जमीन व आसमान के पर्दे बदल जाते हैं। ज्योति से भरा हुआ आसमान व पृथ्वी नजर आती है। पृथ्वी के कण-कण ज्योति से पूर्ण होते हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश का बना हुआ कोई भी सामान वहाँ पर नहीं होता है सभी तत्व चिन्मय स्वरूप होते हैं। जिस तरह से नाटक के पर्दे गिरते व खेल होते हैं उसी तरह से त्रिकुटी महल में क्षण-क्षण में पर्दे गिरते व उठते हैं। श्री प्रभु की योग माया विविध प्रकार के अनिर्वचनीय लीलाओं को दिखलाती है जिसे देखकर साधक मस्त हो जाता है। दीन और दुनिया की खबर उसे बिल्कुल नहीं होती। खुशी का फूला बदन नहीं समाता है। जिस लीला को तीन लोक चौदह भुवन में न कभी देखा है न सुना है जो मन में न समाता है न वर्णन में आता है उस अद्भूत तमाशे को देख-देख कर कह कहा मार-मार कर उछल-उछल कर हंसता है।
उन अगाध लीलाओं का कुछ वर्णन?
पांच रंग की पृथ्वी ज्योति से भरी हुई नजर आती है। जो नीले-पीले सुर्ख सब्ज सफेद रंग के होते हैं। इन्हीं रंगों की विविध प्रकार की फुलवारियाँ और इन्हीं पांच प्रकार के रंगों के पक्षी भी होते हैं, नीले, पीले, सुर्ख, सब्ज सफेद रंगों के नर और नारियाँ भी होती हैं। पशु जगत भी इन्हीं रंगों से भरा हुआ होता है।
जितने पक्षी देखने में आते हैं वह कोई भी एक दूसरे से मिलते जुलते नहीं होते। उनके अंग-अंग में विविध प्रकार की कारीगरियाँ भी होती हैं जो विद्युत छटा से पूर्ण होती हैं। जिनके हर एक वृक्ष फल पत्ता लता डाली छाल-छाल रेशे सब कारीगरियों से भरे हुये होते हैं और विद्युत लता से लहराते नजर आते हैं।
कोई फूल कुम्हलाये हुए नहीं होते हैं। ताजगी ही ताजगी नजर आती है। हर वृक्ष की जड़ तना डाली सभी मखमल से भी कोमल होते हैं खुर्दरापन का नाम तक भी नहीं होता है। पृथ्वी भी मखमल के समान कोमल होती है। इन्हीं पाँच रंगों की क्यारियाँ व सड़कें भी होती हैं। उस सृष्टि में कहीं कूड़े कचड़े का नाम निशान नहीं होता है। भंगी कहीं भी सड़क झाड़ता नजर नहीं आता है। मल मूत्र से भरी नालियाँ व मोरियाँ कभी भी नजर नहीं आती हैं।
नाना प्रकार के दिखाई पड़ते
स्वर्ण और मणियों से जुड़े हुये नाना प्रकार के महल दिखाई पड़ते हैं। नाना रंग और कारीगरियों से बने हुये झाड़ फन्नूस बिजली से जलते हुये नजर आते हैं। बिजली से बने हुये नाना प्रकार के बड़े विशाल फाटक विविध प्रकार की कारिगरियों से बने हुए बिजली से लहराते हुये दिखलाई पड़ते हैं।
पक्षियों के पर मारने से, चलने से उड़ने से बोलने व आदमियों के चलने से व केशों के हिलने से आंखों की पलक ढकने से हंसने से बिजली के कणकण झरते हुये नजर आते हैं जिसकी शोभा व सुषमा वर्णन नहीं की जा सकती है।
जगह-जगह पर नीले, पीले सुर्ख सब्ज, सफेद रंगों के वृक्षों के झुण्ड गुच्छे डालियों में लाखों में लटकते हुये नजर आते हैं। जगह-जगह पर रत्नों की राशियाँ दमदमाती चमकती हुई नजर आती हैं व दिखाई पड़ती हैं। बड़े-बड़े सरोवर और कुएँ तथा सरोवरों की सीढ़ियाँ विविध प्रकार के रत्नों से जड़ी सरोवर भी सितारों से भरे हुए दिखाई देते हैं जिनको देखकर साधक का मन लटू व दिल बाग-बाग हो जाता है।
दमकते हुये नजर आते
