Jaigurudev Kafila साईकिल से कब और कहाँ निकला? साइकिल यात्रा जयगुरुदेव

जयगुरुदेव काफिला (Jaigurudev Kafila) स्वामी जी महाराज ने मध्य भारत, दक्षिण भारत, उत्तर प्रदेश में कब और कहाँ Kafila निकला? स्वामी जी ने अपने काफिले में लोगों को क्या संदेश दिया, तथा उन्होंने ऐसी कौन-सी भविष्यवाणी की जो हाल ही में सिद्ध हुई और लोगों ने उसको देखा कि एक समय ऐसा आएगा कि लाशें उठाने वाला भी नहीं मिलेगा। यह समय आप ने 2021 में देखा है। महात्माओं की वाणी सत होती है वह मिथ्या नहीं जाती है। क्योंकि वह सब कुछ देखते हैं चलिए जानते हैं Jaigurudev Kafila के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश, जय गुरुदेव।

परमार्थ (Parmarth) का प्रचार-प्रसार

प्रचार-प्रसार: परमार्थ का उद्देश्य लेकर बाबा Jaigurudev जी ने 10 जुलाई 1952 को वाराणसी से सत्संग का शुभारम्भ किया। जैसा कि सदा से प्रत्येक महात्माओं के साथ होता रहा बाबाजी के मानने वाले हुए तो विरोध करने वाले भी खड़े हो गये पर बाबाजी की ओजस्वी वाणी सभी प्रतिरोधों अवरोधों को पार करती बढ़ने लगी।

गाँव नगर, शहर, प्रान्त में सत्संग (Jai Guru Dev Satsang) की धारा प्रवाहित होने लगी। उस समय बाबा जी ने कहा था कि सत्संग की जो धार चल पड़ी है वह नदी, नाले का रूप ग्रहण करती समुद्र का रूप ले लेगी। वह बात आज शत प्रतिशत सत्य उतर रही है। परमार्थ का प्रचार-प्रसार

Jaigurudev Kafila
Jaigurudev Kafila

दक्षिण भारत पर्यटन कार्यक्रम

वर्ष 1968 में दक्षिण भारत पर्यटन का कार्यक्रम बना और बाबाजी का काफिला (Kafila) अनेक प्रान्तों व नगरों में गया और व्यापक प्रचार हुआ। सन् 70, 71, 72 के जनजागरण कार्यक्रमों में बाबाजी के अनुयाइयों की संख्या 20 करोड़ तक पहुँच गई। सन्तों के इतिहास में बाबा Jaigurudev जी ने अपना अकेला और अनूठा पृष्ठ निर्माण किया।

बाबाजी की वाणी जनमानस में उतरने लगी, सत्संग की धार (Satsang Ki Ganga) चौमुखी होकर बहने लगी। आत्म कल्याण, लोक कल्याण, समाज सुधार देश सुधार अर्थात् चारों ओर से सत्संग की धार फूटी। इसके लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये। सन् 1970 से 1975 तक कार्यक्रमों की धूम सारे देश में मच गई।

साइकिल यात्रा गोरखपुर (Uttar Pradesh) से

1200 मील की साइकिल यात्रा नवम्बर 1970 में गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से प्रारम्भ हुई और अनेक स्थानों पर पड़ाव डालती हुई दिल्ली पहुँची। बाबाजी ने कहा कि आप सभी लोग इस जन जागरण को देखकर स्वयं पता लगा लें। विश्व में एक परिवर्तन (World Parivartan) होगा।

लोगों को शाकाहारी (Sakahari) बनना होगा। तोड़फोड़, हड़ताल निन्दा एवं अनशनों से अलग रहकर अपनी भूली हई आत्मा को परमात्मा तक पहुँचायें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो एक समय ऐसा भी आने वाला है कि आदमी की लाश (Aadmi Ki Lash) उठाने के लिए आदमी नहीं मिलेगा। यह दृश्य आपको देखने को मिलेगा। सभी राष्ट्रो में भारी कलह होगी। सन् 1971 तक मुसलमान आपस में लड़ना शुरू कर देंगे।

