जीते जी मानव शरीर में हमारे लिए समय मिला है, समय बर्बाद मत करो (Samay Barbad Mat Karo) समय रहते मानव जीवन सुधार लो यह महापुरुषों ने कहा है। यदि हम जीते जी इस मानव जीवन को सफल बना लिया तो भविष्य में चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह बहुत ही बेशकीमती अनमोल मानव शरीर है, कई जन्मों के पुण्य से यह मनुष्य शरीर प्राप्त होता है आगे क्या होगा? यह किसी को पता नहीं होता है।
लेकिन यदि हम इसी शरीर में समय (Samay) का सदुपयोग करके हम अपने मानव जीवन को महात्माओं के चरणों में लगाकर सफल बना सकते हैं। हमारे अंदर विवेक आध्यात्मिक बाद और ज्ञान की बरसात महात्माओं के द्वारा पड़ती है हम शांति और सुकून महसूस करते हैं। चलिए महात्माओं ने सत्संग में कहा हैं Samay Barbad Mat Karo समय रहते मानव जीवन सुधार लो, जय गुरुदेव।
जीवन बर्बादा मत करो (Samay Barbad Mat Karo)
इसी को समझाने के लिए, हमेशा दिल दिमाग में बिठाने के लिए महापुरूष अनेक तरह से उपदेश करते हैं, प्रमाण देते है और हर तरह से समझाते है। कबीर साहब (Kabeer Sahab) कहते हैं कि ऐ मनुष्यों अपना मानव जीवन सुधार लो, सफल कर लो, संसार के धोखे में पड़कर अपना जीवन बर्बादा मत करो (Life Barbad Mat Karo) , यह मनुष्य शरीर एक बार हाथ से निकल गया तो फिर कब मिलेगा यह तो भगवान जाने।
अभी मिला है इससे फायदा उठा लो किसी महापुरुष के, सन्तों फकीरों के, सच्चे सतगुरू (Sacche Satguru) के चरण में बैठकर अपनी आत्मा को जगा लो। उनके चरणों में बैठ गए, उन्होंने तुम्हारी डोर पकड़ ली तो वह तुम्हें तब तक नहीं छोड़ेगे जब तक तुम्हारी जीवात्मा अपने सच्चे घर नहीं पहुँच जाएगी। तब तक तुम्हें मनुष्य शरीर पाने (Manussy Sareer Pane) का स्वर्णिम अवसर मिलता रहेगा और तुम्हें साधना कराने वाले सन्त मिलते रहेंगे।
हिन्सा, लूट पाट, ठगी, धोखाधडी क्यों?
Samay Barbad Mat Karo पर अगर हम गफलत में रह गये, दुनियाँ को ही अपना दी ईमान बना लिया तो हम दूसरों को तो धोखा देते ही ठगते ही है लेकिन जाने अनजाने सबसे बड़ा धोखा (Sabse Bade Dhokha) हम अपने आप को देते है क्योंकि यह तो हम सब जानते है कि मृत्यु निश्चित है और बातों-बातों में ये कहते भी है कि हम जाने लगेंगे तो सब लादकर तो ले नहीं जाएंगे, छोडकर ही जायेंगे।
लेकिन ये नहीं समझते हैं कि जब सब छोड़कर ही जाना है तो फिर ये हिन्सा क्यों, ये लूट पाट क्यों, ये ठगी धोखाधडी क्यों, ये झूठ फरेब किसलिए? अपने झूठ को छिपाने के लिए (Juth Chhipane) हम अनेक जाल बिछा दें, किसी को मार दें या मर वा दं तब भी तो हमें जाना ही होगा। रह तो हम किसी हालत में नहीं पायेंगे आज कोई गया कल हमारी बारी रहेगी।
समय रहते सच्चे घर पहुँचा दो (don’ t waste time)
लेकिन मानव स्वभाव की कमजोरी है कि कहने को तो बड़ी-बड़ी के अपनी जीवात्मा को (Jeevaatma Ko) उसके सच्चे घर पहुँचा दो तो आना जाना खत्म, बातें कहें लेकिन हलक के नीचे कुछ नहीं उतरता। यही सोचता है कि सब चले जायेंगे और हम रह जायेंगे। जब महात्मा मिलते हैं तब वह सबको ये समझाते है कि तुम सबको जाना है।
बाबा जयगुरूदेव जी महाराज सत्संग में बराबर कहा करते है कि जब मैं कहता हूँ कि मुझे भी जाना है, मैंने कोई पट्टा यहाँ रहने का नहीं लिखवाया है तो मैं तुमसे कैसे कह दूं कि तुम रहोगे। जब जिसका समय पूरा होगा उसको जाना होगा। Samay Barbad Mat Karo यह मृत्युलोक है। यहाँ का यह नियम है न पहले कोई रहा न अब रह सकता है और न आगे कोई रहेगा। यह आवागवन होता रहेगा। मनुष्य शरीर मिला है। इसमें साधना कर जन्मना-मरना खत्म।
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