शंका क्या है और शंका का समाधान ना होने से क्या होगा?

बाबा जयगुरुदेव जी की बचपन कहानी Baba ji ka bachpan
बाबा जयगुरुदेव जी

जय गुरुदेव, शंका क्या? शंका करने से क्या होता है। क्या हमारे देश समाज और राष्ट्र पर उसका प्रभाव पड़ता है। शंका का समाधान कहाँ मिलता है? इन्हीं बातों को इस आर्टिकल में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा दिए गए वक्तव्य हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। आर्टिकल पूरा पढ़ें जय गुरुदेव,

शंका क्या है? (What is doubt)

शंका एक संदेह है। भ्रम है। शंका का समाधान सत्संग से होता है “बिन सत्संग विवेक न होई” बिना सत्संग के विवेक यानी हमारा भ्रम दूर नहीं हो सकता है। इसलिए महात्माओं का सत्संग के मध्य में हमारे मन की शंकाएँ दूर होती हैं। बाबा जयगुरुदेव जी ने सत्संग में यह बातें अपने करोड़ों अनुयायियों के साथ कहीं, जो जनमानस को अधिक प्रभावित करती हैं।

महात्माओं की शिक्षा कैसे फलीभूत होती है। शंका क्या चीज है? बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के द्वारा सुनाई गई कुछ छोटी-छोटी कहानियाँ जो हमारे जीवन को अधिक प्रभावित करती है। यदि हमने महात्माओं के चरणों में बैठकर उनसे कोई शिक्षा ग्रहण की है।

तो पता नहीं है कब वह शिक्षा किस टाइम हमारे जीवन में एक अच्छा फल प्रदान कर सकती है। हमें शंका नहीं करना चाहिए, यह परम संत बाबा जयगुरुदेव जी ने कहा है। चलिए जानते हैं। बाबा जयगुरुदेव द्वारा सुनाई गई कहानियाँ जो हमारे जीवन को अधिक प्रभावित करती हैं, तथा एक सीख लेने का मौका देते हैं।

महात्माओं का आदेश मिथ्या नहीं (Order of mahatmas)

एक महात्मा जी थे, उनके पास एक आदमी आया और कहने लगा कि हमारे पास कोई रोज़ी रोजगार नहीं है। कहीं काम धंधा नहीं मिल रहा है। आप कृपा कर दीजिए कोई काम मिल जाए, रोजी-रोटी चले। उन्होंने पूछा कि एक बात बताओ. जो हम कहेंगे वह करोगे।

उसने कहा कि हाँ लेकिन रोज़ी मिल जाए, उन्होंने कहा अच्छा तुम काग़ज़ की पर्चियों पर राधा, कृष्ण, राम, लक्ष्मण, सीता, आदि शब्द लिखकर इस लोटे में डाल दो, फिर उसमें से पर्ची निकाल कर हमको दे दो, उसने एक पर्ची निकाली तो उसने लिखा था। चोरी करो,

महात्मा जी ने कहा कि जाओ चोरी करो, वह आदमी चोरी करना तो जानता नहीं था। वह चला तो चोरी का एक काफ़िला जा रहा था। चोरों का उनके सरदार के पास गया और बोला कि हमें अपने काफिले में ले लीजिए, हम भी चोरी करेंगे।

सरदार ने उसको रख लिया। एक काफ़िला यात्रियों का जा रहा था। सरदार ने कहा जाओ इस काफिले को लूटो और बो गये, काफिले को लूटा और सेठ को पकड़ लाए. सरदार ने उस आदमी से कहा कि इस सेट की गर्दन उड़ा दो,

महात्माओं की वाणी कहाँ कैसी फल जाए (Declaration of mahatmas)

वह मन में सोचने लगा कि यह सरदार ऐसे कितने बेगुनाहों की गर्दन उड़ाए होंगे और भी ना जाने कितनों को मरवाया। क्यों ना इसी की गर्दन उड़ा दी जाए, ऐसा सोच का वह तलवार लेकर आगे बढ़ा, लेकिन एक ही झटके में ऐसी पलटवार किया कि सरदार की गर्दन धड़ से अलग हो गई.