साइकिल यात्रा सोनपुर (BIHAR) से

सन 1971 में 1500 मील की साइकिल यात्रा (cycling tour) पचासौं हजार प्रेमियों की सोनपुर (बिहार) से निकाली गई। जगह-जगह पड़ाव डालती हुई यह यात्रा दिल्ली तक गई। दिल्ली के महापौर हंसराज जी गुप्त ने रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) में यात्रियों का स्वागत किया।

उन्होंने बताया कि गत वर्ष 1970 में जब काफिला (Kafila) यहाँ आया था तव में स्वामी जी के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ था कि इस बार मेरी दिली इच्छा यही थी कि मंच पर न आऊँ और आप लोगों के साथ जमीन पर ही बैलूं लेकिन लोगों ने मेरे इस अनुरोध को नहीं माना और मुझे मंच पर आना ही पड़ा।

उन्होने कहा कि बाबाजी साधारण इन्सान नहीं है उनमें कोई अलौकिक शक्ति काम कर रही है। आप सभी लोगों का सौभाग्य है कि आप ऐसे महान् पुरुष के चरणों में बैठेहए है। Delhi की जनता तथा अपनी ओर में मैं इन लाखों धर्म यात्रियों का स्वागत करता हूँ।

साइकिलों से हजारों मील की Travel

बाबाजी ने महापौर जी को यह विश्वास दिलाया कि आप के नगर में ये यात्री किसी प्रकार का आन्दोलन तोड़फोड़ व हड़ताल नहीं करेंगे और न किसी प्रकार का नकसान करेंगे। ये लाखों तीर्थ यात्री बिहार, उ0प्र0, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश (Bihar, Uttar Pradesh, Rajasthan and Madhya Pradesh) की ऊँची नीची पहाड़ियों को पार करते हुए और हजारों मील की यात्रा करते हए, साइकिलों से आप के नगर में आए है। ये यात्री देश में प्यार का-सेवा का सदभाव का अहिंसा का प्रचार (Ahinsa Ka Prachar) करेंगे और अब जमाना बदलेगा।

मलाया की (Videsh Yatra) विदेश यात्रा

1971 में बाबाजी ने मलाया की विदेश यात्रा की। मलाया की चर्चा करते हए बावजी ने कहा था कि मलाया जैसे छोटे देश में भारत के लोगों का बहत धन जमा है। एक बैंक मैनेजर का हवाला देते हए स्वामी जी ने बताया कि उसने कहा कि अगर एक दो एकाउन्ट का पैसा (PAISA) भारत के विकास में लगा दिया जाये तो भारत सम्पन्न हो जायेगा।

वहाँ कानून व्यवस्था सुदृढ़ है, लोगों में अनुशासन है। अधिकारी कर्मचारी अपना काम पूरी निष्ठा से करते है। उसमें किसी की दखलन्दाजी नहीं होती। अगर किसी का सामान सड़क पर गिर जाता है तो उसे जाकर थाने में सूचना दे देनी पड़ती है।

जयगुरुदेव आश्रम मथुरा (Jai Gurudev Ashram Mathura) में

भारत में 1 जनवरी 1973 को जयगुरूदेव की धर्म ध्वजा फहराई गई। Jai Gurudev Ashram Mathura (जयगुरुदेव आश्रम मथुरा) में भी उल्लास भरे वातावरण में स्वामी जी महाराज ने झण्डा फहराया। 1 जनवरी 1973 एक महत्त्वपूर्ण दिन धर्म के इतिहास में कर्म के इतिहास में राजनीति के इतिहास में समाज के इतिहास में बन गया। बाबाजी ने 16 दिसम्बर 1972 को Jai Gurudev Ashram Mathura में घोषणा किया कि भारत में बीस करोड़ नरनागियों का जन्म जागरया पूरा हो गया।