कहीं-कहीं नीले, पीले, सुर्ख सब्ज सफेद रंग के फूल बिजली से दमकते हुए आसमान से बरसते हुये नजर आते हैं। कभी-कभी पर्वतों से बिलौरी नहर छूटती हुई नजर आती है। आतिशबाजियाँ भी विविध प्रकार की समय-समय पर छूटा करती हैं। आतिशबाजियों का रूप उन्हीं नीले, पीले, सुर्ख, सब्ज सफेद रंग के लटूओं के बने हुये हाथी वे धोड़े नजर आते हैं।
तथा लटूओं से ही चरखियाँ कभी गोलाकार दायें व बायें तथा ऊपर नीचे छूटती हुई नजर आती हैं और बीच-बीच में उनसे गोले छूटते हैं और उनसे अद्भुत बिजली का प्रकाश होता हुआ नजर आता है और जो गोले छूटे थे वह फिर आकर उसी में जुड़ जाते हैं। तथा घोड़े नाना प्रकार के तमाशे करते हुये,
नाचते हुये तथा बीच-बीच में उनसे गोले छूटते हुये और बिजली के समान प्रकाश करते हुये नजर आते हैं। हाथी भी नीले पीले सुर्ख सब्ज सफेद रंग के लटूओं के बने हुये व अद्भुत तमाशे करते हुये नजर आते हैं और उनके अंग-अंग से गोले छूटते हैं और वह गोले अत्यन्त प्रकाशमान है। वह अगाध लीला अकथनीय है।
साधक की ताकत नहीं जो वर्णन कर सके। जिस वक्त परदा खुलता है कोसों की जमीन नजर आती है। कहीं मोरों के बाग नजर आते हैं। मोरों का बाग यानी, मोरों के वृक्ष लगे होते हैं जिसमें फूल व पत्ते की जगह मोर के पंख ही लगे हुये नजर आते हैं जिनके हिलने से अद्भूत शोभा होती है और उस बाग में सड़कें भी बड़ी सुन्दर तथा विविध रंगों की व रत्नों से चित्रित की हुई कोसों तक नजर आती हैं।
नाना प्रकार के चित्र
सुरत काम नहीं देती है। चारों तरफ दायें बायें ऊपर नीचे सर्वत्र ही वह सुन्दर और अनोखी सड़कें क्यारियाँ नजर आती है कि जिनके देखने से साधक का मन लालायित हो जाता है और देखने से मन तृप्त नहीं होता है। मन में यही गुब्बार उठते रहते हैं कि यहाँ से हटूं नहीं देखता ही रहूँ।
किन्तु यह अद्भुत दृश्य थोड़ी ही देर रहता है। इसी तरह से नाना प्रकार के चित्र तथा तमाशे नजर आते हैं। योग माया सीन फौरन गायब कर देती है जिसको की साधक नहीं चाहता है और यही हुलास पैदा होती है कि देखता ही रहूँ। देखते-देखते नेत्र तृप्त नहीं होते हैं।
कभी-कभी पर्वत भी देखने में आता है कि जिसमें शिखर से लेकर नीचे तक सीढ़ियाँ बनी हुई होती हैं। उन सीढ़ियों पर सुन्दर-सुन्दर सजे हुये सिहांसन कतार से लगे हुये नजर आते हैं जो कि स्वर्ण के बने हुये मणियों से जड़े जिनके ऊपर सब्ज सफेद सुर्ख रंग से देवी और देवता विविध प्रकार के वस्त्र और आभूषणों से सजे हुये और नाना प्रकार के किरीट व मुकुट लगाये हुये नजर आते हैं।
बड़ा ही अनोखा दृश्य
यह भी दृश्य बड़ा ही अनोखा है। कभी-कभी सुन्दर से बाग भी नजर आते हैं जिसमें बड़े ही सुन्दर रंगीन वृक्ष लगे हुये होते हैं। जिस वृक्ष की डालियों में बजाय फल व फूल के सुन्दर नारी और नर विविध प्रकार के वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित किरीट व मुकुट व कुण्डल पहिने हुये वृक्ष सहित झूम-झूम कर नृत्य करते हुय नजर आते हैं।
कभी-कभी श्री रामचन्द्र व श्रीकृष्ण जी की मनोहर झांकी अद्भुत छटा से पूर्ण दिखाई पड़ जाती है जिसे देखते ही साधक धन्य-धन्य हो जाता है। कभी सुन्दर-सुन्दर विविध रंगों के पुष्पों से गुथे हुये हारे व गुलदस्ते जिनमें मणियाँ गुथी होती हैं आसमान से बरसते नजर आते हैं। कभी-कभी स्वेत वर्ण के झण्डे सुनहरे काम से रचे हुए विविध प्रकार की कारीगरियों से बने हुए आसमान में फहराते हुये नजर आते हैं।
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