बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा सुनाई गई कहानियाँ, Jai Gurudev Ki Kahaniya

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Last Updated on August 29, 2023 by Balbodi Ramtoriya

Jai Guru Dev, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा सुनाई गई कहानियाँ (Baba Jai Gurudev Ki Kahaniya) जो मानव जाति के लिए एक प्रेरणादायक होती हैं। महात्मा अपने मुखारविंद से इस मानव जाति को समझाने के लिए तरह-तरह की कहानियाँ सुनाते हैं, ताकि हम सभी की समझ में आ जाए और महात्मा एकमात्र इशारा करते हैं।

स्वामी जी महाराज ने इसी तरह सत्संग में अनेक प्रकार की कहानियाँ सुनाएँ उनमें से कुछ छोटी-छोटी कहानियाँ हम आपके साथ इस सत्संग आर्टिकल के माध्यम से साझा कर रहे हैं। पूरा पढ़ें यह परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के द्वारा सुनाई गई कहानियाँ (Baba Jai Gurudev Ki Kahaniya) हैं चलिए शुरू करें। “जय गुरुदेव”

Baba Jai Gurudev Kahaniya

1-साहूकार और मजदूर की कहानी (Sahukar ki kahani)

किसी शहर में एक साहूकार (Sahukar) और दूसरे शहर में एक मजदूर (Majdoor) आदमी रहता था। साहूकार वह साहूकार था जिसका कर्ज बहुत से मनुष्यों पर लदा हुआ था जो कि पूर्व जन्म का था जिसका हिसाब कई जन्मों में लेना था। दूसरा मजदूर उसी साहूकार के यहाँ नौकरी (Naukari) करने किसी के जरिये से पहुँच गया।

साहूकार मजदूर (Sahukar Majdoor) से दिन भर काम लेता था और रात को दो बजे तक सोने नहीं देता था। इतने पर भी मजदूर को तीन बजे तक जगा देता था और सुबह उसे बुलाकर बहुत बुरी तरह डांटता था। कहता कि तुमने कुछ काम नहीं किया। बिचारा मजदूर लाचार था।

रोज सोचता कहाँ जाऊ हमारे लिए तो यही घर है। उसी समय एक महात्मा (Mahatma) उसी मुहल्ले में आ पहुँचे और उनका सतसंग (Satsang) जारी हो गया। साहूकार अपनी हबिस पूरी करने के हेतु अशान्त रहता था और मजदूर अपनी गरीबी से तबाह था। दोनों अपने-अपने मर्ज में फंसे थे।

हर मर्ज की दवा (Har Marj Ki Dava)

सुना कि पहुँचे हुए महात्मा आये हैं। हर मर्ज की दवा देते हैं। मजदूर गरीबी दूर कराने पहुँचा और साहूकार (Sahukar) यह इच्छा लेकर पहुँचा कि हमे धन प्राप्त हो जावे। यह भाव लेकर दोनों महात्मा (Mahatma) जी के पास पहुँचे। इन दोनों के पहुचते ही महात्मा जी सतसंग में बोले कि सुनो प्रेमी जनों, लेनदार और देनदार असाध्य मरीज आ पहुँचे हैं।

महात्मा जी के सतसंग (Satsang) में लाखों की भीड़ होती थी। महात्मा जी ने साहूकार को सारे सतसंग का हेड कैशियर बनाया और कहा कि तुम मनमानी रुपया खर्च करो। तुमको पूरा अधिकार है और मजदूर से महात्मा जी ने कहा कि तुम हेड कैशियर के साथ रहना जो वे कहें उस को करना।

साहूकार रुपया पाकर और साथ-साथ बहुत आदर मान सतसंग (Satsang) में पाकर बहुत खुश हुआ और सोचने लगा कि मुझे यहाँ मुफ्त में सब चीजें प्राप्त हुई हैं और शान्त हो गया। मजदूर सोचने लगा कि मैं अपने मालिक के साथ हूँ हर प्रकार का मुझे आराम है।