उसके साथी घबरा गए सोचने लगा कि यह तो सरदार से भी तेज है। हम लोगों को भी मारेगा। वह भागने लगे, तो उसने सब को बुलाया और कहा कि तुम हम से डरो मत। तुम इस सरदार के कहने पर गुनाह करते थे।

यह धन जो लूट का है उसे तुम लोग आपस में बांट लो और कोई धंधा शुरू करो। मुझे इस लूट का एक भी पैसा नहीं चाहिए, सेठ बड़ा खुश हुआ। उसने कहा कि तुमने मेरी ज़िन्दगी बचाई है, इसके बदले में मैं तुम्हें अपना मैनेजर बनाता हूँ।

तुम मेरा काम देखोगे। मैं इस तरह की सुविधा मैं दूंगा। तो कहने का मतलब यह है कि महात्माओं की वाणी कहाँ कैसी फल जाए यह तुम नहीं समझते हो कि उनकी बचन है तुम लोग जल्दी-जल्दी में आते हो, बात सुनोगे नहीं, अपनी ही कहते रहोगे। हमारी बात तुम क्या सुनोगे, तो मेहनत मकसद की कमाई खाओ, उस आदमी ने लूट का एक भी पैसा नहीं लिया।

शंका का बहुत खराब चीज है (Doubt bad)

अन्य का बड़ा असर होता है। उसका असर भजन ध्यान पर भी पड़ता है। भजन को खराब कर देता है। गुरु का काम है ठगों से बचाना। जो तुम अपना समय दुनिया वालों के साथ बेकार की बातों में बर्बाद करते हो उससे तुमको बचकर भजन में लगा देते-देते हैं।

शंका का बहुत खराब चीज है। शंका करने से समाज बिगड़ जाता है। परिवार बिगड़ जाता है।जातियाँ बिगड़ जाती हैं। देश बिगड़ जाता है। एक मौलवी साहब स्वास्थ्य थे बीमार नहीं पड़ते थे। बच्चों को बहुत अच्छा पढ़ाते थे। बच्चों ने मन में सोचा कि मौलवी साहब रोज़ आते हैं पढ़ाने कभी भी हम लोगों की छुट्टी नहीं मिलती है। तो कुछ करना चाहिए,

बच्चों ने आपस में सलाह मशवरा किया। दूसरे दिन मौलवी साहब आए तो एक बच्चा ने कहा मौलवी साहब आपकी तबीयत तो अच्छी है? उन्होंने कहा हाँ, आगे बढ़े तो दूसरा बच्चा बोला उसने कहा मौलवी साहब आपका चेहरा क्यों उतरा हुआ है क्या तबीयत खराब है?

शंका का कोई इलाज़ नहीं

मौलवी साहब ने कहा नहीं और आगे बढ़े, तो एक बच्चा ने कहा मौलवी साहब क्या बात है आपका चेहरा पीला क्यों पड़ रहा है? मौलवी साहब कुछ सोचते हुए आगे चले, फिर एक बच्चा मिला और कहाँ मौलवी साहब आज आप को क्या हो गया आपकी चाल धीमी हो गई है। आपके चेहरे पर उदासी देख रही हैं, क्या कोई परेशानी है?

Master साहब की यह शंका हो गई कि उनको कोई बीमारी हो गई, उन्होंने स्कूल छोड़ दिया वह घर चले गए, अपनी देवी से बोले कि जल्दी चारपाई बिछाओ मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई है। पत्नी घबरा गई और अच्छे खासे गए थे, एकाएक कौन-सी बीमारी लग गई. तो उनको शंका हो गई,

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शंका का कोई इलाज़ नहीं, कोई दवा नहीं, इसी तरह से घर परिवार में जातियों और समाज में, देश में और परमार्थ में अनेक तरह की संख्या पैदा कर दी गई है। इसलिए किसी को कुछ समझ में नहीं आता है।

पोस्ट निष्कर्ष

महानुभाव परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा शंका का बहुत खराब चीज है. सत्संग में ऐसी बहुत-सी छोटी मोटी कहानियाँ सुनाएँ जिससे मानव जाति के लिए एक महत्त्वपूर्ण सीख मिलती है और पता नहीं कब महात्माओं की वाणी हमारे जीवन में काम आजाए, पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। जय गुरुदेव

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