भारत धर्म (India Religion) प्रधान देश है।

बाबाजी ने कहा कि भगवान का विधान कभी नहीं बदलता है और वह अमिट है। इसे कोई बदल सकता है तो सन्त सतगुरू बदल सकते है। काल के देश में कर्मफल जरूर मिलेगा जैसा कि नियम है। केवल सन्तही को-को क्षमा कर देते है। यह जनजागरण तुम्हारे कर्म कर्जे को खत्म करने के लिए किया गया है।

भारत धर्म प्रधान देश है। धर्म की किरण अब भारत से निकलकर पूरे विश्व (All World) में फैलेगी। भारत का धर्म राज्य न केवल भारत पर होगा बल्कि सम्पूर्ण विश्व पर भारत का अखण्ड राज्य होगा। यह झण्डा उसका प्रतीक है। चौबीस घन्टे तक लहराने और फहराने वालो धर्मध्वजा क्या करेगी यह आगे वक्त बतायेगा।

मन्दाकिनी तट पर आयोजित कार्यक्रम

18 से 22 फरवरी 73 के कार्यक्रम में 20 फरवरी को चित्रकट के मन्दाकिनी तट पर Jaigurudev बाबा ने बच्चों द्वारा नवयुग के निर्माण का शिलान्यास किया। बाबाजी ने उन बच्चों का आवाहन किया जो राम, कृष्ण, बुद्ध, कबीर की तरह इस दुनिया में अवतरित हुए है।

बाबाजी के आवाहन पर प्रमोदवन के मन्दाकिनी तट पर आयोजित कार्यक्रम में भारी संख्या में विद्यार्थियों नौजवानों सहित साधु महात्माओं ने भी भाग लिया। बाबाजी के बहुत से कार्यक्रम अनेक प्रान्तों में चलते रहे।

बाबाJaigurudevजी ने कहा कि आप सभी देशवासियों ने अपने चरित्र को गिरा दिया है। यदि परिवार में एक शराबी रहता है तो उससे पूरा परिवार परेशान रहता है। जिस मोहल्ले में और गाँव में। दो चार शराबी हो गये तो पूरा मोहल्ला परेशान हो जाता है। आज देश के अन्दर 90 प्रतिशत लोग शराबी और दुराचारी हो चुके है।

जिस धर्म प्रधान देश में इतने लोग बुरे व्यसनों में फंस गये हों उस देश का शासन कैसे नियमित रह सकता है। खुद भी शराब पीते है और तुम्हें भी शराब पिलाकर पागल बनाते चले जा रहे है। माँस मछली अण्डे खाकर शराब पीकर आप भी अपनी बुद्धि को गिरवी रख चुके है।

मनुष्य के पतन (fall of man) की चरम सीमा

कानून की नई धारा नित्य बदल रही है। कुदरत के नियमों में दखल देना तुम्हारा काम नहीं था लेकिन आज सभी लोग उस कार्य में लगे पड़े है। परिवार नियोजन (family planning) और गर्भपास कराना मनुष्य के पतन की चरम सीमा है। पापों का घड़ा भर चुका है और अब फटने वाला है।

जीवन नौका बीच मझधार में डगमगा रही है चाहे अब डूबे या नब डूबे इतनी ही देर है। भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (President and Prime Minister of India) जब तक शाकाहारी नहीं होगे तब तक देश का भला होने वाला नहीं है। कोई भी बात में इस मंच से कहूँगा वह गलत नहीं होगी।

लाशें पड़ी रहेंगी और उठाने वाले नहीं मिलेंगे।

अब तक जो भी मैंने पहले कहा और उसमें से बहुत कुछ आपको देखने को मिला। पूर्वी पाकिस्तान के समाप्त होने की बात कई वर्ष पूर्व मैंने कही थी और। वह समाप्त हो गया। लाशें पड़ी रहेंगी और उठाने वाले नहीं मिलेंगे। आपने देखा कि सब घटनायें घटित हई। आगे पश्चिम में लड़ाई होगी और भारी नर संहार होगा।