महात्मा (Mahatma) जी ने सेवा कराकर उस साहूकार का धन अदा कर दिया और साहूकार (Sahukar) ने जिन लोगों को धन दिया था वह धन मान से प्राप्त कर लिया। संतजन हर तरह से जीव के कर्जे को अदा करा देते हैं। जीव अपनी अज्ञानता में यह सूझ नहीं पैदा कर पाता है कि संत जन कितनी भारी दया करते हैं।

2-एक मित्र की कहानी (Ek Mitra ki kahani)

एक हमारे मित्र थे। उन्हें गुरु महाराज की महिमा सुनाई गई तो उनके अन्दर जिज्ञासा जाग गई और गुरु महाराज (Guru Maharaj) के पास पहुँचे। उनके मुरीद हुये और साधना प्रारम्भ की और ऐसे भाव में आ गये कि घरबार छोड़कर उन्हीं के आश्रम में रहने लगे थे तो बहुत ऊँचे विचार के, पर उनका दिमाग कम्युनिस्ट था।

सदा लाभ के टटोलने में रहा करते थे और जरा-सी त्रुटि दिखाई दी कि उसके विरोध का डंका बजा देते थे। यह बात इनकी प्रकृति में थी। इसी उधेड़बुन में इनके कई साल बरबाद हो गये। जब पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हुए तब आगे बढ़ सके। इनके दूसरे साथी इनसे आगे निकल गये। उन्होंने अपना साधन पूर्ण विश्वास और श्रद्धा से किया था।

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3-कौवा शिष्य की कहानी (Kauwa shishya ki kahani)

इसलिए गुरु में और गुरु (Guru) के बताए हुए साधन में शंका और अविश्वास लाना शिष्य के लिये महान हानिकारक है। जो जल्दी ही अथवा तुरन्त ही अपनी बुद्धि पर गुरु को तौलना चाहते हैं उन्हें इस जल्दीबाजी से बचने की बहुत जरूरत है। ऐसों को संतों के यहाँ कौआ शिष्य कहा जाता है।

यदि मोहन भोग और विष्ठा एक ही जगह पर रक्खे हों तो कौवा अपनी चोंच मारकर मनमानी चीज विष्ठा को पसंद करता है और जाकर चोंच बढ़ा देता है। कभी-कभी ऐसी दशा भी बीच में आ जाती है। मन की आसुरी शक्तियाँ (Aasuri Shaktiyan) भी साधक को बीच में दबोच लेती हैं। गुरु (Guru) अथवा सत्य पुरूष की ओर से श्रद्धा उसकी हटा देती हैं। उस समय मन बेकाबू हो जाता है और सब कुछ उससे छुड़ा कर उसे घृणा के फंदे में फांस लेता है।

गुरु का सोना (Guru Sona)

गुरू सिरजनहार है हर किसी पर दया करता है। गुरु की अगम नीति को जीव नहीं जान सकते हैं। जानकार सतगुरू हर प्रकार का नाटक इस जगत में कर जाते हैं और हर प्रकार से जीव को संस्कारी बना जाते हैं गुरु चैतन्य पुरूष (Guru Chetan Purush) होते हैं। कभी सोते नहीं। उनकी निद्रा स्वान की-सी है। आनन्द में लय हो जाते हैं। यही उनका सोना होता है। दिन भर जीव हित के लिए महा परिश्रम करते हैं। रात्रि में अपने देश में पहुँच जाते हैं। यही गुरु का सोना है।

पोस्ट निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर दिए गए सत्संग आर्टिकल बाबा जयगुरुदेव कहानियाँ में आपने महात्माओं के द्वारा सुनाई गई, इस जनमानस के लिए प्रेरणादायक कहानियाँ पड़ी। आशा है आपको जरूर Baba Jai Gurudev Ki Kahaniya अच्छी लगी होगी और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें, “जय गुरुदेव”

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