्चों की सेवा करके सो जाते हो इतना ही काम आपका दिन रात का है। इसके आगे ये नहीं सोचा कि Manushya Sharir Mein कहाँ से आया और कहाँ जाऊँगा। ये आपको मालूम नहीं होता कि मनुष्य शरीर कितना अमोलक है। ये बार-बार नहीं मिलेगा।
ये किसी ने नहीं बताया कि मनुष्य शरीर का असली काम असली उद्देश्य (human body system) किस काम के लिए आपको यहाँ मृत्यु लोक में भेजा गया है। इसको सब लोग झगड़े झंझट में खाने-पीने में उठने-बैठने में इसमें सब बिता देते हो। रात को भी वही संकल्प देखते हो दिन को भी वही देखते हो। ना आपके हाथ में रात का पड़ेगा ना आपके हाथ में दिन का, ये मनुष्य शरीर (Manav Sarir) थोड़े दिन के लिए उस मालिक ने आपको दिया है।
Human Body से जीवात्मा को निकालेगा तब
बाबा जी ने कहा देखो मेरा ये मनुष्य शरीर (Manav Sarir Ki Jankari) दिया हुआ है तुम इसमें बैठकर जीवात्मा को भगवान के पास पहुँचा दो। हमारे मकान (Body) को गन्दा मत करना। तुमको किराये पर देता हूँ भाड़े पर थोड़े दिन के लिए समय पूरा होते ही मैं आ जाऊंगा तुमको मकान (Human Body) से बाहर निकालकर मैं अपना मकान ले लूंगा।
उसने ये कहा कि मेरे मकान (Manav Sarir) में गन्दगी जमा मत करना। तो आपने उसके अमोलक मकान को जो आपको दिया गया है उसमें कूड़ा-कचरा, पाप और पुण्य, अच्छा और बुरा इसमें भर लिया। अब श्वांसों की पूंजी खत्म हो रही है और सामने खड़ा होगा। मेरे मकान (Manav Sarir) को खाली कर दो अभी। तब आप क्या करोगे?
उसके सामने होश उड़ जायेंगे। आंखें बन्द हो जाती हैं, कान बन्द हो जाएंगे, जवान आपकी वह भी बन्द हो जायेगी। बुद्धि जो है पागल हो जायेगी। कहेगा निकलो मकान से पहचानना भी बन्द सुनना भी बन्द, बोलना भी बन्द, समझना भी बन्द और मनुष्य रूपी Sarir इस किराये के मकान से जीवात्मा को निकाल करके बाहर करेगा।
फिर ये Manushya Ke Sharir आप को नहीं मिलेगा
फिर तुमको ले जायेगा और वहाँ पर हिसाब करेगा कि तुमने कितना पाप किया और कितना पुण्य किया? उसी कर्म के आधार पर तुमको पशु में, पक्षी में, कीड़ों में, लाकर के बन्द कर देगा। फिर ये मनुष्य शरीर (Manav Sarir) आपको नहीं मिलेगा। ये अमोलक उसने आपको निधि दी है।
हमको यह चाहिए कि जीवात्मा बैठी है उसको जगाया जाय तो आप किसी से रास्ता पूछते नहीं हो भाई। किस रास्ते से भगवान् देखा जाता है, किस रास्ते से मिल जायेगा, कोई रास्ता है? मनुष्य रूपी मन्दिर (Human Body) में तो सबके पास भगवान के पास पहुँचने का रास्ता मनुष्य रूपी मन्दिर में है।
कहीं बाहर नहीं है कि तुम पूरब में, पश्चिम में जाऔ, उत्तर में, दक्षिण में जाओ। मनुष्य मकान (Manav Sarir) में उसको पाने का देखने का, दर्शन का और जीव को यानी मतलब है कि पार करने का इसी से रास्ता है तो तुम किसी जानकार के पास जाते, उससे पूछते कि भाई भगवान से मिलने का कोई रास्ता है? तो वह बता देता आपको कि देखो ये रास्ता है। इससे चलो तो देवी और देवता और भगवान ब्रह्मा और विष्णु और ईश्वर सब मिल जायेंगे। तो आप तो दिन भर इस काम में लगे रहते हो।
“दिन गया धन्धे में रात गयी सोने में।”
Manav Sharir Ki Sanrachna
“हीरा जन्म अमोल है, कौड़ी बदले जाय।”
ये अमोलक Manav Sharir Ki Sanrachna है
क्या आपने कर लिया मनुष्य शरीर पाकर? क्योंकि ये तो अमोलक मनुष्य शरीर है सारे संसार की दौलत एक जगह रख दिया जाय और उसकी आरती की जाय कि हमको फर से मनुष्य शरीर में खड़ा कर दे दो को वापस ले आओ। तो ये धन दौलत नहीं कर सकता। ऐसा आपको सबको अमोलक मनुष्य (Manav Sharir Ki Sanrachna) दिया गया। चाहे किसी भी जात का हो ब्राह्मण, हो मुसलमान हो ईसाई हो भगवान को पाने का अवसर दिया।
निष्कर्ष
महानुभाव ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से अपने परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की सत्संग वचनों को पढ़ा। वास्तव में देखा जाए तो यह Manushya Sharir यदि हमें बड़ी सौभाग्य से मिला है तो हमें शरीर के पाने का सही उद्देश्य मालूम होना जरूरी है। इस रहस्य का पता केवल महात्मा ही बता सकते हैं और वह हमें मानव जीवन को सफल बनाने में कामयाब बना सकते हैं। जय गुरुदेव,
और अधिक सत्संग पढ़ते रहे: दिव्य दृष्टि खुलने पर कैसा अनुभव होता है