पश्चिम के पाकिस्तान का भी कुछ होने वाला है। फिर उत्तर में लड़ाई होगी और उसके बाद दक्षिण में होगी। इसके बाद चारों तरफ बजेगा। भविष्य में सभी संस्थायें भारत में राजनीतिक (Political In India) समाप्त हो जायेंगी। क्या होगा और कैसे होगा यह आपको समय बतायेगा।

ऐसे लोग पैदा हो गये है जो प्लेटफार्म पर आयेंगे और संगठित होकर तुम्हारे बीच आ जायेंगे। शक्ति तो उनमें पहले से मौजूद है केवल थोड़ा उभार देना होगा फिर वे काम करने लगेंगे। ऐसा भी हो सकात है कि आगे आने वाले शासक भारत के संविधान को बदलकर नये संविधान का निर्माण (Constitution Making) करेंगे।

भारत आध्यात्मिक (India Spiritual) शक्तियों का देश

भारत धर्म प्रधान देश है। आध्यात्मिक शक्तियों का देश है। जो लोग इसे मिटाने का प्रयल करेंगे वे स्वयं मिट जायेंगे। दूसरे देशों से पाकिस्तान को बड़े-बड़े खतरनाक बम मिल चुके है। अब की लड़ाई में अगर उसने कीटाणु बमों का प्रयोग किया जिससे स्त्री, बच्चे, जानवर आदि मरने लगें,

तो उस वक्त कुदरत की तरफ से ऐसो उल्टी आंधी चलेगी जिससे सारे के सारे कीड़े वहीं चले जायेंगे जहाँ से वे बम फेंके गये और वहाँ के लोगों का सफाया हो जायेगा। मुसलमान अपनी धर्म पुस्तकों को देखें कि उसमें क्या लिखा है। 24 नवम्बर से 1 दिसम्बर 1973 तक हरिद्वार के चिमगादड़ टापू में बाबा JAIGURUDEV के महामानव यज्ञ का महाकुम्भ सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। भारत के कोने-कोने से लगभग दस लाख लोगों ने भाग लिया।

किराये के मकान का नाम

बाबा JAIGURUDEV जी ने कहा कि इस किराये के मकान का नाम जो माता-पिता ने रखा वह है तुलसीदास। एक छोटा मोटा आश्रम मथुरा में है। चारों तरफ घूम घूमकर धर्म का प्रचार करता हूँ। जय गुरूदेव नाम परमात्मा का है। परमात्मा के विधान का प्रचार उन महान आत्माओं के द्वारा हुआ है जिन्होंने अपना ज्ञान नेत्र, दिव्य नेत्र तीसरा नेत्र खोला और परमात्मा को पाया।

यह विज्ञान सनातन है। जब-जब हम भूले तब-तब किसी ने किसी ने आकर हमें जगाया। उन तत्वदर्शी महान आत्माओं के द्वारा जगत का निर्माण होता रहा और होता रहेगा। घर बार छोड़ने की जरूरत नहीं है। सब लोग अपनी-अपनी जगह रहें। अमीरों को खाने दो गरीबों को दे दो, जातियों के विवाद से लड़ाई झगड़े होंगे खूरेजी होगा। महात्माओं से मदद लेनी पड़ेगी।

JAIGURUDEV की बात माननी पड़ेगी

गया के तट पर बैटकर क्या-क्या करना है वह आपको प्रतिज्ञा करनी पड़ेगी। पापों का घड़ा फटेगा तो लाचार होकर बाबाजी की बात आप को माननी पड़ेगी। कपा और मेहरबानी उसकी होगी और पैगाम बाबाजी का होगा। विश्व में कोहराम मच जायेगा,

तूफान आएगा खरेजी होगी और हाय-हाय करके सब चिल्लाने लगेंगे। बाबाजी तभी शान्त हो सकते है जब सबको न्याय मिले शान्ति मिले रक्षा मिले भोजन, कपड़ा मकान मिलने लगे। हमको राज्य नहीं करना है। एक रोशनी विश्व में फैलने जा रही है।

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